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सावधान: बच्चों से ज्यादा संक्रमण फैलने का खतरा, सामने आई डरावनी रिपोर्ट
इसका कारण है कि व्यस्कों की तुलना में बच्चों के गंभीर रूप से बीमार होने की संभावना कम होती है और वह आसानी से वायरस को घर तक ला सकते हैं।
नई दिल्ली: कोरोना वायरस के बारे में एक और चौंकाने वाली बात सामने आई है। कोरोना वायरस का संक्रमण फैलाने वालों को लेकर हुए अध्ययन में सामने आया है कि व्यस्कों की तुलना में बच्चे कोरोना संक्रमण के प्रसारक हो सकते हैं। इसका कारण है कि व्यस्कों की तुलना में बच्चों के गंभीर रूप से बीमार होने की संभावना कम होती है और वह आसानी से वायरस को घर तक ला सकते हैं।
बच्चों में जोखिम ज्यादा
जर्नल ऑफ पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया है कि बच्चों में कोरोना संक्रमण का कारण बनने वाले वायरस के लिए प्रतिरक्षा रिसेप्टर्स की संख्या कम होती है। इसके कारण बच्चों के जल्दी संक्रमित होने तथा गंभीर रूप से बीमार होने की संभावना कम हो जाती है। ऐसे में वायरस के बच्चों में प्रवेश करने के बाद भी वह जल्दी असर नहीं दिखाता है और उनके जरिए अन्य लोगों तक संक्रमण पहुंच सकता है।
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बच्चों को कोरोना वायरस से ज्यादा खतरा (फाइल फोटो)
मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं ने 0-22 साल के 192 बच्चों की कोरोना जांच कर शोध किया था। जिसमें सामने आया कि 49 बच्चों ने कोरोनावायरस के लिए सकारात्मक परीक्षण किया और अतिरिक्त 18 बच्चों में देरी से कोरोना के लक्षण सामने आए। उन्होंने कहा कि संक्रमित बच्चों की सांसों में कोरोना के उपचार के लिए आईसीयू में भर्ती व्यस्कों की तुलना में वायरस का स्तर बहुत अधिक पाया गया था।
वायरस का उच्च स्तर
बच्चों को कोरोना वायरस से ज्यादा खतरा (फाइल फोटो)
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संक्रमण के पहले दो दिनों में बच्चों में वायरस का उच्च स्तर देखा गया। अस्पताल में भर्ती संक्रमित मरीजों का वायरल लोड स्वस्थ दिख रहे बच्चों के वायरल लोड की तुलना में बहुत कम था। बच्चों में कोरोना वायरस के वायरल लोड का स्तर बहुत अधिक था। चीन के शेनजेन में 2020 की शुरुआत में हुए एक अध्ययन में कहा गया था कि बच्चों के कोरोना वायरस की चपेट में आने का ख़तरा उतना ही होता है।
बच्चों को कोरोना वायरस से ज्यादा खतरा (फाइल फोटो)
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इस अध्ययन में ये चिंता भी जताई गई थी कि बिना कोई लक्षण दिखे बच्चे इस वायरस को दूसरों में फैला सकते हैं। लेकिन उसके बाद हुए अध्ययनों में ऐसी चिंताएं कम ही देखने को मिली। अब नई रिसर्च ने चिंताएं बढ़ा दीं हैं। चेतावनी दी गयी है कि स्कूल, डे केयर सेंटर और बच्चों वाली अन्य जगहों को खोलने से पहले बच्चों के नाक और गले के स्वाब तथा खून की जांच की जानी चाहिए। इसके बाद ही उन्हें शिक्षक और कर्मचारियों के संपर्क में आने दिया जाना चाहिए।