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यंत्र क्या है, कैसे करता है काम, जानिए इसका धार्मिक महत्व
यह प्रार्थना की तीव्रता को बढ़ाने में मदद करता है। सामान्य लोगों के रूप में, हमें हमेशा अधिक कुशलता से काम करने के लिए सहायता या एक प्रोत्साहन की आवश्यकता होती है।
जयपुर : यन्त्र एक विशेष प्रकार की ज्यामितीय संरचना है. इसमें विशेष तरह की आकृति, चिन्ह अथवा अंकों का प्रयोग किया जाता है।चिन्ह तथा रेखाओं, बिन्दुओं वाले चिन्ह तथा रेखाओं, बिन्दुओं वाले यन्त्र अतीव शक्तिशाली होते हैं और इनका निर्माण तथा प्रयोग कठिन होता है।
ध्यान और मानसिक शांति के लिए
यंत्र एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है एक उपकरण। यह एक रहस्यमय आरेख माना जाता है जिसका उपयोग प्राचीन काल से ध्यान और मानसिक शांति पाने के लिए एक सहायता के रूप में किया जाता रहा है। यन्त्रों का उपयोग करने की प्रथा नई नहीं है, इसके बजाय, इसका उपयोग वर्षों से विभिन्न प्रयोजनों के लिए कई रूपों में किया जाता रहा है। प्रत्येक यंत्र को एक विशेष देवता या भगवान के साथ जुड़ने और विशिष्ट लाभों को पाने के लिए बनाया गया है। इसे ध्यान के माध्यम से या किसी विशेष स्थान पर यंत्र को रखकर किया जाता है।
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केवल देव के लिए नहीं कुंडली के अनुसार भी होते हैं
यंत्र न केवल देवताओं से जुड़े होते हैं बल्कि जन्म कुंडली के अनुसार शासित ग्रह के लिए भी होते हैं। प्रत्येक ग्रह अद्वितीय लक्षण और व्यवहार का मालिक है जो इसे एक दूसरे से अलग करता है। इसी तरह, हम उनके साथ व्यवहार करते हैं वह भी भिन्न होता है। इस प्रकार, विभिन्न प्रयोजनों के लिए सभी प्रकार के यंत्र हैं।
अंकों वाले यन्त्र सामान्य शक्तिशाली
अंकों वाले यन्त्र सामान्य शक्तिशाली होते हैं इनका निर्माण तथा प्रयोग कठिन होता है। अंकों वाले यन्त्र सामान्य शक्तिशाली होते हैं और इनका निर्माण तथा प्रयोग अपेक्षाकृत सरल होता है। हर व्यक्ति के लिए एक ही प्रकार के यन्त्र हर व्यक्ति पर प्रयोग नहीं किये जा सकते । यंत्रों का प्रयोग अति विशेष दशा में तथा बड़ी सावधानी के साथ करना चाहिए अन्यथा इनके प्रभाव हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग यन्त्र होते हैं,एक ही प्रकार के यन्त्र हर व्यक्ति पर प्रयोग नहीं किये जा सकते। यंत्रों का प्रयोग अति विशेष दशा में तथा बड़ी सावधानी के साथ करना चाहिए अन्यथा इनके दुष्परिणाम बड़े भयंकर हो सकते हैं।
यंत्रों का महत्व
यह प्रार्थना की तीव्रता को बढ़ाने में मदद करता है। सामान्य लोगों के रूप में, हमें हमेशा अधिक कुशलता से काम करने के लिए सहायता या एक प्रोत्साहन की आवश्यकता होती है। इसी तरह, यंत्र एक साधन है जो आपकी गंभीरता को बढ़ाने और प्रार्थना की ओर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है।
यंत्र प्रतिध्वनि प्राप्त करने में मदद करता है। यह शरीर में ऊर्जा, कंपन और ब्रह्मांड के प्रभाव के प्रवाह को बढ़ाता है और गहनतम सत्य तक पहुंचने में मदद करता है। यंत्र की सहायता से प्रार्थना करने से ब्रह्मांड से लाभकारी ऊर्जा को आकर्षित करने और जीवन में नकारात्मक ऊर्जाओं के दुष्प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है।
ऐसे बनाये जाते हैं यंत्र
शब्दों और मन्त्रों को आकृतियों मे ढालकर यन्त्र बनाये जाते हैं। ये आकृतियां विशेष तरह की होती हैं और इन्हे विशेष नक्षत्रों में बनाया जाता है। आकाश मंडल और इन्हे विशेष नक्षत्रों में बनाया जाता है। आकाश मंडल और वातावरण की ऊर्जा को एकत्र करने लायक किया जाता है। आकृतियों के बन जाने के बाद इनमे शब्दों को जागृत किया जाता है फिर इसे विशेष नक्षत्र मे प्रयोग किया जाता है। यह वातावरण और आकाश मंडल से ऊर्जा खींचकर प्रयोग करने वाले व्यक्ति तक पहुंचाता है।
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इसके प्रयोग से बचे
यन्त्र बहुत तीव्र गति से कार्य करते हैं, अतः लाभ और हानि दोनो ही तेजी से होती है। सही तरह से बना हुआ यन्त्र ग्रहों की ऊर्जा को अनुकूल बना देता है। गलत गलत तरीके से बना हुआ यन्त्र जीवन में आफत ला सकता है। यंत्रों के निर्माण और प्रयोग की विधि गोपनीय है अतः सही यन्त्र मिल पाना काफी कठिन है। जहां तक हो सके यंत्रों के प्रयोग से दूर रहें क्योंकि एक भी गलत बिन्दु आपके लिये समस्या पैदा कर सकता है।
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