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बलराम जयंती विशेष: बलशाली संतान के लिये व्रत, शेषनाग ने भी मांगे थे ये वरदान

बलराम जयंती हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन मनाया जाता है। और दो दिन बाद  अष्टमी के दिन श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता है। आज 9 अगस्त दिन रविवार को बलराम जन्मोत्सव है बलराम जन्मोत्सव को हल छठ भी कहते है।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 9 Aug 2020 3:01 AM GMT
बलराम जयंती विशेष: बलशाली संतान के लिये व्रत, शेषनाग ने भी मांगे थे ये वरदान
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प्रतीकात्मक

जयपुर : बलराम जयंती हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन मनाया जाता है। और दो दिन बाद अष्टमी के दिन श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता है। आज 9 अगस्त दिन रविवार को बलराम जन्मोत्सव है बलराम जन्मोत्सव को हल छठ भी कहते है। यहां हल का मतलब बलराम और छठ का मतलब षष्ठी तिथि होता है, क्योंकि बलराम जी भगवान श्री कृष्ण से बड़े हैं। इसलिए श्री कृष्ण जन्माष्टमी से दो दिन पहले बलराम जन्मोत्सव मनाते हैं ।

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balram jayanti प्रतीकात्मक

कथा

विष्णु से शेष नाग नाराज हो मांगे वरदान

हिन्दू धर्म के अनुसार इस व्रत को करने वाले सभी लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती है। मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण और राम भगवान विष्णु जी का रूप है, और बलराम और लक्ष्मण शेषनाग का स्वरूप है।एक बार भगवान विष्णु से शेष नाग नाराज हो गए और कहा की भगवान मैं आपके चरणों में रहता हूं, मुझे थोड़ा सा भी विश्राम नहीं मिलता। आप कुछ ऐसा करो के मुझे भी विश्राम मिले।

तब भगवान विष्णु ने शेषनाग को वरदान दिया की आप द्वापर में मेरे बड़े भाई के रूप में जन्म लोगे, तब मैं आपसे छोटा रहूंगा। हिन्दू धर्म के अनुसार मान्यता है कि त्रेता युग में भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण शेषनाग का अवतार थे, इसी प्रकार द्वापर में जब भगवान विष्णु पृथ्वी पर श्री कृष्ण अवतार में आए तो शेषनाग भी यहां उनके बड़े भाई के रूप में अवतरित हुए। शेषनाग कभी भी भगवान विष्णु के बिना नहीं रहते हैं, इसलिए वह प्रभु के हर अवतार के साथ स्वयं भी आते हैं।

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balram jayanti प्रतीकात्मक

पूजा विधि

बलराम जयंती के दिन सौभाग्यवती स्त्रियां बलशाली पुत्र की कामना से व्रत रखती हैं, साथ ही भगवान बलराम से यह प्रार्थना है कि वो उन्हें अपने जैसा तेजस्वी पुत्र प्राप्त करें। हल छठ के दिन व्रती को सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर साफ-सुथरा वस्त्र पहनना चाहिए। स्वच्छ वस्त्र पहन कर, पूजन स्थल की साफ- सफाई करें।पूजन स्थल पर गंगाजल के छिड़क कर उसे पवित्र करें।

इसके बाद भगवान श्री कृष्ण के साथ बलराम जी की प्रतिमा की तस्वीर लें। प्रतिमा को फूलों का हार पहनाएं, साथ ही दीप जलाएं। भगवान बलराम का शस्त्र उनका हल है, इसलिए पूजा में एक छोटा हल अवश्य बलराम जी के पास रखें। बलराम जी को नीले रंग के और भगवान श्री कृष्ण को पीले वस्त्र अर्पित करें।

सच्चे मन से प्रार्थना करें

कृष्ण-बलराम स्तुति का पाठ करें, भगवान बलराम से सच्चे मन से प्रार्थना करें कि वह आपको बलशाली संतान प्रदान करें। पूजा के बाद आरती कर पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं, और मिश्री और मक्खन का भोग भी रखें। ध्यान रखें कि इस दिन व्रती हल से जुते हुए अनाज और सब्जियों को न खाएं और गाय के दूध का सेवन भी न करें, इस दिन तिन्नी का चावल खाकर व्रत रखें। पूजा हो जाने के बाद गरीब बच्चों में पीली मिठाई बांटे।

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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