Truck Drivers Ki Kami: ढूंढ़े नहीं मिलेंगे ट्रक ड्राइवर, भारत में भी यही हाल न हो जाये

Truck Drivers Ki Kami: अचानक कई देशों में ट्रक ड्राइवर्स की घोर कमी हो गई है। यह स्थिति भारत समेत बहुत से देशों में देखी जा रही है।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Shreya
Update:2021-09-29 13:36 IST

ट्रक (कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Truck Drivers Ki Kami: अचानक कई देशों में ट्रक ड्राइवर्स (Truck Drivers) की घोर कमी हो गई है। ब्रिटेन (Britain) में जहां दो साल पहले 3 लाख ट्रक ड्राइवर थे। अब मात्र 70 हजार बचे हैं। लेकिन ट्रक ड्राइवर्स की कमी सिर्फ ब्रिटेन तक सीमित नहीं है। यह स्थिति भारत समेत बहुत से देशों में देखी जा रही है। फर्क सिर्फ इतना है कि ट्रक ड्राइवरी का काम छोड़ने के अलग अलग देशों में कारण अलग अलग हैं। 

भारत में ही अस्सी के दशक के अंत और 90 के दशक की शुरुआत में एक ट्रक के अनुपात में 1.3 ड्राइवर हुआ करते थे। लेकिन आज यह अनुपात 1 ट्रक पर 0.6 ड्राइवर पर आ गया है। इंडस्ट्री के आंकलन के अनुसार, अगले दो साल में यह 0.5 तक गिर जाएगा। यानी स्थिति चिंताजनक हो चुकी है।

दरअसल, ट्रक ड्राइवर लॉजिस्टिक सेक्टर (Logistics Sector) की रीढ़ होते हैं। लम्बी दूरी तक सामान ठीक से पहुंच जाए, इसमें उनकी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। लेकिन ट्रक इंडस्ट्री की अनौपचारिक संरचना के चलते ट्रक ड्राइवर बहुत कमजोर स्थिति में रहते हैं।

एक सर्वे के अनुसार, जितने ट्रक ड्राइवरों से बात की गई, उनमें से 50 फीसदी से ज्यादा ने कहा कि वे अपने पेशे से असंतुष्ट हैं। 84 फीसदी ट्रक ड्राईवरों का कहना था कि वे अपने परिवार के किसी सदस्य या रिश्तेदारों से ट्रक ड्राइवर बनने को कभी नहीं कहेंगे।

सर्वे के अनुसार, दो तिहाई ड्राइवरों का कहना है कि सड़क पर सुरक्षा की कमी के कारण यह पेशा आकर्षक नहीं है। उनको ड्राइविंग के दौरान हमेशा खतरा महसूस होता रहता है। 

ट्रक डाइवर (कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

पैसे की कमी

सर्वे के अनुसार, 53 फीसदी ड्राइवरों ने कहा कि वे हर महीने मात्र दस से बीस हजार रुपए कमाते हैं। उनका रहन सहन बेहद दयनीय है। असल में, ड्राइवरों के वेतन का कोई मानक होता नहीं है, बीमा, पीएफ जैसी किसी प्रकार की कोई सोशल सिक्योरिटी नहीं मिलती। अपनी ट्रिप समय से पूरा करने पर कोई इंसेंटिव तक नहीं मिलता है। अधिकांश ड्राइवरों के पास अपने ट्रक नहीं होते। वे किसी अन्य का ट्रक चलाते हैं।

ट्रक ड्राइवरों को लम्बे समय तक ड्राइविंग करनी पड़ती है, जिसके चलते उन्हें अलग तरह की थकान से पीड़ित रहना होता है। औसतन एक ड्राइवर एक दिन में 11.9 घण्टे ड्राइविंग करता है। दूरी की बात करें तो एक ड्राइवर एक दिन में औसतन 417 किलोमीटर कवर करता है। सर्वे में शामिल 49 फीसदी ड्राइवरों ने कहा कि वे थके होने या नींद आने के बावजूद गाड़ी चलाते रहते हैं।लगभग सभी ड्राइवरों का कहना है कि उनको कोई सम्मान नहीं मिलता है। उनके पेशे को लोग नीची निगाह से देखते हैं।

इन हालातों में भला कौन ट्रक ड्राइवरी करना चाहेगा? यही हो रहा है। ट्रक ड्राइवरी से वही लोग चिपके हुए हैं, जो हताश हैं कि उनके पास कोई और काम नहीं है। बहुत से ड्राइवर तो दूसरे कामों में लग गए हैं, मिसाल के तौर पर मनरेगा की मजदूरी या कैब चलाना। पहले ट्रक ड्राइवर ज्यादा हुआ करते थे, काम कम हुआ करता था। लेकिन आज करीब 20 लाख ड्राइवर तो हैं । लेकिन प्रति 1000 ट्रक पर मात्र 750 ड्राइवर उपलब्ध हैं। मतलब यह कि ड्राइवर न होने के कारण बहुत सी ट्रकें खड़ी खड़ी धूल खा रही हैं। 

(सांकेतिक फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

क्या होना चाहिए

स्थिति को संभालने के लिए इंडस्ट्री का नियमन जरूरी है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में ट्रक ड्राइवरों के लिए ड्राइविंग के घण्टे तय करने की बात कही है। उन्होंने ट्रक में स्लीप डिटेक्शन सेंसर लगाने की भी बात कही। इन उपायों से आगे बढ़ कर भी काम किये जाने की जरूरत है। ये सभी के हित में होगा। 

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