मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट: काशी विश्वनाथ कॉरिडोर हो सकता है शुरू, हो रही तैयारी
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को पीएम नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जाता है। पीएम के सपने को पूरा करने के लिए वाराणसी जिला प्रशासन ने पूरी ताकत झोंक दी है।
वाराणसी: काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को पीएम नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जाता है। पीएम के सपने को पूरा करने के लिए वाराणसी जिला प्रशासन ने पूरी ताकत झोंक दी है। लॉकडाउन की बंदिशें टूटी तो कॉरिडोर के निर्माणकार्य ने फिर रफ्तार पकड़ ली है। कॉरिडोर अब अपना स्वरूप लेने लगा है। हालांकि कॉरिडोर बनाने में कई तरह के मंदिर को तोड़ने और उसके मलबे के गंगा नदी में गिराने को लेकर विवाद शुरू हो गया है।
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2 महीने बाद निर्माणकार्य शुरू
नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में 2 महीने के करीब लॉकडाउन के दौरान काम बंद था। अब यहां काम शुरू हो चुका है और कॉरिडोर का स्वरूप दिखने लगा है। इस दौरान मंदिर प्रशासन पर लगातार यह आरोप लगते रहे हैं कि कॉरिडोर बनाने में कई तरह के मंदिर को तोड़ा गया और मलबा गंगा नदी में गिराया जा रहा है। लेकिन हकीकत कुछ और बयां कर रही है। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के परिसर में ऐसे तमाम प्राचीन मंदिर देखने को मिल रहे हैं, जो वर्षों से लोगों के घरों में कैद थे। मंदिर प्रशासन उन विग्रहों को संरक्षित करने की बात कर रहा है।
अगस्त 2021 तक धाम हो जाना है पूरा
विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विशाल सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल काशी विश्वनाथ धाम का काम अब तेजी पकड़ चुका है। चूंकि अगस्त 2021 तक इस योजना को पूर्ण करके जनता को समर्पित करना है. इस वजह से काम में तेजी देखने को मिल रही है। 2 महीने लॉकडाउन के कारण काम पूरी तरह से बंद था। अब कॉरिडोर का स्वरूप भी को देखने को मिल रहा है।
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कॉरिडोर पर खर्च होंगे 8 सौ करोड़ रुपये
मंदिर के आसपास तमाम ऐसे पौराणिक मंदिर देखे जा रहे हैं, जो अभी तक लोगों के घरों में कैद हो चुके थे। उनको मंदिर प्रशासन ने घरों से बाहर निकाल के उन मंदिरों को संरक्षित करने का काम किया है।
काशी विश्वनाथ धाम 800 करोड़ की योजना से बनाया जा रहा है जो 5000 स्क्वायर फीट में बनके तैयार हो रहा है। बनारस गलियों का शहर माना जाता है। इन गलियों में ऐसे तमाम मंदिर हैं, जो अनादि काल से स्थापित हैं। लेकिन कुछ लोग इन मंदिरों को अपने घरों में कैद कर चुके थे, कॉरिडोर बनने के बाद अब वह मंदिर सामने आए है। जिनका मंदिर प्रशासन उन मंदिरों को फिर से संरक्षित करने की बात कह रहा है।
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