कोरोना पर भविष्यवाणियां, अब क्या है दावा, कब तक खत्म होगी महामारी

कोरोना वायरस आज चरम पर है और महामारी का रूप ले चुका है। दुनियाभर में करोड़ों  लोग इस वायरस से प्रभावित हो चुके हैं। यह महामारी लगातार बढ़ती जा रही है। भारत में भी इसके बहुत से मामले सामने आए हैं,

suman
Published on: 10 Jan 2021 2:50 AM GMT (Updated on: 22 April 2021 5:17 AM GMT)
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उन्होंने कहा, नए साल के बाद स्थिति ऐसी ही रहेगी बसंत के आस-पास संक्रमण पर काबू पाने की स्थिति बन पाएगी। लेकिन लोगों में व्याप्त भय और कोरोना वायरस के चलते लगाए गए प्रतिबंध साल 2022 तक समाप्त नहीं होंगें।

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लखनऊ कोरोना से कराहती दुनिया में हर किसी के पास बस एक ही सवाल है कि कोरोना से दुनिया को मुक्ति कैसे मिलेगी। हर कोई उस तारीख का इंतजार कर रहा जब सब कुछ पहले जैसा हो जाएगा। मगर ये तारीख शायद किसी के पास नहीं। लेकिन भारत के ज्योतिष कोरोना को लेकर कुछ खास दावे कर रहे हैं।

किसी कहना है कि आने वाले कुछ महिनों में ग्रहों की स्थिति में बदलाव इस बीमारी स बहुत हद राहत मिलेगी तो कोई कह रहा है कि आने वाले समय में यह बीमारी ज़ड़ से खत्म होगी।

चरम पर कोरोना, धीरे धीरे जाएगा

विश्व के लिए खौफ का पर्याय बन चुके कोरोना वायरस को लेकर हमेशा कोई न कोई भविष्यवाणी जरूर हो रही है। कोरोना वायरस आज चरम पर है और महामारी का रूप ले चुका है। दुनियाभर में करोड़ों लोग इस वायरस से प्रभावित हो चुके हैं। यह महामारी लगातार बढ़ती जा रही है। भारत में भी इसके बहुत से मामले सामने आए हैं, लेकिन लोगों के मन में एक ही सवाल है कि इस वायरस से कब मुक्‍ति मिलेगी। ज्योतिष की नजर से जानिए कोरोना वायरस क्यों विश्वस्तर पर एक महामारी के रूप में फैलता जा रहा है।

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महामारी के जनक ये ग्रह

आकाश मंडल का हर ग्रह और हमारे शरीर के प्रत्येक तत्व भिन्न या विचित्र स्थिति में होने अथवा असंतुलित होने पर तनाव का कारण बनते हैं। जो ग्रह एक साथ मानव सभ्यता के बड़े हिस्से पर असर डालता हैं, वो हैं शनि, बृहस्पति और मंगल। शनि, राहु और केतु ये तीनों ग्रह अप्रत्याशित परिणामों के जनक माने जाते हैं।

शनि जब-जब स्वराशि यानी मकर में आता है, तब-तब विचित्र स्थितियां पैदा करता है। शनि दुनिया में बड़ी महामारियों को दावत देता रहा है। इतिहास की बात करें, तो साल 165 ईसवी में जब शनि मकर में प्रवेश किया था, तब इतालवी प्रायद्वीप में चेचक के संक्रमण से 50 लाख लोगों की मौत हुई थी।

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हले भी आई है महामारियां और आज तक रहा असर

साल 252 में जब शनि मकर में पहुंचा, तो कहा जाता है कि 'प्लेग ऑफ साइप्रियन' के प्रकोप से रोम में महीनों तक हर रोज औसतन 5,000 लोगों की मौत होती रही। साल 547 में जब शनि अपनी स्वराशि में पहुंचे, मिस्र से बूबोनिक प्लेग फैला, जिसे 'प्लेग ऑफ जस्टिनियन' कहा गया। यह वहां से फैलते हुए कुस्तुनतुनिया पहुंच गया, जो एक ऐतिहासिक शहर है। यह रोमन बाइजेंटाइन और उस्मानी साम्राज्य की राजधानी हुआ करती थी. बाइजेंटीनी इतिहास लेखक प्रोसोपियस के अनुसार, तब प्रतिदिन 10,000 से अधिक लोगों की मौत हो रही थी।

सन 1918 में स्पैनिश फ्लू नाम से एक महामारी फैली थी जिसकी शुरुआत स्पेन से हुई थी। इस महामारी से दुनिया में करोड़ों लोग संक्रमित हुए थे। उस समय भी बृहस्पति-केतु का योग बना हुआ था। सन 1991 में ऑस्ट्रेलिया में माइकल एंगल नाम का बड़ा कम्प्यूटर वायरस सामने आया था जिसने इंटरनेट और कम्यूटर फील्ड में वैश्‍विक स्‍तर पर बड़े नुकसान किये थे।

