Varanasi : ज्ञानवापी के ASI सर्वे की रिपोर्ट आने पर, इस संत ने त्याग दिया अन्न, बोले 'विश्वेश्वर मंदिर बनने के बाद ही खाऊंगा'

Varanasi News: ज्ञानवापी परिसर के बारे में ASI की रिपोर्ट के बाद एक संत ने अन्न छोड़ने का निर्णय किया है।

Report :  Aakanksha Dixit
Update: 2024-01-27 13:19 GMT

स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती source ; social media  

Varanasi News: हाल ही में जब वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर पर ASI की रिपोर्ट आई है, जिसमें दावा किया गया है कि मौजूद मस्जिद की जगह पहले हिंदू मंदिर था। सर्वे के दौरान 32 ऐसे सबूत मिले हैं जो इस बात की पुष्टि करते हैं कि मंदिर के अवशेष ज्ञानवापी परिसर में हैं। इस समय में, खबर है कि अखिल भारतीय संघ समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने ज्ञानवापी के संबंध मे कसम खाई है और खाना छोड़ दिया है। आइये इस मामले के बारे में विस्तृत रूप से जानते है।

ज्ञानवापी के लिए छोड़ा अन्न 

ज्ञानवापी मामले में ASI की रिपोर्ट के आगमन के बाद, हिन्दू पक्ष दृढ़ता से अपना दावा प्रस्तुत कर रहा है। इसी संबंध में, अब अखिल भारतीय संत समिति भी इस मामले में शामिल हो गई है। पक्षकारों ने एक 839 पन्नों की रिपोर्ट प्रस्तुत की है। इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने पर, अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद ने ज्ञानवापी मुक्ति की दिशा में अन्न-जल का त्याग कर दिया है। अखिल भारतीय संघ समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने घोषणा की है कि जब तक ज्ञानवापी हिंदुओं को पुनः नहीं मिल जाती, तब तक वे अन्न नहीं ग्रहण करेंगे। अपना जीवन चलाने के लिए वे अब से दिनभर में केवल सवा लीटर दूध का सेवन करेंगे, और जब तक ज्ञानवापी नहीं मिलती, तब तक वे अन्न नहीं खाएंगे।

भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (एएसआई) की रिपोर्ट से आए संकेत में यह दिख रहा है कि ज्ञानवापी मस्जिद वहां पहले से मौजूद एक पुराने मंदिर के अवशेषों पर बनाई गयी थी। source: Newstrack 

ASI का दावा

गौरतलब है कि अयोध्या से काशी तक का कालचक्र अब बदल रहा है। रामजन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर के उद्घाटन के बाद, अब हर-हर महादेव की गूंज भी तेज हो रही है। हिंदू पक्ष का दावा है कि जिस स्थान पर ज्ञानवापी मस्जिद बनी है, वहां पहले काशी विश्वनाथ का विशाल मंदिर था। इस दिशा में ASI की सर्वे रिपोर्ट ने हिंदू पक्ष के दावे को और भी मजबूती दी है। ज्ञानवापी पर ASI के सर्वे की रिपोर्ट कहती है कि ज्ञानवापी में मंदिर था, जिसे तोड़कर मस्जिद बनाई गई। आपको बता दे कि ASI ने ही अयोध्या में रामजन्मभूमि पर सर्वे के माध्यम से सच्चाई का पता लगाया था और राम मंदिर निर्माण का रास्ता खुल गया था।

मार्च में होगी बैठक

सूत्रों के मुताबिक, अखिल भारतीय संत समिति और आरएसएस ने एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से साथ में बैठक का आयोजन किया है, जिसमें वो जल्द पूजा का अधिकार मांगने को लेकर अपील कर सकते हैं। इस बैठक को मुम्बई में मार्च महीने आयोजित की जाएगी।

अयोध्या की राह पर बढ़ता हुआ ज्ञानवापी का केस

ज्ञानवापी का ममला भी बिल्कुल राम मंदिर के ममले जैसा ही दिखाई दे रहा। ASI की टीम ने इस मामले की सर्वे रिपोर्ट तैयार की है, जिसका नेतृत्व ASI के एडीजी प्रोफेसर आलोक त्रिपाठी ने किया है। इस टीम में 9 बड़े अधिकारी शामिल हैं, ताज्जुब की बात तो यह है कि इनमें दो अधिकारी मुस्लिम समुदाय से हैं। इनके नाम हैं इजहार आलम हाशमी और आफताब हुसैन। सर्वे रिपोर्ट से और सामने आयी तस्वीरों से यह साफ़ ज़ाहिर होता है कि ज्ञानवापी परिसर में हिन्दू मंदिर था। 

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