सियोल। दूसरे विश्वयुद्ध से पहले की बात है जब जापान ने दक्षिण कोरिया पर कब्जा कर लिया था। किम तब महज 14 साल की थीं और मां बाप के घर से निकाल कर उन्हें युद्ध में काम के लिए जबर्दस्ती मोर्चे पर भेज दिया गया। मोर्चे पर पहुंचने के बाद किम ने खुद को फैक्ट्री की बजाए एक वेश्याघर में पाया जहां सैनिक आते और उनके साथ सेक्स करते। हर रोज सुबह से शाम तक का यह सिलसिला कई सालों तक चला। 2013 में एक इंटरव्यू में किम ने कहा था कि वह सेक्स गुलामी थी, उसके लिए और कोई शब्द नहीं है।
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किम जब सालों बाद वापस अपने घर आईं तो उन्होंने अपने परिवारवालों को नहीं बताया कि उनके साथ क्या हुआ लेकिन जो कुछ उन्हें झेलना पड़ा था उसकी वजह से वह खुद को शादी के लिए तैयार नहीं कर पाईं। उनका कहना था, 'मैं एक औरत की तरह पैदा हुई लेकिन औरत की तरह कभी जी नहीं सकी।' उनकी मां जब उन पर शादी के लिए ज्यादा दबाव बनाने लगीं तो एक दिन उन्होंने सारा हाल बयान कर दिया। किम की मां इस सदमे को सहन नहीं कर सकीं और जल्दी ही उनकी मौत हो गई। किम ने उसके बाद शादी नहीं की। किम बुसान शहर में एक रेस्तरां चलाती थीं और 1992 से जापान के दूतावास के पास सड़क पर विरोध जताने के लिए होने वाली रैलियों में वो नियमित रूप से पहुंचती थीं।
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किम के निधन पर बड़ी संख्या में लोग शोक मनाने सियोल की सड़कों पर उतरे। किम का शव लेकर जा रही गाड़ी के साथ मौजूद लोगों में ज्यादातर ने काले कपड़े पहन रखे थे और उनके हाथों में पीले रंग की तितलियों के कटआउट थे जो सेक्स गुलामी का प्रतीक माना जाता है। किम की मौत पांच दिन का शोक मनाया गया। सियोल के जिस अस्पताल में किम की मौत हुई वहां एक स्मारक बना दिया गया है।
किम उन 2 लाख महिलाओं में थीं जिन्हें जापानी सैनिकों का दुव्र्यवहार झेलना पड़ा था। इनमें दूसरे एशियाई देशों की महिलाएं भी शामिल थीं। इन्हें 'कंफर्ट वीमेन' कहा जाता था। दक्षिण कोरिया की 239 पीडि़त महिलाओं ने सामने आकर इस पीड़ा को बयान किया था और इनमें से अब सिर्फ 23 ही जिंदा हैं। इस मुद्दे ने दक्षिण कोरिया और जापान के बीच रिश्तों में कई दशकों तक तनाव बनाए रखा। कोरियाई प्रायद्वीप पर जापान ने 1910 में ही कब्जा कर लिया था जो 1945 में दूसरे विश्वयुद्ध के रुकने के बाद ही खत्म हुआ। हालांकि इन महिलाओं का मुद्दा 1990 के दशक तक बहुत सुर्खियों में नहीं आया। दक्षिण कोरिया में महिला अधिकारों का मुद्दा गर्म होने के बाद किम समेत मुट्ठीभर महिलाओं ने कोशिश की कि उनके शोषण को भुलाया न जा सके। यह लोग चाहते हैं कि जापान इस मुद्दे पर आधिकारिक तौर पर माफी मांगे और पीडि़त महिलाओं को मुआवजा दे।
1991-1993 के बीच जापान की सरकार ने इस मामले की जांच कराई जिसके बाद माना गया कि कई महिलाओं को उनकी मर्जी के बगैर इन वेश्यालयों में रखा गया था। इसके बाद 1993 में जापान ने औपचारिक रूप से इस मुद्दे पर माफी मांगी हालांकि प्रधानमंत्री शिंजो आबे समेत कुछ राजनेता उससे पीछे हटते रहे हैं और यह सवाल उठाते हैं कि क्या सचमुच उन महिलाओं को जबर्दस्ती वेश्यावृत्ति पर विवश किया गया। जापान का कहना है कि कोरियाई प्रायद्वीप पर औपनिवेशिक शासन से जुड़े सारे मुआवजे निपटा दिए गए हैं।