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जानिए कहां किस रुप में हुआ पांडवों का पुनर्जन्म, किस पुराण में है इसका वर्णन

महाभारत का युद्ध धर्म और अधर्म का युद्ध था इतना विभत्स  युद्ध शास्त्रों के अनुसार किसी युग में नहीं हुई। जिसमें अपनों से ही अपनों की लड़ाई थी। इस युद्ध का परिणाम भी इसकी भयावहता की तरह ही विभत्स और विनाशकारी

suman
Published on: 27 April 2020 2:55 AM GMT
जानिए कहां किस रुप में हुआ पांडवों का पुनर्जन्म, किस पुराण में है इसका वर्णन
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जयपुर: महाभारत का युद्ध धर्म और अधर्म का युद्ध था इतना विभत्स युद्ध शास्त्रों के अनुसार किसी युग में नहीं हुई। जिसमें अपनों से ही अपनों की लड़ाई थी। इस युद्ध का परिणाम भी इसकी भयावहता की तरह ही विभत्स और विनाशकारी था।

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कहा जाता है अश्वत्थामा आज भी जीवित हैं और वो महाभारत काल से आज तक भटक रहे हैं, लेकिन यह भी सत्य है कि पांडवों का भी पुनर्जन्म हुआ है और अगर यह सत्य है तो जानते है कहां और किस रुप में । दरअसल इन सभी सवालों का जवाब भविष्य पुराण में मिलता है।

भविष्य पुराण में वर्णित एक कथा

एक समय की बात है जब अश्वत्थामा, कृतवर्मा और कृपाचार्य ये तीनों आधी रात को पांडवों के शिविर के पास गए और इन्होंने मन ही मन भगवान शिव की बहुत पूजा आराधना की और उन्हें प्रसन्न कर लिया और भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उन्हें पांडवों के शिविर में जाने की अनुमति दे दी। जिसके बाद अश्वत्थामा ने पांडवों के शिविर में जाकर शिवजी से प्राप्त की गयी तलवार से ही पांडवों के सभी पुत्रों का वध कर दिया और फिर वो लोग वहां से निकल लिए और जब इस बात का पता पांडवों को चला तो उन्होंने इस सम्पूर्ण क्रिया को भगवान शिव की करनी समझ कर और उनसे युद्ध करने के लिए चल पड़े।

जब पांडव शिवजी से युद्ध करने के लिए गये तो शिवजी के सामने जाते ही उनके सभी अस्त्र-शस्त्र भगवान शिव में समाहित हो गए और शिवजी बोले की तुम सभी श्रीकृष्ण के भक्त हो इसलिए तुम्हें इस अपराध का फल इस जन्म में नहीं मिलेगा, लेकिन इसका फल तुम्हें कलियुग में जरूर मिलेगा और इसके लिए तुम्हे कलियुग में फिर से जन्म लेना पड़ेगा। सभी पांडव भगवान शिव की यह बात सुन वो काफी दुखी हो गए और वे इस विषय को लेकर पांडव भगवान श्रीकृष्ण के पास गए, तब श्रीकृष्ण ने उन्हें बताया कि सभी पांडव पुत्रों में से कौन-सा पांडव कलियुग में कहां और किसके घर जन्म लेने वाला है|

शिव से युद्ध

भविष्यपुराण के अनुसार, आधी रात के समय अश्वत्थामा, कृतवर्मा और कृपाचार्य यो तीनों पांडवों के शिविर के पास गए और उन्होंने मन ही मन भगवान शिव की आराधना कर उन्हें प्रसन्न कर लिया। इस पर भगवान शिव ने उन्हें पांडवों के शिविर में प्रवेश करने की आज्ञा दे दी। जिसके बाद अश्र्वत्थामा में पांडवों के शिविर में घुसकर शिवजी से प्राप्त तलवार से पांडवों के सभी पुत्रों का वध कर दिया और वहां से चले गए। जब पांडवों को इसके बारे में पता चला तो उन्होंने इसे भगवान शिव की ही करनी समझकर उनसे युद्ध करने के लिए चले गए। जैसे ही पांडव शिवजी से युद्ध करने के लिए उनके सामने पहुंचे उनके सभी अस्त्र-शस्त्र शिवजी में समा गए और शिवजी बोले तुम सभी श्रीकृष्ण के उपासक को इसलिए इस जन्म में तुम्हे इस अपराध का फल नहीं मिलेगा, लेकिन इसका फल तुम्हें कलियुग में फिर से जन्म लेकर भोगना पड़ेगा। भगवान शिव की यह बात सुनकर सभी भविष्यपुराण के अनुसार, कलियुग में...

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* युधिष्ठिर

कलियुग में वत्सराज नामक राजा के पुत्र बनें और कलियुग में उनका नाम मलखान रखा जायेगा।

*भीम

कलियुग में भीम वीरण के नाम से जन्मे थे और वे वनरस नाम के राज्य के राजा बने।

*अर्जुन

कलियुग में अर्जुन का जन्म परिलोक नाम के राजा के यहां हुआ और उनका नाम था ब्रह्मानन्द।

*नकुल

कलियुग में नकुल का जन्म कान्यकुब्ज के राजा रत्नभानु हुआ,उनका नाम था लक्षण।

*धृतराष्ट्र

कलियुग में धृतराष्ट्र का जन्म अजमेर में पृथ्वीराज के रूप में हुआ और द्रोपदी ने उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिए, जिसका नाम वेला था।

*महादानी कर्ण

कलियुग में महादानी कर्ण ने तारक नाम के राजा के रूप में जन्म लिया।

*सहदेव

कलियुग में सहदेव ने भीमसिंह नामक राजा के घर में देवीसिंह के नाम से जन्म लिया।

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