इस गांव में है रहस्य की गुफा, महाभारत से जुड़ा है इतिहास

श में ऐसी कई जगहें हैं जिनका संबंध रामायण आयर महाभारत से माना जाता हैं और उनकी ये विशेषता उन्हें अनोखा बनाती हैं। आज इस कड़ी में हम एक ऐसी गुफा के बारे में बात करने जा रहे हैं जिसका संबंध महाभारत से जाना जाता हैं और कहा जाता हैं

suman
Published on: 8 May 2020 5:26 AM GMT
इस गांव में है रहस्य की गुफा, महाभारत से जुड़ा है इतिहास
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उत्तराखंड: देश में ऐसी कई जगहें हैं जिनका संबंध रामायण आयर महाभारत से माना जाता हैं और उनकी ये विशेषता उन्हें अनोखा बनाती हैं। आज इस कड़ी में हम एक ऐसी गुफा के बारे में बात करने जा रहे हैं जिसका संबंध महाभारत से जाना जाता हैं और कहा जाता हैं कि इससे जुड़ा रहस्य इंसान चाहकर भी नहीं जान सकता हैं। कहा जाता है कि महाभारत को आज से करीब 5000 साल पहले महर्षि वेद व्यास के दिशा निर्देश पर भगवान गणेश ने लिखा था।इस कथा के एक एक चरित्र सब अपने आप में अनूठे है।

महाभारत से जुड़े कई साक्ष्य आज भी भारत के कई स्थानों में मिलते है। इन सब स्थानों में देवभूमि उत्तराखंड का विशेष जगह है। सनातन धर्म से जुडी जितनी कथाएं और स्थान उत्तराखंड में है उतने देश के किसी भी हिस्से में नहीं है। उत्तराखंड के आखिरी हिस्से में बद्रीनाथ से आगे एक गांव है। इस गांव का नाम माना गांव है। ये छोटा सा गांव भारत और चीन की सीमा पर है। इस गांव में जैसे ही प्रवेश करते है लिखा दिखता है भारत का आखिरी गांव। ये गांव बद्रीनाथ धाम से करीब 3 किलोमीटर दूर है।

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आखिरी गांव

बद्रीनाथ और उसके आस पास के भागों में महाभारत से जुड़े बहुत से स्थान है। द्रौपदी के नदी पार करने के लिए भीम द्वारा चट्टान रखकर बनाया गया पूल। स्वर्गारोहिणी , वह स्थान जहां से पांडवों ने स्वर्ग की यात्रा शुरू की थी। इन सब प्रसिद्द स्थानों के अलावा माना गांव में एक रहस्यमयी स्थान भी है। ये एक छोटी सी गुफा है। कहा जाता है कि ये वही गुफा है जिसमे रहकर महर्षि वेद व्यास ने हजारों वर्ष पहले अद्भुत महाकाव्य महाभारत की रचना की थी। महर्षि वेद व्यास ने ही वेदों और पुराणों का संकलन किया था।

कौन सा राज छिपा है इसमें

माना गांव की इस गुफा को वेद व्यास गुफ़ा कहा जाता है, इसी गुफा से कुछ दूर वो स्थान भी है जहाँ बैठकर गणेश ने महाभारत लिखी थी। वेद व्यास गुफा के बारे में एक रहस्यमयी धारणा भी है। ये मान्यता इस गुफा की अनोखी छत की वजह से है। यदि आप इस गुफा की छत को देखेंगे तो लगता है कि जैसे बहुत से पन्नों को एक तह में जमाकर रखा है। कहा जाता है कि ये महाभारत की कहानी का वो हिस्सा है जो कोई भी नहीं जानता। महर्षि वेद व्यास ने ये भाग गणेश से लिखवाया तो ज़रूर लेकिन उसे ग्रन्थ में सम्मिलित नहीं किया। महाभारत के इस भाग में ऐसी कौनसी बात या अध्याय था जिसे महर्षि ने जानबूझ कर ग्रन्थ में स्थान नहीं दिया और उन पन्नों को पत्थर में बदल दिया।

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मान्यता है कि महर्षि वेद व्यास ने भगवान गणेश से महाभारत के वो पन्ने लिखवाए तो थे, लेकिन उसे उस महाकाव्य में शामिल नहीं किया और उन्होंने उन पन्नों को अपनी शक्ति से पत्थर में बदल दिया। आज दुनिया पत्थर के इन रहस्यमय पन्नों को 'व्यास पोथी' के नाम से जानती है। खैर महाभारत का ये 'खोया अध्याय' सच है या कोई कहानी, इसके बारे में तो कोई नहीं जानता, लेकिन माना गांव की वेद व्यास गुफा को देखकर तो ऐसा ही लगता है कि इस गुफा की छत पर कोई विशालकाय पुस्तक रखी है। इस पुस्तक स्वरुप सरंचना को व्यास पोथी कहा जाता है।

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