प्रतिबंध के बाद अमेरिका-रूस में बढ़ी तनातनी, ट्रंप ने बेमन भरी थी हामी

Update:2017-08-11 18:49 IST

वाशिंगटन/मास्को। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के बाद रूस से उसके रिश्ते लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। राष्ट्रपति चुनाव के दौरान रूस पर यह आरोप लगा था, कि उसने हिलेरी क्लिंटन के खिलाफ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मदद की थी।

हालांकि ट्रंप लगातार इसका खंडन करते रहे हैं। दोनों देशों के बीच बिगड़ते रिश्तों में एक और कड़ी उस समय जुड़ गयी जब ट्रंप ने रूस के खिलाफ प्रतिबंध वाले विधेयक पर हस्ताक्षर कर दिया। इससे पहले उन्होंने मॉस्को के खिलाफ ऐसे किसी कदम का विरोध किया था। व्हाइट हाउस के सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रपति ने बंद कमरे में और कैमरों से दूर विधेयक पर हस्ताक्षर किए। उन्होंने अपने वीटो के खिलाफ कांग्रेस के किसी भी संभावित कदम को टालने का काम किया।

अमेरिकी सीनेट ने इस विधेयक को मंजूरी दी जिसमें 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में रूस के कथित तौर पर संलिप्त रहने और 2014 में क्रीमिया पर कब्जे के लिए प्रतिबंध कड़े करने की बात है। प्रतिबंध वाले इस विधेयक में ईरान और उत्तर कोरिया भी अमेरिका के निशाने पर हैं।

खतरनाक स्तर पर पहुंच गए हैं दोनों देशों के रिश्ते:ट्रंप

दोनों देशों के बिगड़ते रिश्तों को ट्रंप के एक बयान से भी समझा जा सकता है। ट्रप ने कहा कि रूस के साथ अमेरिका के संबंध अब तक के अपने सबसे निचले और बहुत ही खतरनाक स्तर पर पहुंच गए है।

ट्रंप ने ट्वीटर पर कहा कि उन्होंने अनिच्छापूर्वक मास्को के खिलाफ प्रतिबंधों को मंजूरी दी है। वैसे उन्होंने इसके लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने स्वास्थ्य देखभाल सुधार योजनाओं पर सीनेट में अपनी हालिया शिकस्त का हवाला देते हुए कहा कि आप कांग्रेस का शुक्रिया अदा कर सकते हैं। ये वही लोग हैं जो हमें हेल्थ केयर नहीं दे सकते।

इस बीच अमेरिका के विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने अमेरिका-रूस संबंधों के पहले से और खराब होने की चेतावनी दी है। टिलरसन ने मार्च में अपनी क्रेमिलन यात्रा के बाद इस बात को स्वीकार किया था कि सुधार के थोड़े से संकेतों के बावजूद संबंध ऐतिहासिक रूप से बहुत बिगड़े हुए हैं। टिलरसन ने कहा कि रूस के खिलाफ प्रतिबंधों ने संबंधों को और जटिल कर दिया है।

रूस ने अमेरिकी प्रतिबंधों को आर्थिक युद्ध बताया

अमेरिकी प्रतिबंधों के खिलाफ रूस ने करारा हमला बोला है। रूस के प्रधानमंत्री दमित्री मेदवेदेव ने इन प्रतिबंधों को रूस के खिलाफ पूर्ण आॢथक युद्ध बताते हुए इसकी निंदा की और कहा कि इसने संबंधों में सुधार की उम्मीद खत्म कर दी है। उन्होंने कहा कि इन प्रतिबंधों ने बेहद अपमानजनक तरीके से राष्ट्रपति ट्रंप की कमजोरी दिखाई है। मेदवेदेव ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि अमेरिका को इसके नतीजे भुगतने के लिए तैयार रहना होगा। इसने नये अमेरिकी प्रशासन के साथ संबंधों में सुधार की उम्मीद पूरी तरह खत्म कर दी है।

मेदवेदेव ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा है कि ये प्रतिबंध रूस के खिलाफ पूर्ण युद्ध की घोषणा करता है। ट्रंप पर तंज कसते हुए मेदवेदेव ने कहा कि बेहद अपमानजनक रूप में कांग्रेस को कार्यकारी शक्ति सौंपकर ट्रंप प्रशासन ने अपनी लाचारी दिखा दी है। ट्रंप ने इस कानून पर गुपचुप तरीके से हस्ताक्षर किए और अनिच्छा से हस्ताक्षर के उनके बयान से उनकी लाचारी दिखती है।

