Varanasi News: गंगा में हरे शैवालों के लिए जिम्मेदार हैं मिर्जापुर के एसटीपी, जांच रिपोर्ट में हुआ खुलासा
गंगा नदी में हरे शैवाल (Green algae) पाए जाने के कारणों का पता चल गया है। पांच सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।
Varanasi News: गंगा नदी में हरे शैवाल (Green algae) पाए जाने के कारणों का पता चल गया है। पांच सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट के मुताबिक गंगा नदी में हरे शैवाल (Green algae) के पनपने का कारण मिर्जापुर के विंध्याचल में बना 4 एमएलडी क्षमता का एसटीपी है। फिलहाल जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने समिति की जॉच रिपोर्ट के आधार पर जो मिर्जापुर एसटीपी के जिम्मेदार अधिकारी हैं, उनके विरूद्ध शासन में कार्रवाई प्रस्तावित की है और अन्य सुझाव एवं संस्तुतियों से सम्बन्धित अधिकारियों व विभागों को अनुपलान के लिए निर्देश दे दिए गए हैं।
इस सम्बन्ध में जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा द्वारा गठित 05 सदस्यीय समिति के सदस्यों द्वारा 08, 09 एवं 10 जून तक वाराणसी से मिर्जापुर (विन्ध्याचल अप स्ट्रीम) गंगा नदी के उद्गम, स्रोत तथा गंगा घाटों तक जाकर शैवाल के कारणों की जॉच कर संयुक्त रिपोर्ट उन्हें सौंप दी गई। मिर्जापुर के विध्याचल में 04 एम.एल.डी. क्षमता का एसटीपी कन्वेन्सल सिस्टम (लैगुनिंग सिस्टम) पर आधारित है। एसटीपी से जनित शुद्धीकरण उत्प्रवाह का निस्तारण बसवरिया ड्रेन के माध्यम से गंगा नदी में किया जाता है।
शुद्धीकृत उत्प्रवाह से हरा शैवाल गंगा नदी में मिलता है, तो वह गंगा नदी में धीरे-धीरे समय के साथ विकसित होती चली गयी।इस प्रकार 04 एम.एल.डी. क्षमता का एसटीपी विन्ध्याचल द्वारा शैवाल का मुख्य स्रोत प्रतीत होता है। गंगा नदी में जल का प्रवाह बहुत कम है और जल में एलग्ल ब्लूम की वृद्धि के लिए उपयुक्त तापक्रम है, जो एलग्ल ब्लूम को विकसित करने में सहायक होता है।
लापरवाही बरतने वालों पर होगी कार्रवाई
साथ खेतों से जनित जल अपने साथ न्यूट्रियन्स जैसे-नाइट्रोजन, फास्फोरस, यूरिया, डीएपी आदि पानी के साथ बहने के कारण भी गंगा नदी में नाइट्रोजन, फास्फोरस की मात्रा बढ़ने की सम्भावना है, जो एलग्ल ब्लूम की मात्रा बढ़ने में सहायक होती है। मिर्जापुर शहर से आंशिक एवं चुनार से जनित घरेलू मल-जल का बिना शुद्धीकृत किये निस्तारित किया जाना हैं। इसी प्रकार रामनगर की ओर से गिरने वाले नालों को टैप कर 10 एमएलडी क्षमता केएस0टी0पी0, रामनगर में उपचारित किया जाये। मिर्जापुर शहर से आंशिक एवं चुनार से जनित घरेलू मल-जल के शुद्धीकरण हेतु एसटीपी लगाये जाने की संस्तुति की जाय। गंगा नदी में मिनिमम बहाव सुनिश्चित किये जाने हेतु ऊपर से जल छोड़ने हेतु संस्तुति प्रेषित की जाय। हरे शैवाल को खत्म किये जाने एवं हरे शैवाल के कारण जलीय जन्तुओं पर पड़ने वाले कुप्रभावों के अध्ययन बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के सम्बंधित विभाग से कराये जाने की संस्तुति की गयी है।
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