Pakistan Crisis: पाकिस्तान में नया संकट, दवाओं की भारी कमी

Pakistan Crisis: हालात ये हैं कि पाकिस्तान में दवा उत्पादन हाल के महीनों में 21.5 फीसदी तक घट गया है। इसकी मुख्य वजह यह है कि बैंक कच्चे माल के इम्पोर्ट के लिए फण्ड देने से इनकार कर रहे हैं।

Written By :  Neel Mani Lal
Update: 2023-03-05 08:57 GMT

Pakistan Crisis (Pic: Social Media)

Pakistan Crisis: अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की ओर से मिलने वाले 1.1 अरब डॉलर के बेलआउट फंड के जारी होने में हो रही देरी के चलते पाकिस्तान में फार्मा उद्योग पर संकट गहराता जा रहा है। हालात ये हैं कि पाकिस्तान में दवा उत्पादन हाल के महीनों में 21.5 फीसदी तक घट गया है। इसकी मुख्य वजह यह है कि बैंक कच्चे माल के इम्पोर्ट के लिए फण्ड देने से इनकार कर रहे हैं। गहराते दवा संकट की वजह से मरीजों की देखभाल तो प्रभावित हो ही रही है, हजारों नौकरियों पर भी खतरा है। दवाओं की कमी पूरे पाकिस्तान में है।

बैंकों ने हाथ खींचे 

पाकिस्तान फार्मास्युटिकल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अनुसार कमर्शियल बैंक आयात के भुगतान की औपचारिक गारंटी के रूप में एलसी बहुत ही कम जारी कर रहे हैं। इसकी वजह विदेशी मुद्रा भंडार की खस्ता स्थिति है। सिर्फ पचास फीसदी एलसी जारी करने की वजह से दवा और कच्चा माल का बहुत कम इम्पोर्ट हो रहा है। नतीजतन बाजारों में जमाखोरी और महंगाई है।

आईएमएफ पर निगाहें

एलसी की समस्या तबतक चलेगी जब तक आईएमएफ 1.1 अरब डॉलर की राहत राशि जारी नहीं कर देता। आईएमएफ की एक टीम ने फरवरी में इस्लामाबाद में पाकिस्तानी वित्त मंत्री इशाक डार के साथ बातचीत की थी लेकिन फंड रिलीज करने को लेकर कोई समझौता नहीं हो सका।

विदेशी कच्चे माल पर निर्भरता

पाकिस्तान में बनने वाली ज्यादातर दवाएं विदेशी कच्चे माल पर निर्भर हैं। पिछले एक साल में पाकिस्तानी रुपये में आई भारी गिरावट की वजह से कच्चे माल की कीमतें बहुत बढ़ गई हैं। पाकिस्तान में दवा की कीमतें ड्रग रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ पाकिस्तान की सिफारिश पर संघीय सरकार तय करती है।

प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ की सरकार जनता के आक्रोश के डर से दवा उद्योग के 38.5 फीसदी की मूल्य वृद्धि के अनुरोध को स्वीकार नहीं कर रही है क्योंकि देश में महंगाई पहले ही करीब 31.5 फीसदी तक बढ़ गई है। नियामक ने हाल ही में 19 दवाओं की कीमतों में मामूली वृद्धि को मंजूरी दी थी लेकिन फार्मा उद्योग के लोगों ने इसे अपर्याप्त बताते हुए खारिज कर दिया।

चार विदेशी कंपनी गईं

चार बहुराष्ट्रीय फार्मास्युटिकल कंपनियां पहले ही पाकिस्तान छोड़ चुकी हैं और एक अन्य छोड़ने की स्थिति में आ चुकी है, जबकि 40 स्थानीय कंपनियों ने बताया है कि वे उत्पादन की बढ़ती लागत के कारण बंदी के कगार पर हैं। फार्मा कंपनियों ने यह भी शिकायत की है कि बाजार में डॉलर की कमी के कारण भुगतान में देरी हो रही है जिसकी वजह से चीन, यूरोप और अमेरिका से आयातित कच्चे माल और चिकित्सा उपकरण ले जाने वाले दर्जनों जहाज और कंटेनर बंदरगाहों पर फंस गए हैं।

मरीजों की आफत

बाजार में मधुमेह, हृदय, गुर्दे और अस्थमा की दवाएं भी उपलब्ध नहीं हैं। राजधानी इस्लामाबाद के दूसरे सबसे बड़े सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने दवा की कमी की पुष्टि की और बताया कि केटाकोन्जोल (फंगल संक्रमण), राइसेक इंजेक्शन (गैस्ट्रोओसोफेगल), वीटा 6 (टीबी), ट्रेवियामेंट (मधुमेह), न्यूरोमेट (एनीमिया और तंत्रिका क्षति) और हर्परिन इंजेक्शन (रक्त को पतला करने के लिए) जैसी दवाइयों की कमी है।

कुछ महीनों में कीमोथेरेपी से संबंधित सभी दवाओं की कीमत दोगुनी हो गई हैं। ऐसी भी खबरें हैं कि सरकारी अस्पतालों ने आयातित ऑक्सीजनेटर्स, कोरोनरी स्टेंट, ट्रांसप्लांट किट और सीरिंज की अनुपलब्धता या कमी के कारण बेहद जरूरी सर्जरी को टाल दिया है।

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