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Bhagwan shiva ko Sawan kyu Priya Hai: भगवान शिव को सावन क्यों प्रिय है?, जानिए इस माह का रहस्य और जलाभिषेक का समय

Bhagwan shiva ko Sawan kyu Priya Hai : सावन आते ही प्रकृति हर तरफ हरीभरी दिखने लगती है। सावन के झुले सबको आकर्षित करने लगते हैं। सृष्टि के हर जीवन को यह माह प्रिय है। इस माह के आराध्य देव भगवान शिव से जुड़ी कई बाते प्रचलित है जो दर्शाती है यह माह उनका पसंदीदा माह क्यों है...

Suman Mishra। Astrologer
Published on: 21 Jun 2023 11:00 AM IST
Bhagwan shiva ko Sawan kyu Priya Hai: भगवान शिव को  सावन क्यों प्रिय है?, जानिए इस माह का रहस्य और जलाभिषेक का समय
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सांकेतिक तस्वीर,सौ. से सोशल मीडिया

Sawan kyu Priya Hai Bhagwan shiva : निराकार निरब्रह्म शिवजी को यह माह में पूजा और जलाभिषेक करने से हर कामना की पूर्ति होती है। इस माह में सच्चे मन और भक्ति से शिवजी की आराधना की जाये तो हर इच्छा की पूर्ति होती है। 4 जुलाई 31 अगस्त के दो मास के सावन में जानते है कि भगवान शिव को सावन का महीना बहुत प्रिय है। शास्त्रों में बताया गया है जो भी भक्त सच्चे मन से सावन के महीने में शिवजी की पूजा अर्चना करता है, उसकी सभी मनोकामना पूरी होती हैं और शुभ फल भी प्राप्त होते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सावन के महीने में ही भगवान शिव की पूजा क्यों होती है, आखिर भगवान शिव को सावन क्यों प्रिय है? जानते हैं इसके पीछे के रहस्य के बारे में।

सावन का रहस्य

माता सती ने भगवान शिव को हर जन्म में पाने का प्रण किया था, उन्होंने अपने पिता राजा दक्ष के घर योगशक्ति से अपने शरीर का त्याग कर दिया। इसके बाद उन्होंने हिमालय राज के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया। माता पार्वती ने सावन के महीने में भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की और उनसे विवाह किया। इसलिए भगवान शिव को सावन का महीना विशेष प्रिय है। देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु सो जाते हैं और चतुर्दशी के दिन भगवान शिव सो जाते हैं। जब भगवान शिव सो जाते हैं तो उस दिन को शिव श्यानोत्सव के नाम से जाना जाता है। तब वह अपने दूसरे रूप रुद्रावतार से सृष्टि का संचालन करते हैं। चातुर्मास माह में भगवान विष्णु भी सो जाते हैं और शिवजी भी, तब रूद्र पर सृष्टि का भार आ जाता है। भगवान रूद्र प्रसन्न भी बहुत जल्दी होते हैं और क्रोध भी उनको बहुत जल्दी आता है। इसलिए सावन के महीने में भगवान शिव के रुद्राभिषेक का विशेष महत्व बताया गया है। ताकि पूजा से वह प्रसन्न रहें और भक्तों पर अपना आशीर्वाद बनाए रखें। सावन के महीने में ही कई व्रत किए जाते हैं, जो सुहाग के लिए माने जाते हैं जैसे- मंगला गौरी और कोकिला व्रत। मंगला गौरी का व्रत सुहागन महिलाओं के बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह व्रत सावन के मंगलवार के दिन देवी पार्वती के लिए किया जाता है। इस व्रत को करने पर माता पार्वती का आशीर्वाद से घर में सुख-शांति का वास होता है और सुहाग को लंबी उम्र भी मिलती है। साथ ही आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से लेकर सावन मास की पूर्णिमा तक कोकिला व्रत भी किया जाता है। माता पार्वती के इस व्रत को रखने पर सौभाग्य और संपदा की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि सावन के महीने में ही भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकले विष का पान किया था। साथ ही भगवान शिव पहली बार अपने ससुराल यानी पृथ्वी लोक पर आए थे। उनके यहां आने पर भगवान शिव का जोरदार स्वागत किया था।

शिवपुराण के अनुसार सावन के महीने में शिवजी पृथ्वी लोग अपने ससुराल जरूर आते हैं। साथ ही सावन के महीने में ही मरकंडू ऋषि के पुत्र मारकण्डेय ने शिवजी की कठोर तपस्या से वरदान प्राप्त किया था, जिससे यमराज भी नतमस्तक हो गए थे। यह महीना भगवान भोलेनाथ को बहुत ही प्रिय होता है। इस महीने में पूजा-पाठ से भोलेनाथ जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं। लेकिन ये महीना खास क्यों है जानते हैं आप? कहा जाता है किमृकंड ऋषि के पुत्र मार्कण्डेय ने लंबी आयु के लिए सावन माह में ही घोर तप कर शिव की कृपा प्राप्त की थी। भगवान शिव सावन के महीने में पृथ्वी पर अवतरित होकर अपने ससुराल गए थे और वहां उनका स्वागत अर्घ्य और जलाभिषेक से किया गया था। माना जाता है कि प्रत्येक वर्ष सावन माह में भगवान शिव अपनी ससुराल आते हैं।

भू-लोक वासियों के लिए शिव कृपा पाने का यह उत्तम समय होता है। इसी सावन मास में समुद्र मंथन किया गया था। समुद्र मथने के बाद जो हलाहल विष निकला, उसे भगवान शंकर ने कंठ में समाहित कर सृष्टि की रक्षा की। लेकिन विषपान से महादेव का कंठ नीलवर्ण हो गया। इसी से उनका नाम 'नीलकंठ महादेव' पड़ा। विष के प्रभाव को कम करने के लिए सभी देवी-देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया। इसलिए शिवलिंग पर जल चढ़ाने का खास महत्व है। यही वजह है कि श्रावण मास में भोले को जल चढ़ाने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। कहा जाता है सावन महीने में भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं। इसलिए भी भगवान शिव को सृष्टि चलाने के लिए इस महीने में धरती पर आना पड़ता है। इसलिए सावन के प्रधान देवता भगवान शिव बन जाते हैं।

सावन मास कब से शुरू

सावन 4 जुलाई से शुरू होने वाला है। सावन के सोमवार को सुबह के समय जल्दी उठ कर स्नान करना चाहिए। हो सके तो पवित्र नदियों में स्नान का बहुत महत्व है,शिव चालीसा शिवमंत्रों का जाप करने के साथ व्रत रखने का विधान है। इससे भोले बाबा जल्दी प्रसन्न होते हैं।भगवान शिव की पूजा के दौरान इन ‘ॐ नमः शिवाय’, ‘ॐ महामृत्युंजय मंत्र’, ‘ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्’ मंत्रों का जाप करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

सावन मास इस समय शिव का जलाभिषेक किया जा सकता है।

  • सुबह: 05:40 से 08:25 तक
  • शाम 19:28 से 21:30 तक
  • शाम 21:30 से 23:33 तक (निशीथकाल समय)
  • रात्रि 23:33 से 24:10 तक (महानिशिथकाल समय)



Suman Mishra। Astrologer

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