बासमती पर भारत के कदम से चिढ़ा पाकिस्तान, बोला- हम पर परमाणु बम गिराने जैसा

भारत-पाकिस्तान के बीच इस बार चावल को लेकर नया विवाद शुरू होता दिख रहा है।

Published By :  Raghvendra Prasad Mishra
Update: 2021-06-08 12:51 GMT

बासमती चावल की फाइल तस्वीर (फोटो साभार-सोशल मीडिया)

नई दिल्ली: भारत-पाकिस्तान के बीच सरहद को लेकर तनाव तो रहता ही है, लेकिन इस बार चावल को लेकर नया विवाद शुरू होता दिख रहा है। बासमती चावल को लेकर दोनों देशों के बीच खींचतान शुरू हो गई है। बता दें कि भारत ने बासमती के विशेष ट्रेडमार्क के लिए यूरोपीय यूनियन में आवेदन दिया है। आगर भारत का आवेदन स्वीकार कर लिया जाता है तो बासमती के टाइटल का मालिकाना हक भारत को मिल जाएगा। वहीं भारत के इस कदम का पाकिस्तान ने विरोध जताया है।

पाकिस्तान के लाहौर शहर के दक्षिण में स्थित अल-बरकत राइस मिल्स के सह-मालिक गुलाम मुर्तजा ने कहा कि भारत का यह कदम हमारे ऊपर परमाणु बम गिराने जैसा है। पाकिस्तान की तरफ से यूरोपीय कमीशन में भारत के प्रोटेक्टेड ज्योग्राफिकल इंडिकेशन (पीजीआई) हासिल करने के कदम का विरोध किया गया है। मुर्तजा ने कहा कि ने सोच समझ कर वहां यह सब उपद्रव किया है, जिससे वह किसी तरह हमारे बाजारों में से एक को हड़प सके। गौरतलब है कि मुर्तजा के खेत भारतीय सीमा से मुश्किल से पांच किलोमीटर की दूरी पर हैं। उन्होंने कहा कि भारत के इस कदम से हमारा पूरा चावल उद्योग प्रभावित हुआ है।


वहीं संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक है, जिससे उसका सालाना आय 6.8 अरब डॉलर है। वहीं पाकिस्तान 2.2 अरब डॉलर के साथ चौथे स्थान पर है। जबकि दोनों देश बासमती चावल के एकमात्र वैश्विक निर्यातक हैं। ज्ञात हो कि बासमती कोलकाता से कराची तक दक्षिणी एशिया में रोजमर्रा के खानपान में शामिल है। बासमती शादी से लेकर अन्य समारोह में भोजन का अहम हिस्सा बन चुका है। वर्ष 1947 में बंटवारे के बाद से दोनों देशों के बीच तीन युद्ध हो चुके हैं। वर्ष 2019 में भारत ने पुलवामा हमले का बदला लेते हुए पाकिस्तान की सरहद में घुसकर एयर स्ट्राइक भी किया था। दोनों मुल्कों के बीच दशकों से राजनयिक संबंध काफी तनावपूर्ण रहे हैं। इतना ही नहीं दोनों देश अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक-दूसरे की खिंचाई करने की कोशिश में लगे रहते हैं।

वहीं यूरोपीयन कमीशन के प्रवक्ता का कहना है कि यूरोपीय संघ के नियमों के मुताबिक दोनों देशों को सितंबर तक एक सौहार्दपूर्ण प्रस्ताव पर विचार करने का प्रयास करना चाहिए। जबकि कानूनी शोधकर्ता डेल्फ़िन मैरी-विवियन का कहना है कि "ऐतिहासिक रूप से देखा जाए तो बासमती को लेकर दोनों देश भारत और पाकिस्तान समान हैं। उन्होंने कहा कि यूरोप में ज्योग्राफिकल इंडिकेशन को लेकर दोनों देशों के बीच कई मामले सामने आए हैं लेकिन हर बार इसे आपसी सहमति से सुलझा लिए गया।

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