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Narasimha Jayanti 2023 kab manai jayegi : नरसिंह जयंती कब मनाई जाती है, जानिए इस दिन का धार्मिक महत्व और कथा

Narasimha Jayanti 2023: नरसिंह जयंती के दिन इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ शिव की पूजा भी चौमुखी दीपक के साथ करने से भगवान नरसिंह प्रसन्न होते हैं और हर कष्ट से निजात दिलाते हैं।

Suman Mishra। Astrologer
Published on: 29 April 2023 6:13 PM IST
Narasimha Jayanti 2023 kab manai jayegi : नरसिंह जयंती कब मनाई जाती है, जानिए इस दिन का धार्मिक महत्व और कथा
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सांकेतिक तस्वीर,सौ. से सोशल मीडिया

Narasimha Jayanti 2023 kab manai jayegi

नरसिंह जयंती कब मनाई जाती है

नरसिंह जयंती के दिन ही भगवान विष्णु ने आधा नर और आधा सिंह का अवतार लिया था जिसे नरसिंह अवतार के रूप में जाना जाता है। वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को नरसिंह जयंती मनाई जाती है। इस बार 3 मई के नरसिंह जयंती है। इस दिन भगवान विष्णु ने आधा नर और आधा सिंह का अवतार लिया था। भगवान विष्णु के12 अवतारों में एक है नरसिंह भगवान।

इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ शिव की पूजा भी चौमुखी दीपक के साथ करने से भगवान नरसिंह प्रसन्न होते हैं और हर कष्ट से निजात दिलाते हैं।

इस पर्व को पूरे देश में मनाया जाता है।दक्षिण भारत में वैष्णव संप्रदाय के मानने वाले इस पर्व को बहुत श्रद्धा भाव से मनाते हैं। मान्यता है कि नरसिंह भगवान विपत्ति के समय अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। नरसिंह जयंती वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है ! इस दिन दुश्मनो को आप पूजा के द्वारा दूर रख सकते हो । #चतुर्दशी को #शिव का स्वरूप मानते है । आज के दिन विष्णु भगवान ने नरसिंह भगवान का अवतार भक्तो के कष्ट दूर करने के लिए किया था ।

नरसिंह भगवान हर बड़े संकट से बचाते हैं। जिन लोगों के जीवन में आर्थिक संकट बना हुआ है, शत्रु परेशान कर रहे हैं या फिर कोई रोग लगातार पीड़ा पहुंचा रहा है तो ऐसे में नरसिंह जयंती पर भगवान नरसिंह की पूजा अच्छे परिणाम देने वाली मानी जाती है । भगवान नरसिंह की पूजा शाम के समय की जाती है। इस दिन भगवान नरसिंह की जल, प्रसाद, फल और पुष्प अर्पित करें. भगवान विष्णु पीतांबर प्रिय है इस दिन इसका अर्पण करना चाहिए। पूजा समापन के बाद जरुरमंदों को दान करें । रात को चौमुखी दिया घर के छत पर अपने विजयी होने के स्वरूप में जलाये । शिव और विष्णु दोनों की पूजा करे

नरसिंह जयंती का शुभ मुहूर्त

वैशाख शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 03 मई 2023 को रात्रि 11 . 49 मिनट पर प्रारंभ होगी और इसका समापन अगले दिन यानी 04 मई 2023 को रात्रि 11 . 44 मिनट पर होगा। नरसिंह जयंती पर भगवान नरसिंह की पूजा सायं काल में की जाती है। इसलिए पूजा का समय शाम 04 . 18 मिनट से शाम 06 . 58 मिनट तक ही रहेगा। वहीं व्रत का पारण अगले दिन यानी 5 मई को सुबह 05.8 मिनट के बाद किया जाएगा।

नरसिंह जयंती पूजा का समय –शाम 04 . 18

चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ – 03 मई रात्रि 11 . 49 मिनट पर

