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अगर बच्चे का नहीं लगता पढ़ाई में मन तो न हो निराश, इन उपायों से बनाएं उसे होनहार
सभी माता-पिता अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए त्याग करने को तैयार रहते हैं। कुछ बच्चे सरलता से शिक्षा पूर्ण कर लेते हैं लेकिन कुछ को मेहनत के बाद भी शिक्षा में बाधाओं का सामना करना पड़ता है। ऐसा बच्चे की जन्मपत्री मे ग्रह-योग के कारण होता है। और कुछ वास्तु दोष के कारण।
जयपुर: आज के समय में माता-पिता की सबसे बड़ी पूंजी उसकी संतान होती है। और संतान संस्कारी हो तो फिर क्या कहने। इसके लिए सबसे पहले माता-पिता बच्चों की पढ़ाई पर जोर देते हैं। ज्यादातर पैरेंट्स अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए खूब क्लास भी लगाते हैं, लेकिन कभी भी उनकी मन: स्थिति को नहीं समझते है।
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सभी माता-पिता अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए त्याग करने को तैयार रहते हैं। कुछ बच्चे सरलता से शिक्षा पूर्ण कर लेते हैं लेकिन कुछ को मेहनत के बाद भी शिक्षा में बाधाओं का सामना करना पड़ता है। ऐसा बच्चे की जन्मपत्री मे ग्रह-योग के कारण होता है। और कुछ वास्तु दोष के कारण।
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*अगर बच्चे की जन्मपत्री में पंचम भाव उसकी शिक्षा / ज्ञान व उसकी सवाल याद करने की क्षमता का निर्धारण करता है। पंचम भाव का स्वामी गृह पंचमेश निर्बल, दुष्ट ग्रहों से पीडि़त, या पंचमेश पंचम भाव से अष्टम अर्थात लग्न से द्वादश भाव मेंं, या अस्त हो या नीच राशि मेंं हो, तो बच्चे को एग्जाम के दिनों मे परेशानी व शिक्षा प्राप्ति मेंं रुकावटें आती हैं।
*कुछ सरल उपाय से आप अपने बच्चे की पढ़ाई संबंधी बाधा को दूर कर सकते है। बच्चे जिस टेबल पर पढ़ते हैं उसकी दिशा सही होनी चहिए। टेबल की दिशा उत्तर की ओर होनी चाहिए, उत्तर से सकारात्मक उर्जा आती है। साथ ही बच्चे का चेहरा भी पढ़ते समय उत्तर दिशा की ओर ही होना चाहिए।
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*जन्मपत्री में पंचमेश शुभ, परतुं निर्बल है तो उससे सम्बंधित गृह का रत्न धारण करवा कर उसकी शक्ति बढ़ाए। यदि पंचमेश नीच का है तो उससे सम्बंधित खाने की वस्तु मंदिर मे दान दे।बच्चे के पढ़ते समय पीठ पीछे खिड़की है तो वह उर्जा देती है, जिससे बच्चे का ध्यान भंग नहीं होता है। जो भी काम आपके बच्चे कर रहे हैं उस पर ध्यान अच्छे से लगता है।पढ़ाई वाली टेबल को दीवार से सटाकर नहीं रखना चाहिए। पढ़ने वाले कमरे को व्यवस्थित रखें।
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*अनेक बार घर का वास्तु या पढाई की जगह नेगेटिव किरणें भी बच्चे को पढाई एकाग्रता मे परेशान करती है। उसके लिए बच्चे को रुद्राक्ष माला धारण करवाए। ज्ञान की देवी माता सरस्वती की फोटो बच्चों के पढाई स्थान पर लगा दें, उनकी किताब में मोर पंख रखें।