×

गंगा दशहरा 2020: इस पवित्र दिन, मंत्र जाप के साथ ऐसे करें स्नान और दान

पवित्र पर्व गंगा दशहरा जो कि हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को आता हैं इस बार 1 जून को गंगा दशहरा पड़ रहा हैं। इस दिन गंगा स्नान कर अपने पापों का नाश कर पुण्य की प्रप्ति की जाती हैं। इस बार लॉकडाउन के चलते गंगा में स्नान नहीं कर सकते तो घर में स्नान करते समय नहाने के जल में गंगा जल की कुछ बूंदें डालकर भी स्नान कर सकते है। 

suman
Published on: 31 May 2020 11:19 AM IST
गंगा दशहरा 2020: इस पवित्र दिन, मंत्र जाप के साथ ऐसे करें स्नान और दान
X

जयपुर :पवित्र पर्व गंगा दशहरा जो कि हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को आता हैं इस बार 1 जून को गंगा दशहरा पड़ रहा हैं। इस दिन गंगा स्नान कर अपने पापों का नाश कर पुण्य की प्रप्ति की जाती हैं। इस बार लॉकडाउन के चलते गंगा में स्नान नहीं कर सकते तो घर में स्नान करते समय नहाने के जल में गंगा जल की कुछ बूंदें डालकर भी स्नान कर सकते है।

इन पुराणों में वर्णन

स्कंद पुराण में लिखा हुआ है कि, ज्येष्ठ शुक्ला दशमी संवत्सरमुखी ई है, इस दिन स्नान और दान विशेष महत्व है। ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को दशहरा कहते हैं। इस दिन किसी भी नदी पर जाकर अर्घ्य (पू‍जादिक) एवम् तिलोदक (तीर्थ प्राप्ति निमित्तक तर्पण) अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने वाला पापों से छूटकारा मिल जाता है। यदि ज्येष्ठ शुक्ल दशमी के दिन मंगलवार रहता हो व हस्त नक्षत्र युता तिथि हो यह सब पापों के हरने वाली होती है।

यह पढ़ें...इस मंत्र का करें प्रतिदिन जाप, हरदम दिखेंगी खूबसूरत व जवान

वराह पुराण में लिखा हुआ है कि, ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को गंगा बुधवार में हस्त नक्षत्र में श्रेष्ठ नदी स्वर्ग से अवतीर्ण हुई थी, वह दस पापों को नष्ट करती है। इस कारण उस तिथि को दशहरा कहते हैं। ज्येष्ठ मास, शुक्ल पक्ष, बुधवार, हस्त नक्षत्र, गर, आनंद, व्यतिपात, कन्या का चंद्र, वृषभ के सूर्य इन दस योगों में मनुष्य स्नान करके सब पापों से छूट जाता है।

भविष्य पुराण में लिखा हुआ है कि, जो मनुष्य इस दशहरा के दिन गंगा के पानी में खड़ा होकर दस बार इस स्तोत्र को पढ़ता है चाहे वो दरिद्र हो, चाहे असमर्थ हो वह भी प्रयत्नपूर्वक गंगा की पूजा कर उस फल को पाता है। यह दशहरा के दिन स्नान करने की विधि पूरी हुई। गंगा के पानी में ध्यान करके भक्तिपूर्व मंत्र से अर्चना करें।

'ॐ नमो भगवति हिलि हिलि मिलि मिलि गंगे मां पावय पावय स्वाहा'

मंत्र का उच्चारण करने से सब पाप नष्ट होते हैं।इसका अर्थ है कि, हे भगवति गंगे! मुझे बार-बार मिल, पवित्र कर, पवित्र कर, इसके गंगा जी के लिए पंचोपचार और पुष्पांजलि समर्पण करें। इस प्रकार गंगा का ध्यान और पूजन करके गंगा के पानी में खड़े होकर 'ॐ अद्य' इत्यादि से संकल्प करें कि,ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष में प्रतिपदा से लेकर दशमी तक रोज पढते हुए सब पापों को नष्ट करने के लिए गंगा स्तोत्र का जप करें।

यह पढ़ें...इस दिन लगेगा चंद्र ग्रहण, जानिए आप पर क्या होगा असर, हो जाएं सतर्क

यह करें दान

*इस दिन किसी गरीब व्यक्ति को पानी से भरा हुआ घड़े का दान जरूर करना चाहिए।

*इस दिन मौसमी फल को दान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।

*राहगीरों को पानी पीने की व्यवस्था करनी चाहिए।ऐसे करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।

*गंगा दशहरा के दिन श्रद्धालु जन जिस भी वस्तु का दान करें उनकी संख्या दस होनी चाहिए और जिस वस्तु से भी पूजन करें, उनकी संख्या भी दस ही होनी चाहिए।

*गंगा पूजा में सभी वस्तुएं दस प्रकार की होनी चाहिए, जैसे- दस प्रकार के फूल, दस गंध, दस दीपक, दस प्रकार के नैवेद्य, दस पान के पत्ते, दस प्रकार के फल आदि, छाता, सूती वस्त्र, टोपी-अंगोछा, जूते-चप्पल आदि दान में देने चाहिए।

इस दिन शिवालय में गंगा जलाभिषेक के बाद अमृत मृत्युंजय का जाप करने के साथ अच्छे स्वास्थ्य और लम्बी आयु की प्रार्थना करना चाहिए। माना जाता है कि गंगा श्री विष्णु के चरणों में रहती थीं, भागीरथ की तपस्या से, शिव ने उन्हें अपनी जटाओं में धारण किया। फिर शिव जी ने अपनी जटाओं को सात धाराओं में विभाजित कर दिया।माना जाता है कि गंगा का जल पुण्य देता है और पापों का नाश करता है।

यह पढ़ें...राशिफल 31 मई: इन 5 राशियों को मिलेगा समाज में सम्मान, जानिए बाकी का हाल

लॉकडाउन में ऐसे करें स्नान

वैसे तो इस दिन श्रद्धालुओं को मां गंगा में जाकर डुबकी लगानी चाहिए और इनका वंदन करना चाहिए। लेकिन कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन में इस साल ऐसा संभव नहीं हो पाएगा। ऐसे में घर पर गंगा जल मिले पानी से स्‍नान करें और फिर सूर्य देव की अराधना करें।

गंगा दशहरा के दिन प्रातः गंगा स्नान करना चाहिए। संभव न हो तो पास की किसी नदी या तालाब में ही स्नान करना चाहिए। इसके बाद भगवान की पूजा करने के साथ ही गरीबों, ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देना चाहिए। ऐसे करने से सिर्फ अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है बल्कि जीवन में शांति भी आती है। भक्तों पर मां गंगा की कृपा सदैव बनी रहती है।

कथा...

पौराणिक कथाओं में वर्णन है कि महाराजा भगीरथ के अखंड तप से प्रसन्न होकर जिस दिन मां गंगा प्रथ्वी पर अवतरित हुईं वह बहुत ही दिव्य और पवित्र दिन था। यह दिन जेष्ठ माह शुक्ल पक्ष की एकादशी था। प्रथ्वी पर मां गंगा के अवतरण दिवस को गंगा दहशरा मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान से मनुष्य को कई यज्ञ करने के बराबर पुण्य प्राप्त होते हैं। इसलिए आस्थावान मनुष्य को पवित्र मन के साथ ही गंगा स्नान करना चाहिए। इस दौरान मां गंगा और भगवान शिव का स्मरण भी बहुत से लोग करते हैं।

देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।



suman

suman

Next Story