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धर्म ही नहीं, विज्ञान भी मानता है गाय को बहुमूल्य, जो है 84 लाख योनियों का अंतिम पड़ाव

गाय के शरीर में सोना भी होता है। जो दूध, मूत्र और गोबर में मिलता है। ये स्वर्ण दूध या मूत्र पीने से शरीर में जाता है और गोबर के माध्यम से खेतों में।

suman
Published on: 10 Aug 2019 9:16 AM IST
धर्म ही नहीं, विज्ञान भी मानता है गाय को बहुमूल्य, जो है 84 लाख योनियों का अंतिम पड़ाव
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गोवत्स द्वादशी के दिन गाय माता एवं उनके बछड़े की पूजा की जाती है। यह त्यौहार एकादशी के एक दिन के बाद द्वादशी को तथा धनतेरस से एक दिन पहले मनाया जाता है।

जयपुर: आज हर तरफ गाय पर राजनीति होती दिखती है। वैसे देश में गाय को सदियों से महत्वपूर्ण पशु माना जाता रहा है। गाय को विज्ञान भी उपयोगी और बहुमूल्य मानता है और प्रमाणित भी कर चुका है। राजनीति की शिकार गाय के अध्यात्मिक, धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व पर नजर डालते हैं गाय की इसी उपयोगिता पर...

राजनीति से हटकर गाय का धर्म-विज्ञान

हिंदू धर्म में लिखा है कि गाय दुनिया के सर्वश्रेष्ठ जीव है। गाय का महत्व सिर्फ धार्मिक, आध्यात्मिक नहीं बल्कि वैज्ञानिक बिंदु से जाना जाता है। गौ को हिंदू धर्मावलंबी माता मानते हैं। कहा जाता है कि गाय में 33 कोटि के देवताओं का वास रहता है। जो हर तरह से हमारी रक्षा करती है। ये देवता हैं- 12 आदित्य, 8 वसु, 11 रुद्र और 2 अश्‍विन कुमार। ये मिलकर कुल 33 होते हैं।

कहा जाता है कि जीवों की सबसे पवित्र योनि है गाय । इसके बाद मनुष्य योनि का जन्म होता है गाय हमारे लिए हर तरह से लाभदायक है। चाहे उसका दूध हो, गोबर , गौमूत्र या फिर पूरी गाय। यूं कहें कि गाय की हर चीज उपयोगी है ये सिर्फ धार्मिक वजह से नहीं, बल्कि गाय के पीछे कई वैज्ञनिक तथ्य भी है।

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सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर

वैज्ञानिक शोध से पता चला है कि गाय में जितनी सकारात्मक ऊर्जा होती है उतनी अन्य किसी जीव या मनुष्य तक में नहीं होती है। इसके बाद उस आत्मा को मनुष्य योनि में आना ही होता है। हम जितनी भी गाएं देखते हैं, ये 84 लाख योनियों के विकास क्रम में आकर अब अपने अंतिम पड़ाव में विश्राम कर रही हैं। गाय की योनि में होने का अर्थ है - विश्राम, शांति और प्रार्थना।

गाय पर्यावरण के शुद्धीकरण में सहायक

गाय की पीठ पर रीढ़ की हड्डी में सूर्यकेतु स्नायु हानिकारक विकिरण होता है जो इनवारमेंट को को स्वच्छ बनाते हैं। ये पर्यावरण के लिए लाभदायक है। ये हर तरह के रोगों के लिए विनाशक का कम करता है। तभी तो धार्मिक दृष्टि से कहते है कि गाय को सहलाने से ऊर्जा मिलती है और कोई बीमारी नहीं होती।

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गाय सोना देती है।

गाय के शरीर में सोना भी होता है। जो दूध, मूत्र और गोबर में मिलता है। ये स्वर्ण दूध या मूत्र पीने से शरीर में जाता है और गोबर के माध्यम से खेतों में। इसलिए कई रोगियों को स्वर्ण भस्म दिया जाता है। गाय में ये सोना स्वर्ण विकिरण से बनता है।

गाय को शरीर से सबसे ज्यादा ऑक्सीजन मिलता है

विज्ञान के अनुसार गाय सबसे ज्यादा ऑक्सीजन ग्रहण करने वाला जीव है और साथ ही ऑक्सीजन छोड़ने वाला। प्रकृति की जितने भी जीव होते है सब ऑक्सीजन लेते और कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ते हैं। पर गाय के साथ सा नहीं। इस गुण के कारण वातावरण शुद्ध करने में भी सहायक होती है।

गाय के घी से कई टन ऑक्सीजन का बनना

गाय के एक ग्राम गोबर में कम से कम 300 करोड़ जीवाणु होते हैं। इसलिए गाय से बनने वाले घी से हवन करने को कहा जाता है। गाय के घी (10 ग्राम) से यज्ञ करने पर एक टन ऑक्सीजन बनती है।

जब एक गाय में इतने सारे फायदे एक साथ होंगे तो हर कोई लाभ को जानकर गाय को रखना चाहेगा. वैसे भी घर के आसपास गाय के होने का मतलब है कि आप सभी तरह के संकटों से दूर रहेंगे।

शास्त्रों में लिखा हैं की जब नवजात बछड़े को जब गाय दुलारकर चाटती है तो उसका फेन भूमि पर गिरकर उसे पवित्र बनाता है और वहां होने वाले समस्त दोषों का निवारण हो जाता है। यही मान्यता वास्तुप्रदीप, अपराजितपृच्छा आदि में भी आई है। महाभारत के अनुशासन पर्व में कहा गया है कि गाय जहां बैठकर निर्भयतापूर्वक सांस लेती है, उस स्थान के सारे पापों को खींच लेती है-

निविष्टं गोकुलं यत्र श्वांस मुंचति निर्भयम्।

विराजयति तं देशं पापं चास्याप कर्षति॥

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यह भी कहा गया है कि जिस घर में गाय की सेवा हो, वहां पुत्र-पौत्र, धन, विद्या, सुखादि जो भी चाहिए, मिल सकता है।है। शिवपुराण व स्कंदपुराण में कहा गया है कि गो सेवा और गोदान से यम का भय नहीं रहता। गाय के पांव की धूली काभी अपना महत्व है। यह पाप विनाशक है, ऐसा गरुड़पुराण और पद्मपुराण का मत है।



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