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जयपुर: भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। एकादशी साल में 24 होती हैं। चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचनी एकादशी कहते हैं। यह एकादशी इस बार 31 मार्च रविवार को पड़ रही है। मान्यता है कि इस दिन जो मनुष्य पूरे भक्ति भाव से भगवान विष्णु की उपासना करता है उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।यह भी माना जाता है कि पापमोचनी एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के मोक्ष का द्वार खुल जाता है। इस एकादशी के महत्व के बारे में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को बताया था कि जो भी कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत रखता है उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। एकादशी के दिन भक्त को भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इससे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
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एकादशी के दिन प्रातः स्नानादि से निवृत होकर भगवान विष्णु की पूजा करें। घी का दीपक जलाकर भगवान विष्णु की प्रार्थना करें। हो सके तो हवन भी कर सकते हैं। पूरे दिन व्रत के दौरान भगवान विष्णु का ध्यान करते रहें। इसके अलावा 'ओम नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जप भी कर सकते हैं।एक बार एक ऋषि घोर तपस्या कर रहे थे। उनकी तपस्या इतनी प्रभावशाली थी कि इससे देवताओं के राजा इन्द्र घबरा गए। इन्द्र ने ऋषि की तपस्या भंग करने के लिए मंजुघोषा नामक अप्सरा को उनके पास भेजा। मेधावी ऋषि अप्सरा के हाव-भाव को देखकर उस पर मुग्ध हो गए। मेधावी ऋषि शिव भक्ति छोड़कर मंजुघोषा के साथ रहने लगे।
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कई साल गुजर जाने पर मंजुघोषा ने ऋषि से स्वर्ग वापस जाने की आज्ञा मांगी। ऋषि को तब भक्ति मार्ग से हटने का बोध हुआ और अपने आप पर ग्लानि होने लगी।अप्सरा को धर्म भ्रष्ट होने का कारण मानकर ऋषि ने उसे पिशाचिनी हो जाने का शाप दिया। अप्सरा इससे दुःखी हो गई और शाप से मुक्ति के लिए प्रार्थना करने लगी। इसी समय देवर्षि नारद वहां आये और अप्सरा एवं ऋषि दोनों को पाप से मुक्ति के लिए पापमोचिनी एकादशी का व्रत करने की सलाह दी।नारद द्वारा बताये गये विधि-विधान से दोनों ने पाप मोचिनी एकादशी का व्रत किया जिससे वह पाप मुक्त हो गये। शास्त्रों में बताया गया है कि एकादशी की इस कथा को पढ़ने और सुनने से 1000 गौदान का फल मिलता है। ब्रह्महत्या, सोने की चोरी और सुरापान करनेवाले महापापी भी इस व्रत से पापमुक्त हो जाते हैं। यह व्रत बहुत पुण्यदायी है।