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Ganesh-Lakshmi Pooja: जानें क्यों की जाती है लक्ष्मी-गणेश की एक साथ पूजा
Ganesh-Lakshmi Pooja: मां लक्ष्मी की पीड़ा को देखते हुए माता पार्वती ने अपने पुत्र गणेश को उन्हें दत्तक पुत्र के रूप में सौंप दिया। इस बात से प्रसन्न होकर माता ने यह घोषणा की कि व्यक्ति को लक्ष्मी के साथ गणेश जी की उपासना करने से ही धन, ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी। तभी से दिवाली पर पर माता लक्ष्मी के साथ गणेश जी की पूजा की जाती है।
Ganesh-Lakshmi Pooja: बात उन दिनों की है जब हम कॉलेज में प्रथम वर्ष के छात्र थे. दशहरा बीत चुका था दीपावली समीप थी तभी एक दिन कुछ युवक युवतियों की एनजीओ टाइप टोली कॉलेज में आई।
उन्होंने स्टूडेंट्स से कुछ प्रश्न पूछे किन्तु एक प्रश्न पर कॉलेज में सन्नाटा छा गया।
उन्होंने पूछा जब दीपावली भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास से अयोध्या लौटने की खुशी में मनाई जाती है तो दीपावली पर लक्ष्मी पूजन क्यों होता है ? राम की पूजा क्यों नही ?
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प्रश्न पर सन्नाटा छा गया क्योंकि उस वक्त कोई सोशलमीडिया तो था नही, स्मार्टफोन भी नही थे । किसी को कुछ नही पता। तब सन्नाटा चीरते हुए हममें से ही एक हाथ प्रश्न का उत्तर देने हेतु ऊपर उठा ।
बताया क्योंकि दीपावली उत्सव दो युग सतयुग और त्रेता युग से जुड़ा हुआ है।सतयुग में समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी उस दिन प्रगट हुई थीं। इसलिए लक्ष्मी पूजन होता है। भगवान राम भी त्रेता युग मे इसी दिन अयोध्या लौटे थे तो अयोध्या वासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था । इसलिए इसका नाम दीपावली है। इसलिए इस पर्व के दो नाम है लक्ष्मी पूजन जो सतयुग से जुड़ा है । दूजा दीपावली जो त्रेता युग प्रभु राम और दीपो से जुड़ा है।
इस उत्तर के बाद थोड़ी देर तक सन्नाटा छाया रहा । क्योंकि किसी को भी उत्तर नही पता था । यहां तक कि प्रश्न पूछ रही टोली को भी नही।खैर सबने खूब तालियां बजाई।
बाद में पता चला कि वो टोली आज की शब्दावली अनुसार लिबरर्ल्स की थी जो हर कॉलेज में जाकर युवाओं के मस्तिष्क में यह डाल रही थी कि लक्ष्मी पूजन का औचित्य क्या जब दीपावली राम से जुड़ी है। कुल मिलाकर वह छात्रों का ब्रेनवॉश कर रही थी। लेकिन इस उत्तर के बाद वह टोली गायब हो गई।
प्रश्न है
लक्ष्मी गणेश का आपस में क्या रिश्ता है?
और दीवाली पर इन दोनों की पूजा क्यों होती है?
सही उत्तर है
लक्ष्मी जी जब सागरमन्थन में मिलीं और भगवान विष्णु से विवाह किया तो उन्हें सृष्टि की धन और ऐश्वर्य की देवी बनाया गया । तो उन्होंने धन को बाँटने के लिए मैनेजर कुबेर को बनाया। कुबेर बड़े ही कंजूस थे, वे धन बाँटते नहीं थे, खुद धन के भंडारी बन कर बैठ गए।
माता लक्ष्मी परेशान हो गई, उनकी सन्तान को कृपा नहीं मिल रही थी। उन्होंने अपनी व्यथा भगवान विष्णु को बताई। भगवान विष्णु ने उन्हें कहा कि तुम मैनेजर बदल लो, माँ लक्ष्मी बोली, यक्षों के राजा कुबेर मेरे परम भक्त हैं उन्हें बुरा लगेगा।
तब भगवान विष्णु ने उन्हें गणेश जी की विशाल बुद्धि को प्रयोग करने की सलाह दी।
माँ लक्ष्मी ने गणेश जी को धन का डिस्ट्रीब्यूटर बनने को कहा, गणेश जी ठहरे महाबुद्धिमान, वे बोले, माँ, मैं जिसका भी नाम बताऊंगा, उस पर आप कृपा कर देना, कोई किंतु परन्तु नहीं। माँ लक्ष्मी ने हाँ कर दी !
अब गणेश जी लोगों के सौभाग्य के विघ्न/ रुकावट को दूर कर उनके लिए धनागमन के द्वार खोलने लगे।
कुबेर भंडारी रह गए, गणेश पैसा सैंक्शन करवाने वाले बन गए।
गणेश जी की दरियादिली देख माँ लक्ष्मी ने अपने मानस पुत्र श्रीगणेश को आशीर्वाद दिया कि जहाँ वे अपने पति नारायण के सँग ना हों, वहाँ उनका पुत्रवत गणेश उनके साथ रहें।
दीवाली आती है कार्तिक अमावस्या को, भगवान विष्णु उस समय योगनिद्रा में होते हैं, वे जागते हैं ग्यारह दिन बाद देव उठनी एकादशी को। माँ लक्ष्मी को पृथ्वी भ्रमण करने आना होता है । शरद पूर्णिमा से दीवाली के बीच के पन्द्रह दिन, तो वे सँग ले आती हैं गणेश जी को, इसलिए दीवाली को लक्ष्मी गणेश की पूजा होती है।
( साभार सोशल मीडिया ।)