Hassan Nasrallah: कौन था हसन नसरल्लाह? गरीब सब्जी बेचने वाले का बेटा कैसे बन गया हिजबुल्लाह चीफ

Hassan Nasrallah: हसन नसरल्लाह का जन्म 31 अगस्त 1960 को बेरूत के उत्तरी बुर्ज हम्मूद में हुआ था। उसके पिता एक गरीब किसान थे जोकि सब्जी की एक छोटी सी दुकान चलाकर परिवार का गुजारा करते थे।

Update:2024-09-28 18:46 IST

कौन था हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह (सोशल मीडिया)

Hassan Nasrallah Death: इजरायल ने हिजबुल्लाह पर अब तक सबसे बड़ी कार्रवाई की है। इजरायल ने लेबनान की राजधानी बेयत में स्थित हिजबुल्ला के मुख्यालय पर शुक्रवार देर शाम हवाई हमला किया। जिसमें हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह (Hezbollah Chief Hassan Nasrallah) की मौत हो गयी है। इजरायल की इस हवाई हमले में नसरल्लाह की बेटी जैनब (Zainab Nasrallah) समेत छह लोगों की मौत का दावा किया जा रहा है। हिजबुल्लाह चीफ की मौत के बाद इजरायल में अलर्ट जारी कर दिया गया है। साथ ही ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामनेई को सुरक्षित स्थान पर भेज दिया गया है।

कौन था हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह?

हसन नसरल्लाह का जन्म 31 अगस्त 1960 को बेरूत के उत्तरी बुर्ज हम्मूद में हुआ था। उसके पिता एक गरीब किसान थे जोकि सब्जी की एक छोटी सी दुकान चलाकर परिवार का गुजारा करते थे। हिजबुल्लाह चीफ के आठ भाई-बहन थे। वह शिया समुदाय से ताल्लुक रखता था। 1975 में लेबनान में गृह युद्ध छिड़ने पर हसन नसरल्लाह (Hassan Nasrallah) अमल आंदोलन में शामिल हो गया था।

1992 में हसन नसरल्लाह को हिजबुल्लाह का चीफ बनाया गया था। बीते 32 सालों से हसन नसरल्लाह हिजबुल्लाह के तमाम सेना के महासचिव की जिम्मेदारी संभाल रहा था। हसन नसरल्लाह से इजरायल काफी परेशान था और उसके खात्मे की बहुत पहले से ही तैयारी कर रहा था। हसन नसरल्लाह लेबनान का सबसे मजबूत और ताकतवर इंसान माना जाता था। साल 2000 में हसन नसरल्लाह की अगुवाई में ही हिजबुल्लाह ने साउथ लेबनान को इजरायल से मुक्त कराया था। 34 दिनों तक चले युद्ध में हिजबुल्लाह ने इजरायल को हरा दिया। जिसके बाद से हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह तमाम मध्य पूर्वी देशों के लिए अवतार बन गया था।

हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह की सुरक्षा बेहद कड़ी थी। एक साक्षात्कार के दौरान खुद हसन नसरल्लाह ने कहा था कि वह बंकर में नहीं रहता। वह समय-समय पर अपना-अपना ठिकाना बदलता रहता है। दिलचस्प बात यह है कि जो हिजबुल्लाह चीफ का साक्षात्कार लेने जाते थे। उन्हें भी यह पता नहीं होता था कि वह कहां पर मौजूद हैं। हसन नसरल्लाह अपने भाषणों को खुफिया स्थान से ही प्रसारित करता था।

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