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Basant Panchami: जानें कब है शुभ मुहूर्त, देवी सरस्वती की इन मंत्रों से करें पूजा
आज बसंद पंचमी है। आज के दिन विद्या की देवी मां सरस्वती का प्राकट्य दिवस माना जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार बसंत पंचमी हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है।
नई दिल्ली : आज बसंद पंचमी है। आज के दिन विद्या की देवी मां सरस्वती का प्राकट्य दिवस माना जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार बसंत पंचमी हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। आज 16 फ़रवरी 2021 को बसंत पंचमी मनाई जा रही है।
ऐसी मान्यता है कि आज के दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था, इसलिए बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा का विधान है। बसंत पंचमी को देवी सरस्वती की आराधना के लिए खास मानी जाने वाली ये वंदनाएं और मंत्र...
सरस्वती वंदना
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा
जिसका अर्थ होता है..
अर्थात जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं। जिनके हाथ में वीणा-दण्ड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया है । ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली मां सरस्वती हमारी रक्षा करें।
सरस्वती वंदना
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमाम् आद्यां जगद्व्यापिनीम्
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीम् पद्मासने संस्थिताम्
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्
जिसका अर्थ होता है..
यानी जिनका रूप श्वेत है, जो ब्रह्मविचार की परम तत्व हैं, जो सब संसार में फैले रही हैं, जो हाथों में वीणा और पुस्तक धारण किये रहती हैं, अभय देती हैं। मूर्खतारूपी अन्धकार को दूर करती हैं, हाथ में स्फटिकमणि की माला लिए रहती हैं, हाथ में स्फटिकमणि की माला लिए रहती हैं, कमल के आसन पर विराजमान होती हैं और बुद्धि देनेवाली हैं, उन आद्या परमेश्वरी भगवती सरस्वती की मैं वन्दना करता हूं।
कब है पूजा का शुभ मुहूर्त?
बता दें , बसंत पंचमी के दिन दो ख़ास संयोग बन रहे हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार, रवि योग और अमृत सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। बसंत पंचमी के पूरे दिन रवि योग रहेगा। जिसके कारण इस दिन का महत्व और बढ़ रहा है। 16 फरवरी को सुबह 03 बजकर 36 मिनट पर पंचमी तिथि लगेगी, जो अगले दिन यानी 17 फरवरी को सुबह 5 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी। यानी पंचमी तिथि 16 फरवरी को पूरे दिन रहेगी। इस दिन 11.30 से 12.30 के बीच अच्छा मुहूर्त है।
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