मंगल ग्रह पर लैंड करेगा NASA रोवर, बड़ा भाई 'मार्स इनसाइट' कर रहा इंतज़ार

बता दें कि मंगल ग्रह पर लैंड करने से आधे घंटे पहले तक पर्सिवरेंस मार्स रोवर की गति करीब 80 हजार किलोमीटर प्रतिघंटा होगी। वहीं जिसे 30 मिनट में कम करके इस स्तर पर लाना होगा जिससे वह तेजी से मंगल ग्रह पर न गिरे।

Update:2021-02-18 08:49 IST
मंगल ग्रह पर लैंड करेगा NASA रोवर, बड़ा भाई 'मार्स इनसाइट' कर रहा इंतज़ार (PC: social media)

नई दिल्ली: आज यानी 18 फरवरी को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी का अंतरिक्षयान मंगल ग्रह की सतह पर देर रात लैंड करेगा। मंगल ग्रह तक पहुंचने में नासा के पर्सिवरेंस मार्स रोवर को काफी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ सकता है। कुछ दिक्कतें ऐसी हैं, जिनमें से कुछ पर्सिवरेंस रोवर को खुद ही निपटना होगा, लेकिन मंगल ग्रह पर उसका बड़ा भाई पहले से मौजूद है। जो उसे मंगल ग्रह की समस्या से बचाएगा। तो आइए आज हम आपको बताते हैं कि पर्सिवरेंस को क्या-क्या दिक्कतें आने वाली हैं? और उसका बड़ा भाई उसे कैसे बचाएगा?

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बता दें कि मंगल ग्रह पर लैंड करने से आधे घंटे पहले तक पर्सिवरेंस मार्स रोवर की गति करीब 80 हजार किलोमीटर प्रतिघंटा होगी। वहीं जिसे 30 मिनट में कम करके इस स्तर पर लाना होगा जिससे वह तेजी से मंगल ग्रह पर न गिरे। ये तो हुई पहली दिक्कत। वहीं दूसरी सबसे बड़ी दिक्कत है गर्मी।

NASA Perseverance Mars Rover (PC: social media)

मंगल ग्रह पर भी भूकंप आते हैं

सौर मंडल के मंगल ग्रह के वायुमंडल में प्रवेश करते ही पर्सिवरेंस मार्स रोवर को घर्षण के कारण 1000 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान बर्दाश्त करना होगा। इसके साथ ही वो मंगल के जिस गड्ढे में उतर रहा है, उसे जेजेरो क्रेटर कहते हैं। जेजेरो क्रेटर में गहरी घाटियां, तीखे पहाड़, नुकीले क्लिफ, रेत के टीले और पत्थरों का समुद्र है। ऐसे में पर्सिवरेंस मार्स रोवर की लैंडिंग कितनी सही होने वाली है इस बात का सबको इंतज़ार हैं।

अमेरिका ने नवंबर 2018 में मंगल की सतह पर पहुंचाया था

अब चलते हैं बड़े भाई की तरफ जो लाल ग्रह यानी अपने मंगल पर पर्सिवरेंस मार्स रोवर का इंतजार कर रहा है। इस बड़े भाई का नाम है मार्स इनसाइट। ये नासा का एक रोवर है, जिसे अमेरिका ने नवंबर 2018 में मंगल की सतह पर पहुंचाया था। बड़े भाई यानि मार्स इनसाइट का एक ही काम है, वह है मंगल की सतह और गर्भ में आने वाले भूकंपों की जानकारी देना। नवबंर 2018 के बाद से ये लगातार सिर्फ मंगल ग्रह पर आ रहे भूकंपों की जानकारी जमा करके नासा को भेज रहा है। जब पर्सिवरेंस मार्स रोवर मंगल की सतह पर उतरेगा, उस समय इनसाइट नासा और पर्सिवरेंस दोनों को ये बताएगा कि उसकी लैंडिंग साइट पर कोई भूकंप तो नहीं आने वाला।

मंगल ग्रह पर भी भूकंप आते हैं

साल 2019 में मार्स इनसाइट की टीम ने पहली बार दुनिया को बताया था कि मंगल ग्रह पर भी भूकंप आते हैं। हालांकि ये भूकंप धरती के भूकंप से थोड़े अलग होते हैं, ये किस प्रकार के होते हैं ये अभी किसी को पता नहीं चला है। धरती पर भूकंप को मापने के लिए हजारों केंद्र बनाए गए हैं। मंगल ग्रह पर तो एक ही केंद्र हैं। जिसे मार्स इनसाइट कहते हैं। पर्सिवरेंस मार्स रोवर की लैंडिंग के दौरान इनसाइट अपना काम करेगा। जैसे ही पर्सिवरेंस मंगल की सतह पर उतरेगा, इनसाइट की जमीन में हुए कंपन से पता चल जाएगा कि भाई सुरक्षित लैंड कर गया है।

NASA Perseverance Mars Rover (PC: social media)

अगर यान की गति धीमी की जाए तो उससे सोनिक बूम होगा

बता दें, जब भी कोई यान किसी सतह पर लैंड करता है तो तीन तरह की भूकंपीय गतिविधियां होती हैं। पहली- अचानक से अगर यान की गति धीमी की जाए तो उससे सोनिक बूम होगा। इससे निकलने वाली शॉकवेव से भूकंपीय गतिविधि होगी। दूसरी- यही सोनिक बूम को अगर वायुमंडल अपने में सोख ले तो भी काफी दूरी तक कंपन पैदा कर देगा।

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बड़े भाई इनसाइट को खबर मिल जाएगी कि लैंडिंग हो चुकी है

तीसरी- जो सबसे प्रमुख है। अगर पर्सिवरेंस मार्स रोवर की लैंडिंग से मंगल की सतह पर गड्ढा हुआ तो भी उसकी लैंडिंग साइट से 3000 किलोमीटर दूर बैठे बड़े भाई इनसाइट को खबर मिल जाएगी कि लैंडिंग हो चुकी है। नासा के साइंटिस्ट्स को इसी बात की चिंता है कि पर्सिवरेंस मार्स रोवर सुरक्षित मंगल ग्रह की सतह तक पहुंच जाए।

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