आईएस का राज खत्म होने पर पीने वालों की मौज,अल दुवासा में कई शराब के स्टोर खुले
बगदाद। इराक के मोसुल शहर ने कुख्यात आईएस यानी इस्लामिक स्टेट के एकछत्र राज में तीन साल बिताए हैं। इस दौरान शराब पीने पर कड़ी पाबंदी थी। जो कोई पीने की हिमाकत करता था उसे सार्वजनिक रूप से कोड़े मारे जाते थे और कई बार तो इससे भी कहीं बुरी सजा दी जाती थी। अब एक साल से ज्यादा हो चला है जब इराकी बलों ने मोसुल को इस्लामिक स्टेट के कब्जे से मुक्त कराया था। इस बीच, वहां शराब की दुकानें खूब फल फूल रही हैं। शहर के पश्चिमी व्यावसायिक इलाके अल दुवासा में कई आधुनिक शराब के स्टोर खुले हैं, जिनमें से एक के मालिक हैं खैरल्लाह टोबी। 21 साल का यह नौजवान शेल्फ पर हाथ घुमाता है और बीयर की बोतल निकालता है। ऐसी एक बोतल डेढ़ हजार इराकी दीनार की है, जिसे ज्यादा महंगी नहीं कहा जाएगा।
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इराकी यजीदी समुदाय से संबंध रखने वाले टीबी कहते हैं, हमारी बिक्री आजकल बहुत बढिय़ा चल रही है। मोसुल में शराब की दुकानों के सभी मालिक या तो यजीदी हैं या ईसाई, क्योंकि इराक में मुसलमानों को अल्कोहल बेचने का लाइसेंस नहीं दिया जाता। आईएस ने 2014 में मोसुल पर कब्जा करने के बाद वहां शरिया कानून को सख्ती को लागू किया था। इसमें किसी को भी शराब बेचने और खरीदने या पीने की अनुमति नहीं थी। स्थानीय लोग बताते हैं कि शहर में पीना पिलाना पूरी तरह बंद नहीं हुआ था। पीने वाले तस्करी के जरिए जैसे तैसे मंगा ही लेते थे, लेकिन शराब महंगी बहुत मिलती थी और ऊपर से खतरा भी बहुत था। जुलाई 2017 से मोसुल जब से इराकी सरकार के नियंत्रण में लौटा है, तब से यहां खुले आम शराब बिक रही है। बता दें कि इस्लाम में शराब पीने की मनाही है, लेकिन मुस्लिम बहुल इराक में शराब बहुत आम रही है। दो साल पहले देश के राष्ट्रपति ने उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया जिसमें शराब के उत्पादन और उसके आयात पर रोक लगाने की मांग की गई थी।
मोसुल में शराब की दुकानें खुल जाने से हर कोई खुश नहीं है। कई लोगों का कहना है कि शराब के स्टोर्स को धार्मिक कारणों से बंद करना चाहिए। वे मानते हैं कि युवा पीढ़ी को बचाने के लिए भी यह कदम उठाना जरूरी है। लेकिन अन्य लोग कहते हैं कि यह अन्य लोगों के व्यक्तिगत अधिकारों का हनन होगा।
1960 और 1970 के दशक के मोसुल की कहानियां बताती हैं कि उस समय लोग खुले आम बार, क्लब और शराब की दुकानों में जाते हैं।
स्थानीय अधिकारी जुहैर अल आराजी कहते हैं कि उनके पास शराब की दुकानों के लाइसेंस के 100 से ज्यादा आवेदन मिले हैं और अभी तक 25 लाइसेंस जारी किए जा चुके हैं।