सरकार कर्मचारियों से जबरदस्ती चंदा लेगी क्या? यहां जानें क्या है पूरा मामला

विशेष सचिव मुख्यमंत्री के अर्धशासकीय पत्र दिनांक 4 दिसम्बर 19 के क्रम में सभी राजकीय सेवकों के वेतन से 500 रुपया प्रतिमाह काटकर मुख्यमंत्री कोष में जमा कराने के फरमान को तुगलकी बताते हुए राज्य कर्मचारियों ने इसका कड़ा विरोध किया है।

Update: 2019-12-14 15:02 GMT

लखनऊ: विशेष सचिव मुख्यमंत्री के अर्धशासकीय पत्र दिनांक 4 दिसम्बर 19 के क्रम में सभी राजकीय सेवकों के वेतन से 500 रुपया प्रतिमाह काटकर मुख्यमंत्री कोष में जमा कराने के फरमान को तुगलकी बताते हुए राज्य कर्मचारियों ने इसका कड़ा विरोध किया है।

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा ने बताया कि उक्त पत्र के जारी होते ही कर्मचारियों में हर तरफ प्रतिक्रिया देखने को मिली। जनपदों के साथियों के आक्रोश को देखते हुए राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने आज सुरेश रावत की अध्यक्षता में आपात बैठक आहूत की। बैठक में उपस्थित प्रतिनिधियों ने एक स्वर से उक्त आदेश को एक तुगलकी फरमान बताते हुए माननीय मुख्यमंत्री से इसे तत्काल वापस लेने का अनुरोध किया।

ये भी पढ़ें—आनंदीबेन ने छेड़ी नई मुहिम, छह हजार से अधिक टीबी पीड़ित बच्चे लिए गए गोद

मिश्रा ने कहा कि अगर कर्मचारी अधिकारी और पेंशनर को जोड़ देंगे तो करीब 200 करोड़ प्रति माह सरकारी लेवी बनती है। सहायता का आधार केवल उनका विवेक होता है। प्रदेश में सबसे धनी वर्ग कर्मचारी को ही सरकार मानती है। बड़े बड़े व्यापारियों उद्योगपतियों के तो कर्ज भी माफ कर देते है।

आदेश में जबरन वसूली जैसी बू आ रही है

किसी आपदा विशेष के निमित्त स्वेच्छा से तो मांगा जा सकता है, लेवी लगाकर नही। कर्मचारियों का कहना है कि कर्मचारी और अधिकारी प्रदेश सरकार के साथ हैं और किसी भी आपदा के समय सदैव सभी कर्मचारी और अधिकारी सरकार के साथ खड़े रहते हैं। कर्मचारियों ने आवश्यकता पड़ने पर कई बार अपने वेतन का बड़ा हिस्सा दान किया है, लेकिन इस आदेश में जबरन वसूली जैसी बू आ रही है। परिषद के कड़ी निंदा करती है, परिषद इसे कतई स्वीकार नहीं करेगी।

ये भी पढ़ें—घुसपैठियों और शरणार्थियों में करना होगा भेद: स्वामी प्रसाद मौर्य

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ईश्वर से कामना करता है कि कभी कोई आपदा की स्थिति पैदा ना हो लेकिन यदि कभी भी आवश्यकता पड़ेगी तो प्रदेश का हर कर्मचारी सरकार के साथ खड़ा रहेगा परिषद के अध्यक्ष सुरेश रावत ने कहा कि इस आदेश के आते ही सोशल मीडिया से लेकर दूरभाष पर प्रदेश के कर्मचारियों की नाराजगी परिषद को प्राप्त हो रही है, जिससे मजबूर होकर परिषद ने आपात बैठक बुलाई बैठक में आदेश का विरोध किया गया।

आदेश किसी भी रूप में स्वीकार नहीं होगा

बैठक को संबोधित करते हुए वरिष्ठ उपाध्यक्ष गिरीश मिश्रा ने कहा कि उक्त आदेश किसी भी रूप में स्वीकार नहीं होगा। संगठन प्रमुख के के सचान, उपाध्यक्ष अशोक कुमार, राजकीय फार्मासिस्ट महासंघ के महामंत्री अशोक कुमार, वन विभाग मिनिस्ट्रियल एसोसिएशन के महामंत्री आशीष पांडेय ,सचिव पी के सिंह, सतीश यादव, कमल श्रीवास्तव, राजेश चौधरी, सुनील यादव प्रवक्ता एलटी, सुभाष श्रीवास्तव जिला अध्यक्ष, अजय पांडेय सचिव आदि बैठक में उपस्थित रहे। परिषद ने यह भी आशंका व्यक्त की कि यह आदेश पमाननीय मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाये बगैर जारी किया गया लगता है। अगर इस आदेश का पालन होता है तो यह कर्मचारियों की इच्छा के विपरीत होगा, इसलिए इसका सामूहिक रूप से बहिष्कार किया जाएगा परिषद ने आदेश को तुरंत वापस लेने की मांग की।

Tags:    

Similar News