इस दिन मनाई जाएगी रथ सप्तमी, जानें महत्व, करें ये उपाय, होगा चमत्कार

स्नान के पश्चात् घी के दीपक अथवा लाल फूल, रोली, अक्षत, कपूर एवं धूप के साथ सूर्य भगवान की उपासना करें तथा गायत्री मंत्र या सूर्य मंत्र का जाप करें।

suman
Published on: 18 Feb 2021 4:39 AM GMT
इस  दिन मनाई जाएगी रथ सप्तमी, जानें महत्व, करें ये उपाय, होगा चमत्कार
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जानिए कब है रथ सप्तमी? इस दिन नौकरी में तरक्की के लिए जरूर करें ये उपाय

जयपुर : इस बार रथ सप्तमी का पर्व 19 फरवरी को है। रथ सप्तमी माघ मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन मनाई जाती है। इस दिन भगवान सूर्य देव की पूजा की जाती है। प्रथा है कि इस दिन सूर्यदेव की उपासना करने से सभी इच्छाएं पूरी होती है। मनुष्य रोग मुक्त बनता है, उसके करियर में आ रहीं समस्याएं दूर होती हैं तथा मनुष्य को तरक्की प्राप्त होती है।

सत्कर्म हजार गुना ज्यादा फल

माना जाता है कि इस दिन किए गए स्नान, दान, होम, पूजा आदि सत्कर्म हजार गुना ज्यादा फल प्रदान करते हैं। रथ सप्तमी को अचला सप्तमी, पुत्र सप्तमी एवं आरोग्य सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है। अगर आपके जीवन में कई पहैं तो रथ सप्तमी के दिन ये उपाय जरूर करें:-

जरूरतमंद को दान

आर्थिक समस्यां से जूझ रहे हैं तो रथ सप्तमी के दिन सूर्य को अर्घ्य देने के पश्चात् तांबा, गुड़, गेहूं या मसूर दाल अपनी सामार्थ्य के अनुसार किसी जरूरतमंद को दान करें। इससे आर्थिक स्थिति बेहतर होती हैं।

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प्तमी के दिन तांबे का टुकड़ा

नौकरी में सफलता के लिए रथ सप्तमी के दिन तांबे का टुकड़ा लें तथा उसे दो हिस्सों में काट लें। एक भाग बहते जल में प्रवाहित कर दें तथा दूसरा अपने पास पर्स में रख लें। इसे ताउम्र अपने साथ ही रखें। इससे न केवल आपका करियर बेहतर होगा, बल्कि स्वास्थ्य के लिहाज से भी बहुत फायदा होगा।

कोई फूल डालकर स्नान करें

रथ सप्तमी के दिन नहाते वक़्त जल में खसखस के फूल अथवा लाल रंग का कोई फूल डालकर स्नान करें। स्नान के पश्चात् घी के दीपक अथवा लाल फूल, रोली, अक्षत, कपूर एवं धूप के साथ सूर्य भगवान की उपासना करें तथा गायत्री मंत्र या सूर्य मंत्र का जाप करें। इससे आपकी कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होगी एवं शिक्षा में आ रहीं समस्याएं दूर होंगी। स्वास्थ्य अच्छा होगा तथा संतान यशस्वी बनेगी।

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सूर्यदेव के जन्मदिन

रथ सप्तमी को सूर्यदेव के जन्म दिवस के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। प्रथा है कि कश्यप ऋषि और अदिति के संयोग से भगवान सूर्य का जन्म इसी दिन हुआ था। इसलिए ये दिन सूर्य देव की आराधना का दिन माना जाता है। साथ ही ये भी कहा जाता है कि इस दिन से सूर्य के सातों घोड़े उनके रथ को वहन करना आरम्भ करते हैं, इसलिए इस दिन को रथ सप्तमी कहा जाता है।

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