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हर काम में मिलेगी सफलता, इस दिन करेंगे विधि-विधान से व्रत का पालन
पौष मास में कृष्ण पक्ष एकादशी को सफला एकादशी कहा जाता है। यह साल की आखिरी एकादशी होती है। इस साल सफला एकादशी 22 दिसंबर को है। इस एकादशी का नाम सफला एकादशी इसलिए है क्योंकि इस एकादशी पर व्रत करने से हर कार्य सफल होता है।
जयपुर: पौष मास में कृष्ण पक्ष एकादशी को सफला एकादशी कहा जाता है। यह साल की आखिरी एकादशी होती है। इस साल सफला एकादशी 22 दिसंबर को है। इस एकादशी का नाम सफला एकादशी इसलिए है क्योंकि इस एकादशी पर व्रत करने से हर कार्य सफल होता है।
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भगवान श्रीहरि को समर्पित यह व्रत मनुष्य के हर कष्ट को दूर करता है और सौभाग्य देता है। यह व्रत मनोवांछित फल देने वाला माना जाता है। विधि-विधान से इस व्रत को करना चाहिए। इस एकादशी के व्रत के समान कोई दूसरा व्रत नहीं है। इस दिन भगवान श्री विष्णु की पूजा का महत्व है। यह एकादशी सारे कामों में सफलता का वरदान देती है। सफला एकादशी के व्रत से कई पीढ़ियों के पाप दूर हो जाते हैं।
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विधि
इस दिन सुबह व शाम को विष्णु भगवान का पूजन करें। श्रीविष्णु को पंचामृत, पुष्प और ऋतु फल अर्पित करें। शाम को आहार ग्रहण करने के पहले दीपदान करें। भगवान को अर्पित किए फल को किसी रोगी व्यक्ति को दें, इसे ग्रहण करने से रोगी को स्वास्थ्य लाभ होता है। रेशम का पीला धागा अर्पित करें। जाप के बाद धागे को दाहिने हाथ में बांध लें। महिलाएं इस धागे को बाएं हाथ में बांधें। इस व्रत में रात में संकीर्तन करते हुए जागरण करना चाहिए। इस व्रत के प्रभाव से आचरण में सात्विकता आती है। एकादशी का माहात्म्य सुनने से राजसूय यज्ञ का फल प्राप्त होता है। इस व्रत में जरूरतमंदों को दान करना चाहिए। गर्म वस्त्र और अन्न का दान करना शुभ माना जाता है। इस व्रत से सेहत व उम्र की रक्षा होती है।