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धनतेरस पर बना है महायोग, खरीददारी कर पाएं 13 गुना अधिक फल
आज धनतेरस है। जो कार्तिक के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान धनवंतरि और कुबेर के साथ मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है।इस बार धनतेरस पर ब्रह्म सिद्ध महायोग बन रहा है।जो धन प्राप्ति का मार्ग बनाएगा। इस साल धनतेरस के दिन शुक्र, प्रदोष और धन त्रयोदशी का महायोग है।
जयपुर: आज धनतेरस है। जो कार्तिक के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान धनवंतरि और कुबेर के साथ मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है।इस बार धनतेरस पर ब्रह्म सिद्ध महायोग बन रहा है।जो धन प्राप्ति का मार्ग बनाएगा। इस साल धनतेरस के दिन शुक्र, प्रदोष और धन त्रयोदशी का महायोग है। इस महायोग में शुभ खरीददारी फलदायी है। धनतेरस पर भगवान धनवंतरी का पूजन से आयु और स्वास्थ्य की कामना फलीभूत होती है। कहते हैं धनवंतरि हाथों में अमृत से भरा हुआ कलश लेकर प्रकट हुए थे। यही वजह है कि इस दिन बर्तन खरीदने की परंपरा आज तक चल रही है। धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर और मृत्युदेव यमराज की पूजा की जाती है।
धनतेरस से दिवाली के दिन तक मां लक्ष्मी को लौंग का एक जोड़ा जरूर अर्पित करें। धनतेरस के दिन नई झाडू एवं सूप अवश्य खरीदें और इसका पूजन करना चाहिए। इस दिन घर को स्वच्छ रखें।
धनतेरस पर उत्तर दिशा में हरे रंग का प्रयोग अधिक से अधिक करें। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
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इस त्योहार पर घर या प्रतिष्ठान में उत्तर दिशा में तीन सिक्के लाल रंग के कपड़े में बांधकर छुपाकर रख दें। इससे धन आगमन के साधन विकसित होते हैं।
शाम के समय घर या प्रतिष्ठान में दीपक प्रज्वलित करें। मंदिर, गोशाला, कुआं या तालाब पर भी दीपक प्रज्जवलित करें।
धनतेरस की शाम को 13 दीपक जलाएं और साथ में 13 कौड़ियां को लेकर आधी रात के समय घर के प्रत्येक कोने में रख दें।
इस दिन यम के निमित्त दीपदान अवश्य करें। धनतेरस पर कुबेर यंत्र की स्थापना करना चाहिए। इसकी स्थापना से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। घर की उत्तर दिशा में कछुए का चित्र या पीतल की प्रतिमा रखने से आर्थिक हानि से बचा जा सकता है।
रंगों के हिसाब से जलाएं वास्तुनुसार दीपक, धन धान्य से भरा रहेगा आंगन
व्यापारी धनतेरस को शुभ मानते हैं। धनतेरस में चल या अचल संपत्ति खरीदने से सम्पत्ति में 13 गुना वृद्धि होती है। इस दिन नए बही-खाता भी खरीदते हैं। बकायदा इसकी पूरी विधि-विधान से पूजा भी की जाती है। और संपन्नता का आशीर्वाद मांगा जाता हैं।
मुहूर्त पूजा मुहूर्त - शाम 07:08 बजे से 08:13 बजे तक, प्रदोष काल - 05:38 बजे से 08:13 बजे तक, वृषभ काल - 06:50 बजे से 08:45 बजे तक, त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ - 25 अक्तूबर 2019 को 07:08 बजे तक।