Tablighi Jamaat: जानिए क्यों सऊदी अरब ने तब्लीगी जमात को आतंकवाद का पोषक बताया

सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान अपने देश की कट्टरपंथी छवि को बदलने में जुटे हुए हैं। उनका ध्यान अपने देश को सभी धर्मों का सम्मान करने वाले के तौर पर बनाने की ओर केंद्रित है।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Divyanshu Rao
Update:2021-12-12 12:31 IST

Tablighi Jamaat: सऊदी अरब ने तब्लीगी जमात को आतंकवाद का दरवाजा करार दिया है और कहा है कि मस्जिदों से जुमे की नमाज के बाद लोगों को तब्लीगी जमात से न जुड़ने और इस समूह से पैदा होने वाले खतरों को भी बताया जाए। बता दें कि तब्लीगी जमात पर सऊदी अरब में बहुत पहले से प्रतिबंध लगा हुआ है। तब्लीगी जमात वाले खुलेआम सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के सामाजिक सुधारों की आलोचना करते हैं। इसके अलावा इन लोगों ने अफगानिस्तान में तालिबान की जीत पर खुशियां मनाई थीं, ये सब सऊदी अरब को बहुत नागवार गुजरा है।

दरअसल, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान अपने देश की कट्टरपंथी छवि को बदलने में जुटे हुए हैं। उनका ध्यान अपने देश को सभी धर्मों का सम्मान करने वाले के तौर पर बनाने की ओर केंद्रित है। यही कारण है कि पिछले कई साल में महिलाओं के अधिकारों में उल्लेखनीय वृद्धि की गई है। तब्लीगी जमात पर हमले के अलावा सऊदी अरब ने पिछले महीने सीरियाई मुस्लिम ब्रदरहुड और दिवंगत मुस्लिम स्कॉलर मुहम्मद सुरूर के खिलाफ सख्त बयान दिए थे। नए आदेश में अल अहबाब संगठन को भी आतंकवाद का पोषक बताया गया है।

बहरहाल, 150 से अधिक देशों में फैले तब्लीगी जमात के 35 करोड़ सदस्य हैं और सऊदी अरब के इस सख्त फैसले का का तब्लीगी जमात पर गहरा असर पड़ने की संभावना है क्योंकि तब्लीगी को अच्छी खासी फंडिंग सऊदी अरब से होती है।

सऊदी अरब के इस्लामिक मामलों के मंत्री अब्दुल लतीफ बिन अब्दुल अजीज अल शेख ने सऊदी अरब के इमामों को आदेश दिया है कि वे तब्लीगी जमात को पथभ्रष्ट, गुमराह, खतरनाक और आतंकवाद के जन्मदाता के रूप में पहचानें।

तब्लीगी जमात के लोगों की तस्वीर (फोटो:सोशस मीडिया)

क्या है तब्लीगी जमात

तब्लीगी जमात की शुरुआत लगभग 100 साल पहले देवबंदी इस्लामी विद्वान मौलाना मोहम्मद इलयास कांधलवी ने एक धार्मिक सुधार आंदोलन के रूप में की थी। तब्लीगी जमात का मकसद पैगंबर मोहम्मद के बताए गए इस्लाम के पांच बुनियादी अरकान (सिद्धातों) कलमा, नमाज, इल्म-ओ-जिक्र (ज्ञान), इकराम-ए-मुस्लिम (मुसलमानों का सम्मान), इखलास-एन-नीयत (नीयत का सही होना) और तफरीग-ए-वक्त (दावत और तब्लीग के लिए समय निकालना) का प्रचार करना होता है।

जमात से जुड़े लोग पूरी दुनिया में इस्लाम के प्रचार-प्रसार का काम करते हैं। 10, 20, 30 या इससे ज्यादा लोगों की जमातें देश और दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से यहां पहुंचते हैं और फिर यहां से उन्हें देश के अलग-अलग हिस्सों में भेजा जाता है जहां की मस्जिदों में ये लोग ठहरते हैं और वहां के लोकल मुसलमानों से नमाज पढ़ने और इस्लाम की दूसरी शिक्षाओं पर अमल करने की गुजारिश करते हैं। दक्षिण एशिया में मोटे तौर पर तब्लीगी जमातों से 15 से 25 करोड़ लोग जुड़े हुए हैं।

तब्लीगी जमात दुनिया के कई दिस्सों में समय-समय पर मरकज का आयोजन करती है। इनके मरकज भोपाल, मुंबई के नेरुल, दिल्ली में निजामुद्दीन, ब्रिटेन के वेस्ट यॉर्कशायर के ड्यूज़बरी, बांग्लादेश की राजधानी ढाका और पाकिस्तान के लाहौर के पास स्थित रायविंड शहर में किया जाता है।

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