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Janmashtami 2023 Date: 6 या 7 सितम्बर कब है जन्माष्टमी! प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य से जानें सही तिथि और क्या है दुर्लभ संयोग
Janmashtami 2023 Coreect Date: महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट के ज्योतिषाचार्य पं राकेश पाण्डेय ने Newstrack को बताया कि भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि व रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है।
Janmashtami 2023 Coreect Date: प्रत्येक वर्ष की तरह इस बार भी जन्माष्टमी की तिथि को लेकर लोगों के मन में भ्रम है। वैसे तो जन्माष्टमी हमेशा से ही दो दिन मनायी जाती है। एक गृहस्थों के लिए और दूसरा वैष्णवजन या साधु संतों के लिए। लेकिन ये दो दिन भी कब मनायी जाए इसको भी लेकर हेमशा ही भ्रम रहता है। इस साल भी यह भ्रम बना हुआ है। जबकि जन्माष्टमी नजदीक है। आज हम इस लेख के माध्यम से यही भ्रम दूर करेंगे।
6 सितम्बर को है गृहस्थों के लिए जन्माष्टमी (Janmashtami 2023 Coreect Date)
महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट के ज्योतिषाचार्य पं राकेश पाण्डेय ने Newstrack को बताया कि भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि व रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस वर्ष 6 सितम्बर बुधवार को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पावन पुनीत पर्व मनाया जाएगा। इस दिन को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।
जन्माष्टमी पर बन रहा है दुर्लभ संयोग
ज्योतिषाचार्य पं राकेश पाण्डेय ने बताया इस वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद कृष्ण बुधवार को सप्तमी तिथि रात्रि 07:57 तक है। पश्चात अष्टमी तिथि प्रारम्भ होकर दूसरे दिन गुरुवार को सायं 07:51 तक रहेगी। रोहिणी नक्षत्र दिवा 02:39 से प्रारम्भ होकर दूसरे दिन गुरुवार को दिवा 03:07 तक रहेगी। अतः बुधवार को अर्धरात्रि के समय अष्टमी तिथि व रोहिणी नक्षत्र का शुभ संयोग मिलने के कारण जयन्ती योग में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत व जन्मोत्सव मनाया जाएगा जो अत्यन्त ही मंगलकारी है ।
वैष्णवजन के लिए जन्माष्टमी गुरुवार यानी 7 सितम्बर को
वैष्णवजन के लिए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत उदया तिथि अष्टमी एवं रोहिणी का संयोग अर्ध रात्रि में यह योग नही रहेगा फिर भी उदया तिथि को मानने वाले वैष्णवजन श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत 7 सितम्बर गुरुवार को मनाएंगे।
पूजन विधि-पूरे दिन भर व्रत करते हुए सायं काल भगवान श्रीकृष्ण की झाँकी सजाकर श्रीकृष्ण का बाल स्वरूप मूर्ति पालने में रखकर मध्यरात्रि के पहले गौरी गणेश,वरुण का आवाहन व पूजन करते हुए मध्यरात्रि 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के साथ आवाहन कर विधवत पूजन करके श्री कृष्ण की स्तुति करें व रात्रि जागरण करना चाहिए।