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इबादत, बरकत का पाक महीना है माह-ए-रमजान, जानिए इसका महत्व

हिजरी कैलेंडर के अनुसार नौवां महीना रमजान का होता है। इसकी शुरुआत चांद पर निर्भर करती हैं। पवित्र रमजान के महीना को इस्लाम में बेहद पाक माना जाता है। चांद के दीदार  के साथ रोजे रखे जाते हैं। रमजान के पूरे महीने रोजे रखे जाते हैं और माना जाता हैं कि इस महीने रोजा रखने वाले रोजेदारों को कई गुना सवाब मिलता है

suman
Published on: 24 April 2020 9:36 AM IST
इबादत, बरकत का पाक महीना है माह-ए-रमजान, जानिए इसका महत्व
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जयपुर: हिजरी कैलेंडर के अनुसार नौवां महीना रमजान का होता है। इसकी शुरुआत चांद पर निर्भर करती हैं। पवित्र रमजान के महीना को इस्लाम में बेहद पाक माना जाता है। यूएई में चांद के दीदार के साथ रमजान की शुरुआत आज से हो गई वहीं भारत में आज चांद देखने के साथ कल से रोजे रखे जाएंगे।चांद के दीदार के साथ रोजे रखे जाते हैं। रमजान के पूरे महीने रोजे रखे जाते हैं और माना जाता हैं कि इस महीने रोजा रखने वाले रोजेदारों को कई गुना सवाब मिलता है और उन्हें जन्नत नसीब होती है। जानते हैं हैं। हिजरी कैलेंडर के अनुसार नौवां महीना रमजान का होता है। इसकी शुरुआत चांद पर निर्भर करती हैं। जानते हैं रमजान का महत्व और इतिहास से जुड़ी जानकारी...

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मान्यता

इस्लामिक मान्यता के अनुसार, 610 ईसवी में पैगंबर मोहम्मद साहब पर लेयलत-उल-कद्र के मौके पर पवित्र कुरान शरीफ नाजिल हुई थी। तब से रमजान माह को इस्लाम में पाक माह के रूप में मनाया जाने लगा। रमजान का जिक्र कुरान में भी मिलता है। कुरान में जिक्र है कि रमजान माह में अल्लाह ने पैगंबर मोहम्मद साहब को अपने दूत के रूप में चुना है। इसलिए रमजान का महीना मुसलमानों के लिए पाक है।

लगभग एक महीना रोजे रखना का उद्देश्य पैगंबर हज़रत मुहम्मद को याद करना है। रमजान का पाक महीना मुस्लिम लोगों के लिए बेहद खास होता है। माना जाता है कि इन माह में जन्नत के दरवाज खुल जाते है। इस माह में की गई इबादतों का सबाब अन्य माह से दोगुना मिलता है। इस माह का इंतजार बहुत ही शिद्दत के साथ लोगों को होता है।रमजान के महीने में 29 या 30 दिनों तक रोजे यानी उपावास रखे जाते हैं। हर साल इसका समय और दिन बदलता हैं। इसका कारण यह है कि रमजान की तारीख चंद्र कैलेंडर पर निर्भर करती है, इस साल यानी 2020 में रमजान की तारीख 24-25अप्रैल है क्योंकि रमजान और ईद के सही तारीख इस्लामिक कैलेंडर के 9वें महीने (हिजरी 1440) के अनुसार तय होती है। यह महीना 29 या 30 दिन का होता है और इस महीने की लंबाई शव्वाल चंद्रमा के देखे जाने के आधार बदल सकती है। इस दौरान मुस्लिम समुदाय के सभी स्वस्थ लोग रोजे रखकर अल्लाह की इबादत में लग जाएंगे। सुबह सूरज निकलने से पहले सहरी यानी सुबह खाना खाकर पूरे दिन भूखे-प्यासे रहकर नमाज और कुरआन पढ़ेंगे और शाम का सूरज ढलने के बाद इफ्तारी से रोजा खोलेंगे। यह सिलसिला एक महीने तक चलेगा और रमजान के बाद 4 जून को मुसलमानों का सबसे बड़ा पर्व ईद मनाया जाएगा।

महत्व

इस्लामिक मान्यता के अनुसार, यह कहा जाता है कि रमजान के महीने में रोजा रखने का अर्थ केवल रोजेदार को उपवास रखकर, भूखे-प्यासे रहना नहीं है। बल्कि इसका सच्चा अर्थ है अपने ईमान को बनाए रखना। मन में आ रहे बुरे विचारों का त्याग करना। रोजे का अर्थ है अपने गुनाहों से तौबा करना।

इसलिए रमजान में किसी रोजेदार को अपने ईमान को सर्वोपरि बनाए रखना होता है। इस दौरान रोजेदार को किसी के बारे में बुरा भला नहीं कहना चाहिए। इस दौरान झूठ नहीं बोलना चाहिए और न ही किसी को झूठा वादा करना चाहिए। रमजान को लेकर एक और मान्यता है कि इस पाक महीने में जन्नत के दरवाजे रोजेदारों के लिए खुल जाते हैं, जो लोग रोजा रखते हैं। अल्लाह उन्हें जन्नत भेजता है। रमजान का पहला अशरा रहमत का होता है। दूसरा अशरा मगफिरत का और तीसरा अशरा दोजख से आजादी दिलाने का होता है।

कुरान के अनुसार, अल्लाह ने अपने दूत के रूप में पैगम्बर साहब को चुना तथा रमजान के दौरान ही उनको कुरान के बारे में पता चला था। रमजान के आखिरी 10 दिनों का सबसे ज्यादा महत्व होता हैं क्योंकि इन्हीं दिनों में कुरान पूरी हुई थी। रमजान के महीने को तीन हिस्सों में बांटा गया है। पहला हिस्सा 1 से 10 रोजे तक होता है, जिसमें बताया गया है कि यह रहमतों (कृपा) का दौर होता है। वहीं दूसरे दस दिन मगफिरत (माफी) का और आखिरी हिस्सा जहन्नुम (नर्क) की आग से बचाने का करार दिया गया है।

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माना जाता है कि रमजान के पाक महीने में जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं। इस माह में किए गए अच्छे कर्मों का फल कई गुना ज्यादा बढ़ जाता है।खुदा अपने बंदों के अच्छे कामों पर नजर रखता है, उनसे खुश होता है। माहे रमजान में नफिल नमाजों का फर्ज का सवाब 70 गुणा बढ़ जाता है। रोजेदार को झूठ बोलना, चुगली करना, गाली-गलौज करना, औरत को बुरी नजर से देखना, खाने को लालच भरी नजरों से देखना मना होता है। रमजान के पाक महीने में अल्लाह से अपने सभी बुरे कर्मों के लिए माफी भी मांगी जाती है। महीने भर तौबा के साथ इबादतें की जाती हैं। ऐसा करने से इंसान के सारे गुनाह माफ हो जाते हैं।

रमजान के मुबारक महीने को लेकर शहर की मस्जिदों में तैयारियां तेज हो गई हैं। बाजारों में भी तैयारियां दिखने लगी हैं। मुबारक रमजान का चांद इस्लामी महीने शाबान की 29 तारीख यानी 5 मई को देखा जाएगा। रविवार को रमजान का चांद नजर आने के साथ ही शहर की मस्जिदों में तरावीह की नमाज शुरू हो जाएगी, जो पूरे रमजान चलेगी। अगर रविवार को रमजान का चांद नजर नहीं आता तो सोमवार से तरावीह की नमाज शुरू होगी।



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