पाकिस्तानी किताब में भारत: जानें इंडिया के बारे में बच्चों को क्या पढ़ाता है पाक

दरअसल, साझा इतिहास की एक ही घटना को दोनों देशों के इतिहासकारों ने अलग-अलग दृष्टिकोण अपनाते हुए लिखा है। इस इतिहास लेखन में निजी सोच कुछ इस कदर हावी हो गई है कि कई बार घटनाओं का ब्योरा ही पूरी तरह बदल गया है।

Update: 2020-02-09 07:21 GMT

जम्मू कश्मीर: भारतीय छात्रों के पाठ्यक्रम में इतिहास भी पढ़ाया जाता है। दसवीं के बाद से इसका एक विषय ही है। जहां एक तरफ भारतीयों को पिछले दशकों में हुए घटनाओं के बारे में बताते हैं तो वहीं पाकिस्तान के इतिहास की किताब में क्या पढ़ाया जाता है, आइए हम आपको बताते हैं...

दरअसल, साझा इतिहास की एक ही घटना को दोनों देशों के इतिहासकारों ने अलग-अलग दृष्टिकोण अपनाते हुए लिखा है। इस इतिहास लेखन में निजी सोच कुछ इस कदर हावी हो गई है कि कई बार घटनाओं का ब्योरा ही पूरी तरह बदल गया है।

कश्मीर के इतिहास को भारत में पढ़ाया जाता है ऐसा

कश्मीर के मसले पर भारतीय इतिहास की किताब में 1947 में कश्मीर के तत्कालीन शासक महाराज हरि सिंह न भारत में शामिल होना चाहते थे और न ही पाकिस्तान में।

इसके बाद पाकिस्तान के सशस्त्र घुसपैठियों ने कश्मीर पर हमला किया और तब हरि सिंह ने भारत में शामिल होने संबंधी संधि पर हस्ताक्षर किए जिसके बदले भारतीय सेना को कश्मीर की रक्षा के लिए रवाना किया गया।

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कश्मीर के इतिहास को पाकिस्तान में पढ़ाया जाता है ऐसा

वहीं, कश्मीर के मसले पर पाकिस्तान के इतिहास की किताबों में हरि सिंह ने कश्मीर में मुस्लिमों का नरसंहार शुरू कर दिया। इसके बाद तकरीबन दो लाख लोगों ने पश्चिमोत्तर सीमांत प्रांत के लड़ाकों की मदद से कश्मीर के बड़े हिस्से को आजाद कराने में कामयाबी हासिल की। इसके बाद हरि सिंह ने मजबूरी में भारत का रुख किया।

बांग्लादेश के बारे में क्या कहता है पाकिस्तान

इसी तरह पाकिस्तान में 10वीं में पढ़ाई जाने वाली इतिहास की किताब बंगाल के विभाजन का वर्णन करते हुए कहती है। कर्जन (भारत के तत्कालीन गर्वनर जनरल) को लगता था कि अगर पूर्वी बंगाल के मुसलमानों के एक अलग प्रांत बना दिया जाए जिसकी राजधानी ढाका हो तो यह बेहतर होगा। लेकिन हिंदुओं को इसमें साजिश नजर आती थी। वे ऐसे किसी फैसले को मानने के लिए तैयार नहीं थे जिससे मुसलमानों का भला होता हो।

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