बृहस्पति-केतु का योग

और उस समय भी गोचर में बृहस्पति-केतु का योग बना हुआ। सन 2005 में एच-5 एन-1 नाम से एक बर्डफ्लू फैला था और उस समय में भी गोचर में बृहस्पति-केतु का योग बना हुआ था। ऐसे में जब भी बृहस्पति-केतु का योग बनता है उस समय में बड़े संक्रामक रोग और महामारियां सामने आती हैं।

जब कोरोना वायरस की महामारी फैली हुई है तब भी शनि स्वयं की राशि मकर में ही चक्रमण कर रहे हैं। 15 मार्च से सूर्य का राशि परिवर्तन से कुछ राहत मिलेगी। मंगल अभी गुरु राशि धनु में चलायमान हैं। लेकिन 22 मार्च को जब मंगल शनि की स्वराशि मकर में जाएगा तब शनि के संग युति करके इस महामारी के साथ योग किसी दुर्घटना के साथ प्राकृतिक आपदा से जान-माल की हानि का संकेत है।

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बृहस्पति जीव और जीवन का कारक ग्रह

राहु और केतु दोनों को संक्रमण (बैक्टीरिया, वायरस) इंफेक्शन से होने वाली सभी बीमारियों का ग्रह माना गया है। बृहस्पति जीव और जीवन का कारक ग्रह है जो हम सभी व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व करता है इसलिए जब भी बृहस्पति और राहु या बृहस्पति और केतु का योग होता है तब ऐसे समय में संक्रामक रोग और ऐसी बीमारिया फैलती हैं जिन्हें चिहि्नत करना अथवा समाधान कर पाना बहुत मुश्किल होता है ।ऐसे में इस तरह के रहस्मयी संक्रामक रोग सामने आते हैं जिनका समाधान आसानी से नहीं मिल पाता और ऐसा ही हो रहा है इस समय कोरोना वायरस के केस में।

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कुछ इस तरह हुई थी भविष्यवाणियां

ज्योतिष शास्त्रियों की गणना के मुताबिक बताया थी पिछले साल 2020 में 10 जनवरी को पूर्णमासी के दिन चीन के कुंडली के अनुसार चंद्रमा और राहु चतुर्थ भाग में आए हुए थे और पंच ग्रह की योग था यह योग चौथे और दसवें घर में होने के कारण चीन में रसायनिक लीकेज और उससे होने वाली बीमारी का सूचक बनता है।

10 जनवरी और 12 नवंबर ऐसी तारीखें हैं जिनमें कोरोना वायरस के प्रकोफ के सामने आने का दावा किया जा रहा है।  कुछ और वजह से वायरस के असर में कमी आएगी। 14 अप्रैल को सूर्य के मेष राशि में प्रवेश से राहत ज्यादा बढ़ जाएगी। 4 अप्रैल को सूर्य के मेष राशि में जाने से कोरोना महामारी में रोकथाम शुरू हो जाएगी। 15 मई तक 50 प्रतिशत खत्म होने में सफलता मिलेगी। इस तरह देश के अन्य भागों से भी ज्योतिषियों ने कहा था जुलाई अगस्त तक कोरोनामुक्त होने की ओर अग्रसर होंगे।

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महामारी से जल्द छुटकारा

देश में तेजी से फैले कोरोना वायरस से लोगों को जल्द ही राहत मिलेगी। ज्योतिषियों की मानें तो 14 अप्रैल को सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में प्रवेश करेंगे। इसके बाद से स्थितियां सुधरेंगी और कोरोना का अंत होना शुरू हो जाएगा। बताया गया है कि जब भी इतिहास में शनि मकर राशि के हुए हैं तो पूर्व में चेचक, हैजा जैसी बीमारियां हजारों लोगों को मौत के मुंह में पहुंचा चुकी है।

30 मार्च को बृहस्पति गुरु ग्रह अपनी स्वयं की राशि से केतु का साथ छोड़कर मकर राशि में प्रवेश कर चुके हैं। गुरु एक सौम्य सात्विक ग्रह है जो केतु जैसे क्रूर ग्रह से अलग हो गया। केतु नसों का प्रतिनिधित्व करता है और बृहस्पति ग्रह लीवर, पैनक्रियाज ग्रांथी का प्रतिनिधित्व करते हैं और चंद्र ग्रह श्वास और फेफड़े का प्रतिनिधित्व करते हैं।

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ज्योतिषीय

राहु और केतु की दृष्टि से गुरु, चंद्र, शुभ ग्रहों का अलग होने के कारण कोरोना वायरस का प्रभाव कम होता जाएगा। 14 अप्रैल को सूर्य ग्रह अपनी उच्च राशि मेष में प्रवेश करेंगे जो एक माह अपनी उच्च मेष राशि में रहेंगे। मेष राशि का स्वामी मंगल होता है, मंगल यानि भूमि जमीन, सूर्य यानि आग, यह जब पूरी दृष्टि पृथ्वी पर डालेंगे तो पूर्ण प्रभाव से कोरोना वायरस का अंत होना शुरू हो जाएगा।

