TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

आज है सकट चौथ, सिर्फ पुत्र के लिए है या पुत्री के लिए भी, जानिए इस व्रत का महत्व

माघ महीने के गणेश चतुर्थी को सकट, तिलवा  और तिलकुटा चौथ का व्रत कहते है।  इस बार सकट व्रत का पूजन 13 जनवरी यानि कि दिन सोमवार  को होगा। ये व्रत महिलाएं संतान की लंबी आयु के लिए करती है। पहले ये व्रत पुत्र के लिए किया जाता रहा है

suman
Published on: 13 Jan 2020 5:45 AM IST
आज है सकट चौथ, सिर्फ पुत्र के लिए है या पुत्री के लिए भी, जानिए इस व्रत का महत्व
X

जयपुर: माघ महीने के गणेश चतुर्थी को सकट, तिलवा और तिलकुटा चौथ का व्रत कहते है। इस बार सकट व्रत का पूजन 13 जनवरी यानि कि दिन सोमवार को होगा। ये व्रत महिलाएं संतान की लंबी आयु के लिए करती है। पहले ये व्रत पुत्र के लिए किया जाता रहा है, लेकिन अब बेटियों के लिए भी व्रत किया जाने लगा है।

मुहूर्त

पंचाग के अनुसार ,पंडित ललन त्रिपाठी ने व्रत के दिन चंद्रोदय का समय 8.33-09 बजे के बीच बताया है। 13 जनवरी को सकट का पर्व मनाया जाएगा.।इस दिन सोमवार है. जो बेहद शुभ दिन है।13 जनवरी शाम 5: 32 से लेकर 14 जनवरी दोपहर 2:49 मिनट तक यह पर्व रहे।

वक्रतुंडी चतुर्थी, माघी चौथ अथवा तिलकुटा चौथ भी इसी को कहते हैं। सूर्योदय से पूर्व स्नान के बाद उत्तर दिशा की ओर मुंह कर गणेश जी को नदी में 21 बार, तो घर में एक बार जल देना चाहिए। सकट चौथ संतान की लंबी आयु हेतु किया जाता है। चतुर्थी के दिन मूली नहीं खानी चाहिए, धन-हानि की आशंका होती है। देर शाम चंद्रोदय के समय व्रती को तिल, गुड़ आदि का अर्घ्य चंद्रमा, गणेश जी और चतुर्थी माता को अवश्य देना चाहिए। अर्घ्य देकर ही व्रत खोला जाता है। इस दिन स्त्रियां निर्जल व्रत करती हैं। सूर्यास्त से पहले गणेश संकष्टी चतुर्थी व्रत की कथा-पूजा होती है। इस दिन तिल का प्रसाद खाना चाहिए। दूर्वा, शमी, बेलपत्र और गुड़ में बने तिल के लड्डू चढ़ाने चाहिए।

यह पढ़ें.... राशिफल 11 जनवरी: नौकरी, सेहत व प्यार में, इन राशियों के लिए कैसा रहेगा शनिवार

कैसे करते है व्रत?

* पंडितजी के अनुसार, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है।

* इस दिन गणपति का पूजन किया जाता है।

* महिलााएं निर्जल रहकर व्रत रखती हैं।

* शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद प्रसाद ग्रहण किया जाता है।

* ये व्रत करने से दु:ख दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

क्या है महत्व?

* 12 मास में आने वाली चतुर्थी में माघ की चतुर्थी का सबसे अधिक महत्व है।

* पुराणों के अनुसार, गणेश ने इस दिन शिव- पार्वती की परिक्रमा की थी।

* परिक्रमा कर माता-पिता से श्रीगणेश ने प्रथम पूज्य का आशीर्वाद का पाया था।

* इस दिन 108 बार ' ऊँँ गणपतये नम:' मंत्र का जाप करना चाहिए।

* तिल और गुड़ का लड्डू श्री गणेश को चढ़ाने से रुके काम बनते हैं।

* इस दिन गणेश के साथ शिव और कार्तिकेय की भी पूजा कर कथा सुनी जाती है।

यह पढ़ें...शिव के इस अंग से निकला है सोना-चांदी, नहीं विश्वास तो यहां मिलेगा प्रमाण

इस व्रत की कथा है- सत्ययुग में महाराज हरिश्चंद्र के नगर में एक कुम्हार रहता था। एक बार उसने बर्तन बनाकर आंवा लगाया, पर आवां पका ही नहीं। बार-बार बर्तन कच्चे रह गए। बार-बार नुकसान होते देख उसने एक तांत्रिक से पूछा, तो उसने कहा कि बलि से ही तुम्हारा काम बनेगा। तब उसने तपस्वी ऋषि शर्मा की मृत्यु से बेसहारा हुए उनके पुत्र की सकट चौथ के दिन बलि दे दी।

उस लड़के की माता ने उस दिन गणेश पूजा की थी। बहुत तलाशने पर जब पुत्र नहीं मिला, तो मां ने भगवान गणेश से प्रार्थना की। सवेरे कुम्हार ने देखा कि वृद्धा का पुत्र तो जीवित था। डर कर कुम्हार ने राजा के सामने अपना पाप स्वीकार किया। राजा ने वृद्धा से इस चमत्कार का रहस्य पूछा, तो उसने गणेश पूजा के विषय में बताया। तब राजा ने सकट चौथ की महिमा को मानते हुए पूरे नगर में गणेश पूजा करने का आदेश दिया। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकट हारिणी माना जाता है।



\
suman

suman

Next Story