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सावधान! ऐसे खाने से करें परहेज, नहीं तो बढ़ेगा जीवन में दुर्भाग्य
मुनष्य जिसके करीब होता है, जिससे प्यार रहता है। उसके लिए कुछ भी करता है। यहां तक खाते वक्त अपने दोस्त सगे-संबंधी का जूठा खाने से भी परहेज नहीं करता है। हिंदू धर्म परंपराएं जितनी प्राचीन है उतनी ही अधिक वैज्ञानिक भी है।
लखनऊ : मुनष्य जिसके करीब होता है, जिससे प्यार रहता है। उसके लिए कुछ भी करता है। यहां तक खाते वक्त अपने दोस्त सगे-संबंधी का जूठा खाने से भी परहेज नहीं करता है। हिंदू धर्म परंपराएं जितनी प्राचीन है उतनी ही अधिक वैज्ञानिक भी है। चाहे वह कोई पूजा विधि हो, पौधों और पशु-पक्षियों की देखभाल की बात हो या फिर अन्य कोई नियम। आज के समय में कोरोना वायरस का प्रकोप चल रहा है, जिसे रोकने का सबसे कारगर तरीका है एक-दूसरे से शारीरिक दूरी बनाकर रखना, एक-दूसरे की छुई हुई वस्तुओं का इस्तेमाल न करना, किसी दूसरे का जूठा भोजन नहीं करना और जूठा पानी नहीं पीना।
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प्रेम की जगह दुर्भाग्य भी साथ
*प्राचीन काल से धर्म ग्रंथों में जूठा भोजन नहीं करने की बात होती हैं, लेकिन दुर्भाग्य है कि लोग यह बात मानते नहीं हैं। लोगों का मानना है कि एक-दूसरे का जूठा भोजन करने से आपस में प्रेम बढ़ता है जो गलत है।
*शास्त्र कहते हैं कि किसी का जूठा भोजन करने से प्रेम तो नहीं बढ़ता, लेकिन जिस व्यक्ति का जूठा भोजन करते हैं, उसका दुर्भाग्य भी साथ लग जाता है। उसके सारे रोग भी आपके रोग बन जाते हैं।
*हिंदू धर्म में भोजन को देवता मानकर पूजा जाता है। इसलिए भोजन से पहले प्रार्थना करने का विधान है। भोजन में शुद्धता और सात्विकता होना आवश्यक है। भोजन में कोई भी दूषित पदार्थ, मांसाहार ना हो। यहां तक कि भोजन बनाने से लेकर परोसने और खाने तक के लिए नियम बनाए गए हैं। जिनका पालन करना जरूरी होता है।
जूठा भोजन करना सर्वदा वर्जित
*भोजन बनाते समय से लेकर उसे परोसने तक भी जूठा हाथ नहीं लगना चाहिए। एक-दूसरे का जूठा भोजन करना सर्वदा वर्जित है। यहां तक कि पति-पत्नी को भी एक-दूसरे का जूठा भोजन नहीं खाना चाहिए।
शास्त्रों में मत है कि जो व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति का जूठा भोजन करता है, वह उस व्यक्ति के सारे ग्रह दोष, उसकी पीड़ाओं और उसके दुर्भाग्य में सहभागी बन जाता है। जूठा भोजन करने से संक्रामक रोग फैलता है वैज्ञानिक तथ्य है कि जूठा भोजन करने से संक्रामक रोग फैलने की आशंका रहती है, क्योंकि सभी लोगों के भोजन करने का तरीका अलग होता है। कोई व्यक्ति बिना हाथ-पैर धोए ही भोजन करने बैठ जाता है, जिससे रोग फैलते हैं।
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ज्योतिष के अनुसार वाणी में कर्कशता
*ज्योतिष के अनुसार किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली का दूसरा भाव धन के साथ वाणी का भी कारक घर होता है।
*किसी दूसरे का जूठा भोजन खाने से हमारी वाणी प्रभावित होती है। वाणी में कर्कशता आती है।
*जिसका जूठा भोजन खाते हैं उसके अशुद्ध विचार हमारे मस्तिष्क में समा जाते हैं। किसी का जूठा भोजन खाने से ग्रहों की पीड़ा प्रारंभ हो जाती है। इससे हमारे सुखों में कमी आती है।
*जूठा भोजन खाने से कुंडली का धन स्थान प्रभावित होता है, जिससे आर्थिक संकट शुरू हो जाता है।
*जूठा भोजन करने से कुंडली का भाग्य स्थान यानी नवम स्थान प्रभावित होता है। जिससे आपका भाग्य दुर्भाग्य में बदल सकता है।
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