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होली पर अद्भुत संयोग: ग्रहों का विशेष योग, तो इस बार जरूर बिखेरे खुशियों के रंग

इस दिन धूलिवंदन यानि एक दूसरे पर धूल लगाने की पंरपरा शुरू हुई। एक दूसरे पर धूल लगाने के कारण ही इस दिन को धुलेंडी कहा जाता है।  पुराने समय में लोग जब एक दूसरे पर धूल  लगाते थे

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 23 March 2021 4:18 AM GMT
होली पर अद्भुत संयोग: ग्रहों का विशेष योग, तो इस बार जरूर बिखेरे खुशियों के रंग
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होली पर अद्भुत संयोग: ग्रहों का विशेष योग, तो इस बार जरूर बिखेरे खुशियों के रंग होली पर अद्भुत संयोग: ग्रहों का विशेष योग,तो सबकुछ भूलकर बिखेरे खुशियों के रंग

जयपुर : होली इस साल 29 मार्च को मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को रंगों का त्योहार पूरे देश में उत्साह के साथ मनाया जाता है। होली खेलने से पहले एक दिन होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन बुराई पर अच्छाई के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस बार की होली कुछ कारणों से विशेष रहने वाली है। पंचांग गणना के आधार पर इस बार होली पर ग्रहों का विशेष संयोग बन रहा है।

इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं। ऐसे में इस साल होली पर अद्भुत संयोग बनने जा रहा है। जिससे होली का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाएगा।

ग्रहों की स्थिति

इस साल होली पर ध्रुव योग, अमृत योग, सिद्धि योग बनने जा रहा है। इन तीनों ही योग को काफी शुभ माना जा रहा है। वहीं, दूसरी ओर होली के दिन चंद्रमा कन्या राशि में स्थित रहेंगे। साथ ही शनि और गुरु, होली के दिन मकर राशि में रहेंगे। शुक्र और सूर्य ये दोनों ही मीन राशि में रहेंगे। मंगल और राहु वृषभ राशि में, बुध कुंभ राशि और केतु वृश्चिक राशि में रहेगा।

होलिका दहन रविवार, मार्च 28, 2021 को, पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – मार्च 28, 2021 को सुबह 03:27 बजे। पूर्णिमा तिथि समाप्त – मार्च 29, 2021 को 12:17 am बजे

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पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, प्रहलाद जन्म से ही ब्रह्मज्ञानी थे और हरपल भगवत भक्ति में लीन रहते थे, उन्हें सभी नौ प्रकार की भक्ति प्राप्त थी। भक्ति मार्ग के इस चरम सोपान को प्राप्त कर लेने के बाद प्राणी परमात्मा को प्राप्त कर लेता है। प्रहलाद भी इसी चरम पर पहुंच गये थे जिसका उनके पिता हिरण्यकश्यपु अति विरोध करते थे किंतु, जब प्रहलाद को नारायण भक्ति से विमुख करने के उनके सभी उपाय निष्फल होने लगे तो, उन्होंने प्रह्लाद को फाल्गुन शुक्ल पक्ष अष्टमी को बंदी बना लिया और मृत्यु हेतु तरह तरह की यातनायें देने लगे, किन्तु प्रहलाद विचलित नहीं हुए। प्रतिदिन प्रहलाद को मृत्यु देने के अनेकों उपाय किये जाने लगे किन्तु भगवत भक्ति में लीन होने के कारण प्रहलाद हमेशा जीवित बच जाते।

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धूलि स्नान

इस दिन धूलिवंदन यानि एक दूसरे पर धूल लगाने की पंरपरा शुरू हुई। एक दूसरे पर धूल लगाने के कारण ही इस दिन को धुलेंडी कहा जाता है। पुराने समय में लोग जब एक दूसरे पर धूल लगाते थे तो उसे धूलि स्नान कहा जाता था। आज भी कुछ जगहों पर खासतौर पर गांवो में लोग एक दूसरे धूल आदि लगाते हैं। पहले के समय में लोग शरीर पर चिकनी या मुल्तानी मिट्टी भी लगाया करते थे। इसके अलावा पहले के समय में इस दिन धूल के साथ टेसू के फूलों के रस से बने हुए रंग का उपयोग किया जाता था और रंगपंचमी पर अबीर गुलाल से होली खेली जाती थी। वर्तमान समय में धुलेंडी का रूप बदल गया है।

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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