Bangladesh Crisis: भारत के एक और पड़ोसी की आर्थिक स्थिति डावांडोल, बांग्लादेश का भी हो सकता श्रीलंका वाला हश्र

Bangladesh Crisis: कर्ज में दबे श्रीलंका को करेंसी स्वैप देकर बांग्लादेश ने एक समय दुनिया में सुर्खियों बटोरी थीं। मई 2021 में बांग्लादेश ने इस संकटग्रस्त देश को 20 करोड़ की करेंसी स्वैप दी थी।

Update:2022-07-27 15:04 IST

Bangladesh Crisis (image social media)

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Bangladesh Crisis: कर्ज में दबे श्रीलंका को करेंसी स्वैप देकर बांग्लादेश ने एक समय दुनिया में सुर्खियों बटोरी थीं। मई 2021 में बांग्लादेश ने इस संकटग्रस्त द्वपीय देश को 20 करोड़ की करेंसी स्वैप दी थी। यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी भविष्यवाणी दी थी कि आने वाले दिनों में जीडीपी के मामले में ये भारत जैसे अपने बड़े पड़ोसी को भी पीछे छोड़ देगा। लेकिन अब हालात बदल गए हैं। श्रीलंका को मदद कर वाहवाही लूटने वाला बांग्लादेश की स्थिति खूद डावांडोल हो गई है। 

बांग्लादेशी मीडिया और सोशल मीडिया में ऐसी चर्चा जोरों पर है कि क्या बांग्लादेश की स्थिति भी आने वाले दिनों में श्रीलंका जैसी होगी। बांग्लादेश ने हाल ही में आईएमएफ से 4.5 अरब डॉलर का कर्ज मांगा है। बांग्लादेश का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार गिर रही है और निर्यात भी ढ़लान पर है। ऐसे में बांग्लादेश के लोगों को डर है कि श्रीलंका जैसे हालात का सामना उन्हें भी करना पड़ सकता है। 

विदेशी मुद्रा भंडार में जबरदस्त कमी 

बांग्लादेश के विदेश मुद्रा भंडार में तेजी से गिरावट जारी है। बांग्लादेश का विदेश पूंजी का मुख्य स्त्रोत विदेशों में रह रहे प्रवासी बांग्लादेशी नागरिक हैं। इनकी आय में गिरावट आने के कारण ये बेहद कम पैसे भेज रहे हैं। इसके अलावा निर्यात के मुकाबले आयात अधिक हो रहा है, जिससे व्यापार घाटे में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इसका भी खजाने पर नकारात्म असर पड़ रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश ने वित्त वर्ष 2021 -22 के पहले नौ माह में 61.52 अरब डॉलर का आयात किया था। 

पिछले साल इसी अवधि की तुलना में ये यह करीब 44 फीसदी अधिक है। जबकि इसी अवधि में निर्यात की गति काफी धीमी रही, इसमें केवल 33 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। बांग्लादेश का विदेशी मुद्रा भंडार पिछले साल जुलाई तक 45 अरब डॉलर का था, जो अब घटकर 39 अरब डॉलर रह गया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस मुद्रा भंडार से केवल पांच माह तक ही आयात किया जा सकता है। संभव है कि इससे पहले भी ये खत्म हो जाएगा। ईंधन की बढ़ी कीमतों ने देश की मुश्किलें और बढ़ाई हैं। बांग्लादेश ने डीजल से चलने वाले सभी पॉवर प्लांट को बंद कर दिया है। 

परियोजनाओं के लिए भारी कर्ज 

बांग्लादेश ने भीषण आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका की तरह ही अलाभकारी बड़ी परियोजनाओं के लिए भारी भरकम कर्ज लिया। आर्थिक जानकर इन परियोजनाओं को सफेद हाथी कहते हैं। बांग्लादेश के अर्थशास्त्री मुइनुल इस्लाम कहते हैं कि ये प्रोजेक्ट न केवल महंगे हैं बल्कि लाभहीन भी है। इनसे देश को कोई फायदा नहीं पहुंचने वाला। उनका अनुमान है कि देश को प्रति वर्ष 2024 से विदेशी कर्ज वापसी की किस्त के रूप में चार अरब डॉलर का भुगतान करना पड़ सकता है। 

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