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हजारों साल पहले शुरु हुआ था राखी का त्याहोर, इसी धागे ने बचाई थी एलेग्जेंडर की जान  

रक्षा बंधन की परंपरा की शुरुआत बहनों ने शुरू नहीं की थी। रक्षा बंधन सावन पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस महीने रक्षा बंधन 26 अगस्त 2018 को है।  राखी की परम्परा सगी बहनों ने शुरू नहीं की थी। तब किसने शुरू किया राखी का चलन? जानते हैं राखी का इतिहास

suman
Published on: 8 Aug 2019 8:33 AM IST
हजारों साल पहले शुरु हुआ था राखी का त्याहोर, इसी धागे ने बचाई थी एलेग्जेंडर की जान  
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जयपुर: रक्षा बंधन सिंधु घाटी की सभ्यता से जुड़ा हुआ है। लेकिन हैरान करने वाली बात ये है कि रक्षा बंधन की परंपरा की शुरुआत बहनों ने शुरू नहीं की थी। रक्षा बंधन सावन पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस महीने रक्षा बंधन 26 अगस्त 2018 को है। राखी की परम्परा सगी बहनों ने शुरू नहीं की थी। तब किसने शुरू किया राखी का चलन? जानते हैं राखी का इतिहास

6 हजार साल पुरानी परंपरा इस पर्व की उत्पत्ति लगभग 6 हजार साल पहले बताई गई है। इसके कई साक्ष्य भी इतिहास में दर्ज हैं। विदेश में बसे लोगों को भी भाती है राखी, बहनों को जहां भाइयों की कलाई में रक्षा का धागा बांधने का बेसब्री से इंतजार होता है। वहीं देश ही नहीं बल्कि विदेशों में बसे भाइयो को भी इस बात का इंतजार रहता है कि उनकी बहनें उन्हें अवश्य ही राखी भेजेंगी। सगी बहन नहीं, तो भी कोई समस्या नहीं हमारे देश में मुंहबोली बहनों से राखी बंधवाने की परंपरा भी काफी पुरानी है।

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इसलिए उन भाइयों को भी निराशा का सामना नहीं करना पड़ता, जिनकी अपनी सगी बहन नहीं है क्योंकि, असल में रक्षाबंधन की परंपरा ही उन बहनों ने शुरू की थी जो सगी नहीं थीं। भले ही उन बहनों ने अपने संरक्षण के लिए ही इस पर्व की शुरुआत क्यों न की हो, लेकिन उसी बदौलत आज भी इस पर्व की मान्यता बरकरार है।

रक्षाबंधन की शुरुआत के सबसे पहले ऐतिहासिक साक्ष्य रानी कर्णावती व सम्राट हुमायूं हैं। मध्यकालीन युग में राजपूत और मुस्लिमों के बीच संघर्ष चल रहा था। रानी कर्णावती चित्तौड़ के राजा की विधवा थीं।उस दौरान गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह से अपनी और अपनी प्रजा की सुरक्षा का कोई रास्ता न निकलता देख रानी ने हुमायूं को राखी भेजी थी। तब हुमायूं ने उनकी रक्षा कर उन्हें बहन का दर्जा दिया था।

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एक राखी ने बचाई थी एलेग्जेंडर की जान दूसरा प्रमाण एलेग्जेंडर और पुरु के बीच का माना जाता है। कहा जाता है कि हमेशा विजयी रहने वाला एलेग्जेंडर भारतीय राजा पुरु की प्रचंडता से काफी विचलित हुआ। इससे एलेग्जेंडर की पत्नी काफी तनाव में आ गईं थीं। उन्होंने रक्षाबंधन के त्यौहार के बारे में सुना था। उन्होंने भारतीय राजा पुरु को राखी भेजी। तब जाकर युद्ध की स्थिति समाप्त हुई थी। क्योंकि भारतीय राजा पुरु ने एलेग्जेंडर की पत्नी को बहन मान लिया था।



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