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रामायण काल से जुड़ा है इस मंदिर का संबंध, 70खम्भों का हैं ये हैंगिंग टेम्पल
आंध्रप्रदेश का ये लेपाक्षी मंदिर चमत्कारों और रहस्यों से भरा पड़ा है। वहीं अंग्रेजों ने भी इस अद्भभुत रहस्य को जानने की कई बार कोशिश की वे इसे किसी और जगह पर ले जाना भी चाहते थे और तो और इंजीनियर ने भी इस मंदिर के अद्भुत चमत्कार को जानने की कई बार कोशिश की लेकिन इंजीनियर की सारी कोशिशों ने इस मंदिर के चमत्कारों के आगे अपने घुटने टेक
जयपुर: भारत में ऐसे कई मंदिर हैं जो अपने चमत्कारों के लिए पूरी दुनिया में मशहूर हैं। आंध्र प्रदेश की अनंतपुर लेपाक्षी मंदिर ऐसा ही ऐतिहासलिक व चमत्कारी मंदिर हैं जो अनोखे रहस्य के लिए पूरे देश में मशहूर है। रहस्यमयी लेपाक्षी मंदिर के खंभे हवा में झूलते हैं।लेपाक्षी मंदिर वैसे तो अपने वैभवशाली इतिहास के लिये प्रसिद्ध है, लेकिन मंदिर से जुड़ा एक चमत्कार आज भी लोगों के लिये चुनौती बना है। यह स्थान, दक्षिण भारत में तीन मंदिरों के कारण प्रसिद्ध है जो भगवान शिव, विष्णु और भगवान विदर्भ को समर्पित है।
इस मंदिर के खंबे बिना किसी सहारे से खड़े हुए हैं। इसलिए लेपाक्षी मंदिर को हैंगिंग पिलर टेम्पल भी कहा जाता है। ये मंदिर कुल 70 खम्भों पर खड़ा है, लेकिन उनमें से एक स्तंभ ऐसा भी है जो हवा में लटका हुआ है। इस मंदिर का निर्माण 16वीं सदी में किया गया है।इस रहस्यमयी मंदिर के चमत्कार को देखने के लिए लोग खंभे के नीचे से कपड़ा और अन्य चीज भी निकालते हैं। यहां लोगों का मानना है कि इस हैंगिंग पिलर के नीचे से कपड़ा या अन्य चीज निकालने से सुख-संपदा प्राप्त होती है। यहां भक्तों की इस मंदिर से धार्मिक आस्था भी जुड़ी हुई है। आंध्र प्रदेश के अनंतपुर के पास स्थित इस रहस्यमयी मंदिर का निर्माण विजयनगर साम्राज्य के दौरान 1518 में किया गया था। ये मंदिर पहाड़ी पर स्थित है इसलिए यह कूर्म सैला के नाम से भी जाना जाता है। जबिक पौराणिक मान्यता के मुताबिक इस मंदिर का निर्माण ऋषि अगस्त्य ने करवाया था। लेपाक्षी मंदिर भगवान वीरभद्र को समर्पित है। यहां देवी को भद्रकाली कहा जाता है।पौराणिक मान्यता के अनुसार इस मंदिर का संबंध रामायण काल से है। कहा जाता है, जब रावण ने माता सीता का अपहरण किया था, तो वो इसी जगह से होकर गुजरा था, जहां जटायु ने रावण का रास्ता रोका था। यहीं रावण और जटायु के बीच भीषण युद्ध भी हुआ था। इसके साथ ही ये भी मान्यता है कि माता सीता के पैर के निशान आज भी इस जगह पर मौजूद हैं। वहीं यहां मिले पैरों के निशान को लेकर इतिहासकारों ने अपने अलग-अलग मत भी दिए हैं।
