Canada PM Justin Trudeau: गहरे संकट में फंसे खालिस्तान के हिमायती जस्टिन ट्रूडो, सरकार पर खतरा, मध्यावधि चुनाव की संभावना
Canada PM Justin Trudeau: भारत विरोधी रवैया अपनाने वाले जस्टिन ट्रूडो के लिए इस संकट से बाहर निकलना मुश्किल माना जा रहा है।
Canada PM Justin Trudeau: कनाडा में जस्टिन ट्रूडो की सरकार गहरे संकट में फंस गई है। पिछले ढाई साल से जस्टिन ट्रूडो को समर्थन देने वाली न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) ने अब गठबंधन से नाता तोड़ लिया है जिसके बाद खालिस्तान के हिमायती माने जाने वाले जस्टिन ट्रूडो की सरकार पर गहरा खतरा मंडरा रहा है।
कनाडा में आम चुनाव एक साल बाद होने हैं मगर जस्टिन ट्रूडो की सरकार के संकट में फंसने के बाद मध्यावधि चुनाव की संभावना जताई जा रही है। भारत विरोधी रवैया अपनाने वाले जस्टिन ट्रूडो के लिए इस संकट से बाहर निकलना मुश्किल माना जा रहा है।
एनडीपी ने तोड़ा ट्रूडो से गठबंधन
कनाडा में न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी ने मार्च 2022 में ट्रूडो की लिबरल पार्टी के साथ गठबंधन किया था। एनडीपी के समर्थन से ट्रूडो कनाडा में अपनी सरकार बनाने में कामयाब हुए थे मगर एनडीपी के समर्थन वापस लेने के बाद उनकी सरकार अल्पमत में आ गई है। एनडीपी के नेता जगमीत सिंह ने कहा है कि वह लिबरल पार्टी के साथ हुए पहले के सभी समझौतों को रद्द कर रहे हैं।
जगमीत ने आरोप लगाया कि लिबरल पार्टी की सरकार कारपोरेट के प्रभाव में काम कर रही है और सरकार का जनता से नाता बिल्कुल कट गया है। ऐसे में ट्रूडो की सरकार को समर्थन देने का कोई मतलब नहीं है। दूसरी और कंजरवेटिव पार्टी के नेता पियरे पोइलिवरे ने जगमीत सिंह को सेलआउट सिंह बताते हुए उनकी घोषणा को मीडिया स्टंट बताया है। वहीं प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने एनडीपी से राजनीति पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय कनाडा के लोगों के हितों में काम करने की अपील की है।
भारत विरोधी माने जाते हैं जगमीत सिंह
वैसे न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता जगमीत सिंह को भारत विरोधी और खालिस्तान समर्थक माना जाता रहा है। इसीलिए ट्रूडो कई बार खालिस्तान की गतिविधियों को नजरअंदाज करके भारत को ही कटघरे में खड़ा कर चुके हैं मगर अब वे खुद इस जाल में फंस चुके हैं। भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल होने और कट्टरपंथियों से संबंध रखने के आरोप में जगमीत सिंह को भारत ने 2013 में वीजा देने से इनकार कर दिया था।
विपक्ष की ओर से अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी
कनाडा के राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अब प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का लक्ष्य संसद के अगले सत्र तक किसी तरह सरवाइव करने का है। कनाडा की संसद का सत्र 16 सितंबर से शुरू होने वाला है। एनडीपी के समर्थन वापस लेने से विपक्षी कंजरवेटिव पार्टी काफी खुश नजर आ रही है। ट्रूडो की सरकार के अल्तमत में आने के बाद विपक्ष की ओर से अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी की जा रही है।
कनाडा में अगले साल अक्टूबर में चुनाव होना है मगर यदि अविश्वास प्रस्ताव के दौरान ट्रूडो की सरकार गिर जाती है तो फिर देश में मध्यावधि चुनाव कराने होंगे। अगर ट्रूडो अन्य दलों का समर्थन जताने में कामयाब नहीं हो सके तो उनकी सरकार का गिरना तय माना जा रहा है। विपक्षी कंजरवेटिव पार्टी का मानना है कि मध्यावधि चुनाव होने की स्थिति में पार्टी को लिबरल पार्टी के मुकाबले फायदा मिलेगा और वह सत्ता में आने में कामयाब हो सकती है।
जस्टिन ट्रूडो के पास अभी बचा हुआ है विकल्प
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अभी यह तय नहीं है कि संसद में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान एनडीपी कंजरवेटिव पार्टी का साथ देगी। एनडीपी ने ट्रूडो की सरकार से समर्थन जरूर वापस ले लिया है मगर कंजरवेटिव पार्टी का साथ देने का कोई संकेत नहीं दिया है।
वैसे ट्रूडो के पास अभी सरकार बचाने का विकल्प बचा हुआ है। यदि वह संसद में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी का समर्थन हासिल करने में कामयाब हुए तो उनकी सरकार को संजीवनी मिल सकती है। हालांकि अभी यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता। इस कारण कनाडा में अभी राजनीतिक अनिश्चितता की स्थिति दिख रही है।