पहली बार सिंध एसेंबली पहुंची 'शीदी महिला'

Update: 2018-08-03 08:24 GMT
पहली बार सिंध एसेंबली पहुंची 'शीदी महिला'

कराची : पाकिस्तान में इस बार के चुनाव में कई चीजें ऐसी हुयीं जो देश के संसदीय इतिहास में पहली मर्तबा हुई हैं। इनमें से भी कई चीजों का श्रेय पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी को जाता है। इन अभूतपूर्व चीजों में एक है पहली बार किसी सिंधी 'शीदी' महिला का निर्वाचन। ये महिला हैं तंजीला $कमब्रानी। सिंध के समाज में 'शीदी' समुदाय की वंशावली अफ्रीका से जुड़ी हुई है और इस समुदाय के खिलाफ तरह-तरह से भेदभाव किया जाता है। सिंध विश्वविद्यालय से कंप्यूटर साइंस में पोस्ट ग्रेजुएट 39 वर्षीय तंजीला चुनाव में अपनी सफलता को बहुत बड़ी उपलब्धि मानती हैं। तीन बच्चों की मां कहती हैं कि सिंध एसेंबली में किसी शीदी का चुना जाना बहुत बड़ी बात है। इस काम के लिये बहादुरी चाहिये जो बेनजीर भूट्टो के बेटे ही कर सकते थे और उन्होंने ऐसा कर दिखाया।

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ऐसा पहली बार नहीं है कि पार्टी ने पहली बार तंजीला को किसी पद पर बैठाया है। इसके पहले पीपीपी ने उन्हें बदिन जिले के मटली में म्यूनिसपल कमेटी के अध्यक्ष पद पर मनोनीत किया था। तंजीला कहती हैं कि इस मनोनयन का पीपीपी के कुछ प्रभावशाली लोगों ने तगड़ा विरोध भी किया था। पार्टी के एक सदस्य ने तो बतौर निर्दलीय अध्यक्ष पद का चुनाव भी लड़ा। उसे कुछ अन्य सदस्योन का समर्थन मिला और वो चुनाव जीत गया। पीपीपी ने उसके निर्वाचन को चुनौती दी लेकिन चुनाव आयोग ने निर्वाचन को सही ठहराया। तंजीला बताती हैं कि एक सदी पहले उनके परदादा तंजानिया से यहां लाए गए थे। तंजीला की एक बहन की शादी भी तंजानिया में हुई है। तंजीला का रूप रंग अफ्रीकियों जैसा ही है। वो बताती हैं कि पढ़ाई के दौरान बहुत से छात्र उनको सूडानी समझते थे। उन पर तरह-तरह के कमेंट किये जाते थे। तंजीला का कहना है कि चुनाव में मिली जीत से लगता है मानों सदियों बाद कोई जहाज किनारे लगा हो।

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