Online बिक रही आपकी प्रोफाइल व पर्सनल डाटा , ‘Dark Web’ हैं इसका खरीदार
इंटरनेट की दुनिया को सुरक्षित कहने वाले कितना भी दावा कर लें, लेकिन आपकी एक-एक जानकारी को हैक किया जा सकता है। इंटरनेट का एक हिस्सा ऐसा भी है, जो दुनिया की नज़रों से ओझल है।
नई दिल्ली: इंटरनेट की दुनिया को सुरक्षित कहने वाले कितना भी दावा कर लें, लेकिन आपकी एक-एक जानकारी को हैक किया जा सकता है। इंटरनेट का एक हिस्सा ऐसा भी है, जो दुनिया की नज़रों से ओझल है। इंटरनेट के इस स्याह पाताल को कोई ‘डार्क वेब’ कहता है तो कोई ‘डीप वेब’।
आपको जानकर हैरानी होगी कि आपका पर्सनल डेटा इंटरनेट के ‘Dark Web’ में बेचा जा रहा है। ना सिर्फ हैकर्स बल्कि बड़ी कंपनियां और मार्केट रिसचर्स भी यह डेटा खरीद रहे हैं। इससे भी ज़्यादा हैरान करने वाली बात ये है कि आपके डेटा की कीमत रोज़ाना के हिसाब से महज़ 140 रुपये लगाई गई है। इंटरनेट के इस छिपे हुए हिस्से में, हैकर्स इंटरनेट यूज़र की जानकारी मुहैया करा रहे हैं। इनमें पासवर्ड, टेलीफोन नंबर और ईमेल आईडी जैसी जानकारियां शामिल हैं।
डार्क वेब' नाम की यह दुनिया रेगुलर ब्राउजर्स के ज़रिए ऐक्सेस नहीं कर सकती। सिर्फ टॉर जैसे ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर जो कि अनजान कम्युनिकेशन की अनुमति देते हैं, उनके जरिए ही डार्क वेब को ऐक्सेस किया जा सकता है।
क्या है Tor?
Tor एक सॉफ्टवेयर है, जो यूज़र्स की पहचान और इंटरनेट एक्टिविटी को ख़ुफ़िया एजेंसियों की नज़रों से बचाता है। यानी इसके ज़रिए इंटरनेट एक्टिविटी को ट्रेस नहीं किया जा सकता। लोग इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल अपना आईपी एड्रेस छिपाने के लिए करते हैं।
Tor पर सर्फ़िंग के दौरान आप किसी यूज़र की सोशल मीडिया पोस्ट, ऑनलाइन एक्टिविटी, सर्च हिस्ट्री, वेबमेल किसी भी चीज़ का पता नहीं लगा सकते।
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डार्क वेब पर 250 से ज्यादा लोकप्रिय वेबसाइट्स का डेटा मौजूद है। यहां कई छोटी साइट्स के 7 से 8 हजार डेटाबेस भी हैं। हैकर्स इस डेटा पर साइबर अटैक करने के इरादे से खरीदते हैं। कई कंपनियां अपने प्रतिद्वंदी के कंज्यूमर बेस की जानकारी निकालने के लिए भी इस डेटा को खरीदती हैं। इस डेटा को इकठ्ठा करके किसी यूजर का पूरा प्रोफाइल तैयार किया जाता है, जिसे फिर बेच दिया जाता है।
कैसे बिकती है प्रोफाइल
यहां डेटा की कीमत 1 रुपये से शुरू होती है। हाई-प्रोफाइल लोगों का डेटा 500 रुपये से 2000 रुपये तक बिकता है। यह डेटा कई पैकेज में बेचा जाता है। पैकेज का रेट 140 रुपये प्रति दिन से लेकर 4,900 रुपये तीन माह हो सकता है। कस्टमर्स इस डेटा के लिए बिटकॉइन, लाइटकॉइन, डैश, रिपल और Zcash जैसी क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल करते हैं।
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एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर किसी हैकर को एक यूज़र के मल्टीपल पासवर्ड मिल जाते हैं तो वह किसी प्रोफाइल को मिनटों में बिक्री के लिए उपलब्ध करा सकता है। कई यूजर्स अकसर मल्टीपल अकाउंट्स के लिए एक ही पासवर्ड का इस्तेमाल करते हैं, इससे उनके बिहेव का अनुमान लगाया जा सकता है।
यूज़र डेटा को ट्रैक करना इंटरनेट पर किसी व्यक्ति के ऐक्टिविटी लेवल पर ही निर्भर करता है। क्विक हील में चीफ टेक्नॉलजी ऑफिसर संजय काटकर का कहना है कि यूजर को मजबूत पासवर्ड इस्तेमाल करने के साथ ही फिशिंग और स्पैम मेल खोलने से बचना चाहिए।