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शनिदेव की क्रूर दृष्टि का नहीं होंगे शिकार, आज ही करें इन मंत्रों का ऐसे जाप

शनिदोष से मुक्ति के लिए मूल नक्षत्रयुक्त शनिवार से आरंभ करके सात शनिवार तक शनिदेव की पूजा करने के साथ साथ व्रत रखना चाहिए। शनिदेव को 9 ग्रहों के समूह में सबसे क्रूर मानते हैं।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 5 Dec 2020 2:38 AM GMT
शनिदेव की क्रूर दृष्टि का नहीं होंगे शिकार, आज ही करें इन मंत्रों का ऐसे जाप
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इन विशेष मंत्रों के जाप से यश, सुख, समृद्धि, कीर्ति, पराक्रम, वैभव, सफलता और अपार धन-धान्य के साथ प्रगति के द्वार खुलते हैं।

लखनऊ: धर्मानुसार शनिवार शनि देव को समर्पित है। इस दिन शनिदेव का खास तरह से पूजा करने पर व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते है। वहीं जिन लोगों पर शनि की साढ़ेसाती चलती है वह भी खत्म हो जाती है। शनिदोष से मुक्ति के लिए मूल नक्षत्रयुक्त शनिवार से आरंभ करके सात शनिवार तक शनिदेव की पूजा करने के साथ साथ व्रत रखना चाहिए। शनिदेव को 9 ग्रहों के समूह में सबसे क्रूर मानते हैं।

धन-धान्य से परिपूर्ण कर देते हैं...

कहा जाता है कि अगर शनिदेव किसी पर मेहरबान हो तो वो उस व्यक्ति को धन-धान्य से परिपूर्ण कर देते हैं। ज्योतिष के अनुसार, शनिदेव एक ही राशि में करीब 30 दिन तक रहते हैं। ये मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं। शनिवार को पूजा करते समय मंत्रों का जाप भी किया जाता है। शनिदेव के कुछ मंत्रों हैं इन विशेष मंत्रों के जाप से यश, सुख, समृद्धि, कीर्ति, पराक्रम, वैभव, सफलता और अपार धन-धान्य के साथ प्रगति के द्वार खुलते हैं। यदि किसी भी मंत्र की कम से कम 1 माला (108) बार इसका जाप करें।

बीज मंत्र-

ॐ शं शनैश्चराय नम:

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शनि का वेदोक्त मंत्र-

ॐ शमाग्निभि: करच्छन्न: स्तपंत सूर्य शंवातोवा त्वरपा अपास्निधा:

श्री शनि व्यासवि‍रचित मंत्र-

ॐ नीलांजन समाभासम्। रविपुत्रम यमाग्रजम्।

छाया मार्तण्डसंभूतम। तम् नमामि शनैश्चरम्।।

शनिचर पुराणोक्त मंत्र-

सूर्यपुत्रो दीर्घेदेही विशालाक्ष: शिवप्रिय: द

मंदचार प्रसन्नात्मा पीडां हरतु मे शनि:

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शनि स्तोत्र-

नमस्ते कोणसंस्‍थाचं पिंगलाय नमो एक स्तुते

नमस्ते बभ्रूरूपाय कृष्णाय च नमो ए स्तुत

नमस्ते रौद्रदेहाय नमस्ते चांतकाय च

नमस्ते यमसंज्ञाय नमस्ते सौरये विभो

नमस्ते मंदसज्ञाय शनैश्चर नमो ए स्तुते

प्रसाद कुरू देवेश दिनस्य प्रणतस्य च

कोषस्थह्म पिंगलो बभ्रूकृष्णौ रौदोए न्तको यम:

सौरी शनैश्चरो मंद: पिप्लदेन संस्तुत:

एतानि दश नामामी प्रातरुत्थाय ए पठेत्

शनैश्चरकृता पीडा न कदचित् भविष्यति

तंत्रोक्त मंत्र-

ॐ प्रां. प्रीं. प्रौ. स: शनैश्चराय नम:।

इन बातों का रखें ध्यान

शनि देव की पूजा शनि की मूर्ति के समक्ष न करें। शनि के उसी मंदिर में पूजा आराधना करनी चाहिए जहां वह शिला के रूप में हों। प्रतीक रूप में शमी के या पीपल के वृक्ष की आराधना करनी चाहिए। शनि देव के समक्ष दीपक जलाना सर्वश्रेष्ठ है, परन्तु तेल उड़ेल कर बर्बाद नहीं करना चाहिए। जो लोग भी शनि देव की पूजा करना चाहते हैं , उनको अपना आचरण और व्यवहार अच्छा रखना चाहिए।

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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