तालिबान का ऐसा खौफ, सामान छोड़कर अफगानिस्तान से भाग रहे अमेरिकी सैनिक

अफगानिस्तान पर कब्जा जमाने में जुटे तालिबान का खौफ अमेरिकी सैनिकों के सिर चढ़कर बोल रहा है।;

Written By :  Akhilesh Tiwari
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Published By :  Priya Panwar
Update:2021-07-12 22:50 IST
Afghanistan Taliban
प्रतिकात्मक तस्वीर, फोटो क्रेडिट: सोशल मीडिया 
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नई दिल्ली । अफगानिस्तान पर कब्जा जमाने में जुटे तालिबान का खौफ अमेरिकी सैनिकों के सिर चढ़कर बोल रहा है। अफगानिस्तान से वापसी कर रहे अमेरिकी सैनिक हड़बड़ी और असुरक्षा के चलते अपने सैन्य सामान भी छोड़कर चले जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि अमेरिकी सैनिक अपने पीछे महत्वपूर्ण मशीनों और युद्ध उपकरणों को भी छोड़कर जा रहे हैं जिन पर तालिबान ने कब्जा जमाना शुरू कर दिया है।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से हरी झंडी मिलने के बाद अमरीका ने अफगानिस्तान से अपने सैनिकों की वापसी तेज कर दी है। इसी के चलते तालिबान ने एलान भी कर दिया है कि वह दो हफ्ते के अंदर पूरे अफगानिस्तान पर अपना कब्जा कर लेंगे। तालिबान का दावा है कि उन्होंने 85 प्रतिशत अफगानिस्तान पर अपना कब्जा स्थापित कर लिया है। इसी बीच यह जानकारी भी मिल रही है कि अफगानिस्तान से बाहर निकलने की जल्दबादी में अमेरिकी सैनिक अपने साजो-सामान भी छोड़कर चले जा रहे हैं। रूसी मीडिया का दावा है कि तालिबान के डर से अमेरिकी सैनिक अपनी सुरक्षा पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। ऐसे में उन्होंने सैन्य साजो-सामान को हटाने को प्राथमिकता देना बंद कर दिया है। ऐसा प्रतीत होता है कि अमेरिकी सैनिक डरे हुए हैं और वह अफगानिस्तान से जल्द से जल्द निकल जाना चाहते हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, फोटो क्रेडिट : सोशल मीडिया 

20 साल से  अफगानिस्तान में डटे थे अमेरिकी सैनिक 

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने मीडिया से बातचीत में इसकी पुष्टि की है। उन्होंने मीडिया को बताया है कि पिछले 20 साल से अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिक डटे हुए थे लेकिन अब उन्होंने वहां से लौटना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी सुरक्षा बलों की अफगानिस्तान से वापसी वहां पर लोकतंत्र की बहाली का मौका है लेकिन जिस तरह से अमेरिकी सैनिक अपना सैन्य साजो-सामान छोड़कर वहां से लौट रहे हैं वह साफ बताता है कि वह बहुत हड़बड़ी में ऐसा कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि समेकित सुरक्षा संधि समूह सीएसटीओ के सदस्य देशों के इलाकों में विदेशी सैनिकों की मौजूदगी के लिए सीएसटीओ की अनुमति जरूरी है। बगैर इस तरह की अनुमति हासिल किए कोई भी नया मिलिटरी बेस नहीं बनाया जा सकता है। ऐसी कोई भी कोशिश मध्य एशिया की सुरक्षा के प्रतिकूल हो सकता है।

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव, फोटो क्रेडिट : सोशल मीडिया

अफगान में हुई आतंकी हमलों में बढ़ोतरी

रूसी विदेश मंत्री ने कहा कि अमेरिका की मंशा इस इलाके में अपनी मजबूत सैन्य मौजूदगी बनाए रखने की है और इसे सभी समझ रहे हैं। इससे पहले रूस ने यह भी कहा है कि अमेरिकी सैनिकों की वापसी के साथ ही अफगानिस्तान में आतंकी हमलों में बढ़ोत्तरी हुई है। विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों की मौजूदगी का कोई फायदा नहीं हुआ।

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