मेदवेदेव ने कहा कि कानून को पारित करने की जल्दबाजी में कांग्रेस ने राष्ट्रपति की रूस से बातचीत करने की उनकी क्षमता पर प्रतिबंध समेत कई स्पष्ट असंवैधानिक प्रावधानों को शामिल किया। कानून में रूसी ऊर्जा क्षेत्र को निशाना बनाते हुए उत्तर कोरिया एवं ईरान के खिलाफ उपायों को शामिल किया गया है। उधर ईरान ने भी इन प्रतिबंधों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है।

पुतिन ने 755 अमेरिकी राजनयिकों को निकाला

उधर, रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने अमेरिका के प्रतिबंधों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करते हुए 755 अमेरिकी राजनयिकों को रूस छोडऩे को कहा है। पुतिन ने यह चेतावनी भी दी है कि हो सकता है कि अमेरिका के साथ लंबे समय तक रूस के रिश्तों में सुधार न हो सके। इन अमेरिकी राजनयिकों को एक सितंबर तक रूस छोडऩे को कहा गया है। रूस की जवाबी कार्रवाई काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि यह मौजूदा दौर में किसी भी देश से राजनयिकों का सबसे बड़ा निष्कासन माना जा रहा है।

रूस के विदेश मंत्रालय ने पहले मांग की थी कि वाशिंगटन रूस में सितम्बर तक राजनयिकों की संख्या घटाकर 455 तक करे क्योंकि इतने ही रूसी राजनयिक अमेरिका में हैं। पुतिन ने रोसिया-24 टेलीविजन को दिए साक्षात्कार में कहा कि अमेरिका के दूतावास और महावाणिज्य दूतावासों में एक हजार से ज्यादा लोग काम कर रहे हैं, लेकिन इनमें से 755 लोगों को अब रूस में अपनी गतिविधियों को रोकना होगा।

उन्होंने कहा कि वे और कदम भी उठा सकते थे, लेकिन अभी वे इसके खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि हमने स्थिति बेहतर बनाने के लिए लंबे समय तक इंतजार किया। स्थिति बदल भी रही है, लेकिन तुरंत ही इसमें सुधार हो इसकी संभावना कम ही दिखती है। मॉस्को के साथ ही व्लादिवोस्तोक और सेंट पीटर्सबर्ग स्थित दूतावास के कर्मचारी भी इससे प्रभावित हुए हैं।

ओबामा ने भी की थी रूसी राजनयिकों पर कार्रवाई

दिसंबर में ओबामा प्रशासन ने हिलेरी क्लिंटन के अभियान की कथित हैकिंग के जवाब में अमेरिका में दो रूसी अहाते को अपने कब्जे में लेने के साथ ही 35 रूसी राजनयिकों को निष्कासित किया था। व्हाइट हाउस की आपत्तियों के बावजूद रूस पर ताजा अमेरिकी प्रतिबंधों का कांग्रेस के दोनों सदनों ने अनुमोदन किया था। अमेरिकी खुफिया विभाग का मानना है कि रूस ने ट्रंप के पक्ष में चुनावी माहौल बनाने की कोशिश की और अब इस बाबत जांच चल रही है कि रूस की मदद ने अमेरिकी चुनाव को कहाँ तक प्रभावित किया। वैसे ट्रंप हमेशा इस बात का खंडन करते रहे हैं कि रूस से उन्हें चुनाव में किसी तरह की मदद मिली।

ईरान को अलग-थलग रहना मंजूर नहीं : रूहानी

ईरान के राष्ट्रपति के रूप में दूसरा कार्यकाल शुरू कर रहे हसन रूहानी ने कहा है कि नई अमेरिकी पाबंदी विश्व शक्तियों के साथ उसके परमाणु करार का उल्लंघन है। रूहानी ने देश के अलग-थलग पडऩे की हालत से निकालने के लिए कोशिशें जारी रखने का संकल्प जताया। रूहानी ने कहा कि हम अलग-थलग रहना स्वीकार नहीं करेंगे। उपविदेश मंत्री अब्बास अराघची ने सरकारी टेलीविजन पर कहा कि हमारा मानना है कि परमाणु समझौते का उल्लंघन हुआ है और हम उचित तरीके से प्रतिक्रिया जताएंगे।

ईरान अमेरिकी नीति और ट्रंप के जाल में नहीं आएगा। अमेरिकी प्रतिबंधों से रूहानी के लिए मुसीबत पैदा हो गयी है क्योंकि उन्होंने पश्चिम के साथ संबंध सुधारने की अपनी कोशिशों को लेकर ही जीत हासिल की थी। इससे पहले ईरान की मजलिस (संसद) की राष्ट्रीय सुरक्षा एवं विदेश नीति आयोग ने देश पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों के जवाब में एक सामान्य रूपरेखा वाले प्रस्ताव को पारित किया था।

समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक अगर प्रस्ताव को मजलिस की खुली बैठक में मंजूरी मिल गयी तो यह क्षेत्र में अमेरिकी दुस्साहस का मुकाबला कर सकेगा।

Tags:    

Similar News