चतुर्दशी तिथि समाप्त – 4 मई रात्रि 11 . 44 मिनट

नरसिंह जयंती पूजा विधि

इस दिन भगवान विष्णु के अवतार नरसिंह की पूजा की जाती है। भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप का वध करने के लिए नरसिंह का अवतार लिया था क्योंकि हिरण्यकश्यप को वरदान प्राप्त था कि उसे कोई भी नर या पशु अस्त्र-शस्त्र दिन या रात, घर के अंदर या घर के बाहर, न जमीन न आसमान में मार सकता है। शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु ने नरसिंह का अवतार लिया था और वह खंबा फाड़कर प्रकट हुए थे। उन्होंने घर की दहलीज पर अपने दोनों पैरों पर लेटा कर व अपने नाखूनों से हिरण्यकश्यप का वध किया था।इस दिन भगवान नरसिंह की पूजा ब्रह्म मुहूर्त में जल्दी उठकर करनी चाहिए। फिर उन्हें साफ कपड़े पहनाने चाहिए और भगवान नरसिंह की पूजा करनी चाहिए। देवी लक्ष्मी की मूर्ति को भगवान नरसिंह के साथ रखना चाहिए। फल, फूल, पांच मिठाइयां, कुमकुम, केसर, नारियल, चावल, गंगा जल आदि भगवान की पूजा करें। भगवान नरसिंह को प्रसन्न करने के लिए व्यक्ति को एकांत में बैठना चाहिए और रुद्राक्ष की माला से नरसिंह मंत्र का पाठ करना चाहिए। व्रत रखने वाले व्यक्ति को इस दिन तिल, सोना, वस्त्र आदि का दान करना चाहिए।

नरसिंह जयंती कथा और महत्व

कथानुसार, भगवान श्रीहरि विष्णु जी के बारह अवतार हैं। इनमें एक अवतार भगवान नरसिंह का है। आइए, अब कथा जानते हैं-प्राचीन समय में कश्यप नामक ऋषि रहते थे, जिनकी पत्नी का नाम दिति था उनके 'हरिण्याक्ष' और हिरण्यकश्यप नामक दो पुत्र थे। दोनों ही आसुरी प्रवृति के थे और पृथ्वी लोक पर खूब अत्याचार किया करते थे, जिससे मानव जगत में त्राहिमाम मच गया।

भगवान विष्णु जी धर्म की रक्षा और स्थापना हेतु वराह रूप में प्रकट होकर 'हरिण्याक्ष' का वध किया। इससे हिरण्यकश्यप क्रोधित हो गया और अजेय रहने के लिए भगवान ब्रह्मा जी की कठिन तपस्या की। हिरण्यकश्यप की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने उन्हें अजेय होने का वरदान दिया। वर पाकर हिरण्यकश्यप ने सबसे पहले स्वर्ग पर आक्रमण किया और अपना अधिपत्य जमा लिया। इसके बाद उसने तीनों लोक में तांडव मचाना शुरू कर दिया। इससे तीनो लोको में हाहाकार मच गया। न्हीं दिनों हिरण्यकश्यप की पत्नी कयाधु के गर्भ से पुत्र का जन्म हुआ। यह बालक स्वभाव और कर्म से संत बना और हरि विष्णु जी की भक्ति करने लगा। इससे हिरण्यकश्यप काफी क्रोधित हो उठा और कई बार प्रह्लाद की हत्या करने की नाकाम कोशिश की। जब हिरण्यकश्यप का अत्याचार चरम सीमा पर पहुंच गया। उस समय भगवान श्री विष्णु जी धर्म की स्थापना के लिए नरसिंह रूप में प्रकट हुए और हिरण्यकश्यप का वध किया।

जब-जब धर्म का पतन हुआ है और असुरों का अत्याचार बढ़ा है। तब-तब भगवान पृथ्वी पर अवतरित होकर असुरों का संहार किया है और धर्म की स्थापना की है। ऐसे में इस दिन का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान नरसिंह की पूजा-आराधना करने से व्यक्ति के समस्त दुखों का निवारण होता है और जीवन में मंगल ही मंगल होता है।



Suman Mishra। Astrologer

Suman Mishra। Astrologer

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