Varanasi: ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष की जीत, सुप्रीम कोर्ट ने सील एरिया में सफाई का आदेश किया जारी

Varanasi : ज्ञानवापी मस्जिद मामले में हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में जीत हासिल की है। कोर्ट ने सील एरिया में सफाई का आदेश जारी किया है, जिसकी मांग हिंदू पक्ष ने अपनी याचिका में की थी।

Written By :  Aakanksha Dixit
Update: 2024-01-16 09:51 GMT

Supreme Court Verdict 

Gyanvapi case update : सुप्रीम कोर्ट में वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में सील एरिया की सफाई की मांग पर सुनवाई हुई। हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी के सील एरिया को खुलवाकर वहां तत्काल सफाई की मांग की याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू पक्ष की मांग को स्वीकार करते हुए सफाई का आदेश जारी किया है। इसके बाद, कोर्ट ने डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के नेतृत्व में सफाई की इजाजत दी है।

यह था मामला 

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान, मस्जिद पक्ष ने कहा कि उन्हें इस याचिका पर कोई आपत्ति नहीं है। हिंदू पक्ष ने दावा किया कि एक कथित शिवलिंग के टैंक में मछलियों की मौत के बाद फैली गंदगी को तत्काल साफ करने की मांग की थी। हिंदू पक्ष का कहना है कि हमारी पौराणिक धाराओं के अनुसार वहां एक शिवलिंग है, और इसे किसी भी प्रकार की गंदगी से दूर रखा जाना चाहिए, खासकर मरे हुए जीवों से। यहां शिवलिंग वाले क्षेत्र के आसपास पानी है, जहां मछलियां भी है। मछलियों के मरने से वहां बदबू फ़ैल रही है।इस बात पर हिंदू पक्ष ने जोर दिया है कि इस प्रकार की गंदगी के बीच, शिवलिंग की ऐसी स्थिति, अनगिनत शिवभक्तों की भावनाओं को आहत कर सकती है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही किया गया था सील

शिवलिंग सहित आसपास के क्षेत्र को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सील कर दिया गया था। हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी के सील एरिया को खुलवाकर वहां तत्काल सफाई की मांग की याचिका दायर की थी। जिसमें एक कथित शिवलिंग होने के साथ-साथ पानी और मछलियां भी हैं। मछलियों की मौत से यहां बदबू फैल रही है। सुप्रीम कोर्ट ने सफाई की अनुमति देते हुए डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के नेतृत्व में सफाई की इजाजत दी है।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार, 16 जनवरी को इस मामले की सुनवाई की और टैंक की सफाई के लिए निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि शिवलिंग से छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए, और सफाई का कार्य वाराणसी के जिलाधिकारी की निगरानी में होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने उदाहरण के रूप में कहा कि पिछले आदेश की अवहेलना नहीं होनी चाहिए, और किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए। इस पर मुस्लिम पक्ष ने भी सहमति जताई है।

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