आखिर क्यों! फतह-हमास संधि समझौते का स्वागत कर रहा अरब लीग

Update:2017-10-13 14:30 IST

काहिरा : अरब लीग (एल) ने फिलीस्तीन के दो विरोधी गुटों फतह और हमास के बीच काहिरा में संधि समझौते का स्वागत किया है। अरब लीग ने गुरुवार को एक बयान जारी कर इस समझौते के लिए फिलीस्तीनी नेता महमूद अब्बास, फिलीस्तीनी धड़ों और फिलीस्तीनी लोगों को बधाई दी, जिसके तहत फिलीस्तीन के दो मुख्यधारा वाले धड़ों के बीच राजनीतिक दरार समाप्त हो गई है।

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बयान के मुताबिक, इस समझौते से फिलीस्तीन की स्वतंत्रता, इजरायली कब्जा खत्म करने और 1967 की सीमाओं के तहत स्वतंत्र देश का गठन करने का लक्ष्य हासिल होगा।

इससे पहले गुरुवार को दोनों समूहों के बीच एक दिसंबर तक हमास शासित गाजापट्टी को प्रधानमंत्री रामी अल-हामदल्लाह के नेतृत्व वाली सरकार को सौंपने पर सहमति बनी थी।

आपको बता दें, चरमपंथी गुट हमास को अमेरिका और यूरोपीय संघ ने आतंकी संगठन के तौर पर ब्लैकलिस्ट कर रखा है।

हमास- जिसे हरकत अल-मुकावामा अल-इस्लामिया के नाम से भी जानते हैं ये सुन्नी मुसलमानों की सशस्त्र संस्था है जो फ़िलिस्तीन राष्ट्रीय प्राधिकरण की मुख्य पार्टी है। हमास का गठन 1987 में मिस्र तथा फलस्तीन के मुसलमानों ने मिलकर किया था। जिसका उद्धेश्य क्षेत्र में इजरायली प्रशासन के स्थान पर इस्लामिक शासन की स्थापना करनी थी।

हमास का प्रभाव गाजापट्टी में अधिक है। इसके सशस्त्र विभाग का गठन 1992 में हुआ था। 1993 में किए गए पहले आत्मघाती हमले के बाद से लेकर 2005 तक हमास ने इजरायली क्षेत्रों में कई आत्मघाती हमले किए।

2005 में हमास ने हिंसा से अपने आप को अलग किया और 2006 मे इसके बाद 2006 से गाजापट्टी से इजरायली क्षेत्रों में रॉकेट हमलों का सिलसिला आरंभ हुआ, जिसके लिए हमास को जिम्मेवार माना जाता है। 2008 के अंत में इजरायल द्वारा पट्टी में हमास के खिलाफ की गई सैन्य कार्रवाई में करीब 1300 लोग मारे गए थे। इस अभियान का उद्देश्य इजरायली क्षेत्रों में रॉकेट हमले रोकना था। पर हमास ने इजरायल पर आम नागरिकों को मारने का आरोप लगाया।

गाजापट्टी- गाजापट्टीका इतिहास तो 1948 में इजरायल के निर्माण के साथ शुरु होता है पर इस क्षेत्र के सम्पूर्ण इतिहास के लिए इजरायल का इतिहास देखा जा सकता है। 1948 में इसरायल के निर्माण के बाद यहाँ बसे अरबों के लिए अर्मिस्टाइस रेखा बनाई जिसके तहत गाजापट्टी में अरब, जो सुन्नी मुस्लिम हैं रहेंगे तथा यहूदी इसरायल मे रहेंगे। 1948 से लेकर 1967 तक इसपर मिस्र का अधिकार था पर 1967 के छःदिनी लड़ाई में इजरायल ने अरब देशों को निर्णायक रूप से हरा दिया, इजरायल ने मिस्र से यह पट्टी भी छीन ली जिसके बाद से इसपर इजरायल का नियंत्रण बना हुआ है।

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