15 मई तक 50 प्रतिशत इस वायरस को खत्म होने में सफलता मिलेगी। 29 जून को 96 प्रतिशत समाप्त हो जाएगा। इन राशि वालों को विशेष रूप से सतर्कता बरतने की आवश्यकता है। जिसमें से प्रमुख है वृष, मिथुन, कर्क, कन्या और वृश्चिक इन राशियों के जातक बड़ी सावधानी एवं सतर्कता से रहें।

प्रलय का नक्षत्र

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहु इस समय आर्द्रा नक्षत्र में है, जो प्रलय का नक्षत्र माना जा रहा है। 20 मई तक वह इसी आर्द्रा नक्षत्र में रहेगा। 20 मई तक बृहस्पति उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में रहेगा, जो परेशानी कम करेगा। इस कोरोनावायरस महामारी कब समाप्त होगी? ये सवाल सबके मन में है, और जहां ज्योतिषियों और नेताओं के पास इसका जवाब है, बहुत कम वैज्ञानिक इस संबंध में कोई भविष्यवाणी करने का खतरा मोल ले रहे है।

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कोरोना को लेकर साल 2021

साल 2021 आ चुका है। लोग भी इस साल से उम्मीदें लगाए बैठे हैं कि नया साल नई उम्मीदें लेकर आएगा और उन्हें इन समस्याओं से निजात मिलेगी। उधर, कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत से करीब दो साल पहले इसकी भविष्यवाणी करने का दावा करने वाले एक मनोवैज्ञानिक ने भी साल 2021 को लेकर भविष्यवाणी की है।

35 वर्षीय निकोलस ऑजुला का कहना है कि कोरोना वायरस से जूझ रही दुनिया को नए साल की शुरुआत में इस महामारी से कोई राहत नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा, नए साल के बाद स्थिति ऐसी ही रहेगी बसंत के आस-पास संक्रमण पर काबू पाने की स्थिति बन पाएगी। लेकिन लोगों में व्याप्त भय और कोरोना वायरस के चलते लगाए गए प्रतिबंध साल 2022 तक समाप्त नहीं होंगें।

TABAHI

5 बड़ी तबाहियां..

नास्त्रेदमस ने सदियों पहले 'लेस प्रोफेटीस' नाम की एक किताब में दुनिया को लेकर कई भविष्यवाणियां की थीं। इस किताब का पहला संस्करण 1555 में आया था। इस किताब में कुल 6338 भविष्यवाणियां हैं, जिनमें से 70 फीसदी सच साबित हुई हैं। उनकी भविष्यवाणियां छंदों में परिभाषित हैं, जिसे 'क्वाट्रेन' कहा जाता है। जानते है कि क्या है उनकी भविष्यवाणी..

सूर्य की तबाही पृथ्वी के क्षतिग्रस्त का कारण, पृथ्वी से टकराएगा धूमकेतु, मानव के मस्तिष्क की डिजिटल इंटेलिजेंस, कैलिफॉर्निया में भूकंपय़ ये सारे संकेेत आने वाले समय के लिए है।

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इन भविष्यवाणियां जो भी हुई है वो बहुत हद सही साबित हो रही है। अभी कोरोना के साथ बर्ड फ्लू का भी असर साफ दिख रहा है। सैकड़ों पक्षियों का मौत इससे हो गई है।अब आने वालों साल को ज्योतिष की नजर में बेहतर आंक कर देखा जा रहा है। एक जनवरी 2021 को गुरु पुष्य के महायोग में नव वर्ष का आरंभ हुआ है। ऐसे में दिन शुक्रवार तथा पुष्य नक्षत्र होने से अति शुभ गुरु पुष्य के योग बन रहे हैं।

महासंयोग और शुरुआत से नए साल में महामारी का कम असर

ऐसा महायोग बहुत वर्षों बाद आ रहा है। अंक ज्योतिष के अनुसार इस दिन बहुत से शुभ योग बन रहे हैं। वर्ष 2021 इसके अंक 2 को छोड़ दिया जाए तो 21 सन कहलाएगा। इसका योग तीन है जिसके स्वामी बृहस्पति हैं। भारतीय ज्योतिष में सूर्योदय के बाद दिन में बदलाव होता है। साल के पहले दिन मध्यरात्रि में गुरुवार एवं सूर्योदय के बाद शुक्रवार तथा पुष्य नक्षत्र आ रहा है।

इस दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की विशेष कृपा रहेगी। यह दिन तथा योग व्यापार में वृद्धि व लोगों को सुख-समृद्धि के साथ आर्थिक बल प्रदान करने वाला होगा।इस योग के आधार पर कहा जा रहा है कि आने वाले समय में कोरोना से राहत मिलेगा।

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