गोरखपुर: ताजमहल पर सियासत का रंग क्या चढ़ा, वह अकेला ही पड़ गया? लेकिन, जिस ताजमहल पर विवाद खड़ा हुआ है। उसकी व्यथा एक मशहूर शायर की नज्म में उभर कर सामने आई है। प्रख्यात शायर वसीम बरेलवी ने ताजमहल पर हुए विवाद के बाद ताजी नज्म लिखी है। जो इस समय काफी चर्चा में है। नज्म में शायर के माध्यम से ताजमहल अपनी व्यथा कहता हुआ दिखाई दे रहा है।
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भाजपा विधायक संगीत सोम के ताजमहल पर दिए विवाद के बाद ताजमहल पर सियासत का रंग ऐसे चढ़ा कि आजम खां के बाद विनय कटियार तक इस जंग में कूद गए। हालांकि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 26 अक्टूबर को आगरा जाने और कई परियोजनाओं के शिलान्यास का ऐलान कर इस विवाद को शांत करने की कोशिश की। इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा जारी किए गए वर्ष 2018 के कैलेंडर में जुलाई माह के पृष्ठ पर ताजमहल की तस्वीर ने यह साफ कर दिया कि यूपी सरकार ताजमहल को ऐतिहासिक धरोहर मान रही है। योगी आदित्यनाथ ने भी उसके संरक्षण की बात कहकर इस विवाद का पटाक्षेप कर दिया था।
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आगरा दौरे के पहले ही उनके गढ़ गोरखपुर में आए प्रख्यात शायर वसीम बरेलवी ने अपनी नज्म में ताजमहल की न केवल पीड़ा व्यक्त की, बल्कि सवाल भी खड़ा किया...‘कैसे अपना हो के कहते हो पराया मुझको’, पिछली सरकार में कला साहित्य के क्षेत्र में विधानपरिषद के लिए नामित वसीम बरेलवी कवयित्री महादेवी वर्मा के बाद दूसरे साहित्यकार हैं, जिन्हें कला साहित्य के क्षेत्र से उत्तर प्रदेश विधान परिषद में भेजा गया।
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एक निजी कार्यक्रम में गोरखपुर पहुंचे वसीम बरेलवी ने पत्रकारों से अपनी नज्म को साझा किया। उनकी इस नज्म में ऐसा लग रहा है मानों आज इतने बरसों बाद विवादों में आया ताजमहल खुद अपनी व्यथा कह रहा हो। वसीम बरेलवी की नज्म ‘प्यार की बात जहां आई दिखाया मुझको, चाहतों का बड़ा सरताज बताया मुझको, कौन दुनिया से देखने नहीं आया मुझको। भारतीय होने का अहसास मेरे काम आया, विश्व के सात अजूबों में मेरा नाम आया। बैठे-बैठै ये हुआ क्या कि रुलाते हो मुझे, अपने ही देश में परदेश दिखाते हो मुझे। मुझको नजरों से गिराते हो तुम्हें क्या मालूम, अपने ही कद को घटाते हो तुम्हें क्या मालूम। गैरे की आंखों ने तो पलकों पर बिठाया मुझको, कैसे अपना हो के कहते हो पराया मुझको?
योगी आदित्यनाथ के दौरे के पूर्व संगीत सोम के बयान से ताजमहल पर विवाद उठा था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के 26 अक्टूबर के आगरा दौरे के पूर्व ही 17वीं शताब्दी में संगमरमर से बना दुनिया के सात अजूबों में शुमार आगरा के ताजमहल को लेकर विवादास्पद बयान जारी हैं। भाजपा विधायक संगीत सोम ने अपने बयान से ताजमहल को भारतीय संस्कृति पर 'धब्बा' करार दिया, तो वहीं सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान ने उन पर करारा हमला बोला।
इस बीच ताजमहल को लेकर चल रहे विवादास्पद बयानों से खुद को अलग करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्पष्ट किया कि ताजमहल को देश के मजदूरों ने अपने खून पसीना से तैयार किया है। वह अपनी वास्तु के लिए विश्वविख्यात है. उसका संवर्धन और संरक्षण हमारा दायित्व है। सीएम ने आगरा के विकास के लिए 370 करोड़ की योजनाओं की चर्चा भी की। यह भी कहा कि आगरा में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 65 करोड़ रुपए अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के लिए अवमुक्त किए गए हैं।
हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इससे पहले 7 मई की दोपहर में गंदे और विवादास्पद ताज कॉरिडोर में घूमते हुए यमुना के कायाकल्प की चर्चा की थी। लेकिन, पांच महीनें में जमीन पर कोई काम नहीं दिखा। अब शायर वसीम बरेलवी की ताजमहल विवाद पर लिखी गई नज्म ने इसे और हवा दे दी है।