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जब रावण और जटायु के बीच युद्धा हो रहा था। इस दौरान जटायु घायल होकर इसी स्थान पर गिर गए थे और फिर माता सीता की तलाश में श्रीराम यहां पहुंचे थे तो उन्होंने ले पाक्षी कहते हुए जटायु को अपने गले से लगा लिया। जिसकी वजह से इस रहस्यों से भरे स्थल का नाम लेपाक्षी पड़ा गया। मुख्यरूप से “ले पाक्षी” एक तेलुगू शब्द है जिसका अर्थ उठो पक्षी है।आंध्रप्रदेश का ये मंदिर कई रहस्यों से जुड़ा हुआ है साथ ही इसका धार्मिक महत्व भी कम नहीं हैं। राम लिंगेश्वर नाम का एक अद्भुत शिवलिंग भी यहां मौजूद है। ये भी कहा जाता है कि जटायु के अंतिम संस्कार के बाद भगवान राम ने खुद इस शिवलिंग की स्थापना की थी। वहीं यहां पास में एक और शिवलिंग स्थापित है, जिसकी स्थापना हनुमान ने की थी। इस शिवलिंग को हनुमालिंगेश्वर के नाम से जाना जाता है। यहां शेषनाग की एक अद्भुत प्रतिमा भी है, जिसका निर्माण कई साल पहले किया गया था।यहां एक पैर का निशान भी है, जिसको लेकर अनेक मान्यताएं हैं। इस निशान को त्रेता युग का गवाह माना जाता है। कोई इसे राम का पैर तो कोई सीता के पैर का निशान मानते हैं। ये वही स्थान है, जहां जटायु ने राम को रावण का पता बताया था।
लेपाक्षी मंदिर सिर्फ हैंगिग पिलर की वजह से ही मशहूर नहीं है बल्कि बड़ी सख्या में लोगों की यहां से आस्था भी जुड़ी हुई है। इस मंदिर मे स्वयंभू शिवलिंग भी मौजूद है। जो कि भगवान वीरभद्र ( शिव का रौद्र रूप) का अवतार माना जाता है।कई सालों तक शिवलिंग खुले आकाश के तले विराजमान थे। बाद में विजयनगर साम्राज्य के काल में यहां मंदिर का निर्माण करवाया गया। ऐसा भी कहा जाता है बाकी मंदिरों से इसलिए अलग पहचान रखता है क्योंकि इस मंदिर का निर्माण किसी अदभुदत चमत्कार से करवाया गया था। इस अदभुत चमत्कारी लेपाक्षी मंदिर में पर एक नृत्य मंडप स्थित है, जिसे शिव-पार्वती से जोड़ कर देखा जाता है। यहां की धार्मिक मान्यता है कि भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह इसी जगह हुआ था। इसलिए विजयनगर के राजाओं ने यहां एक विवाह मंडप का निर्माण करवाया। और इस विवाह मंडप को एक ऐसा अद्भुत रूप दिया गया, जैसे यहां देवी-देवता नृत्य कर रहे हों। वहीं इस मंदिर के कमल में एक ग्रेविटी पाई गई है जिसका वैज्ञानिक भी पता नहीं लगा पाए हैं।
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आंध्रप्रदेश का ये लेपाक्षी मंदिर चमत्कारों और रहस्यों से भरा पड़ा है। वहीं अंग्रेजों ने भी इस अद्भभुत रहस्य को जानने की कई बार कोशिश की वे इसे किसी और जगह पर ले जाना भी चाहते थे और तो और इंजीनियर ने भी इस मंदिर के अद्भुत चमत्कार को जानने की कई बार कोशिश की लेकिन इंजीनियर की सारी कोशिशों ने इस मंदिर के चमत्कारों के आगे अपने घुटने टेक दिए।आपको बता दें कि आंध्रप्रदेश के अनंतपुर में बना लेपाक्षी मंदिर काफी विशाल है इसके अद्भुत चमत्कार और विशाल महिमा को देखने दूर-दूर से लोग आते हैं। इस मंदिर परिसर में भगवान शिव, भगवान विष्णु और भगवान वीरभद्र को समर्पित तीन मंदिर है। इसके साथ ही इस मंदिर से लोगों की धार्मिक मान्यता भी जुड़ी हुई है।