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अजीबो-गरीब रहस्य! इस गुफा के बारें में नहीं जानते होंगे मां के भक्त

नवरात्र के दिन चल रहे हैं। मां की भक्ति में ओत-प्रोत लोगों की आस्था का सबूत दे रहें है मां के मंदिर। जीं हां मां के मंदिरों में भक्तों की लंबी-लंबी कतार लग रही हैं। ऐसे में हम आपसे बात करने जा रहे माता के भवन यानि माता वैष्णों देवी की।

Vidushi Mishra
Published on: 23 Jun 2023 6:11 AM GMT
अजीबो-गरीब रहस्य! इस गुफा के बारें में नहीं जानते होंगे मां के भक्त
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नई दिल्ली : नवरात्र के दिन चल रहे हैं। मां की भक्ति में ओत-प्रोत लोगों की आस्था का सबूत दे रहें है मां के मंदिर। जीं हां मां के मंदिरों में भक्तों की लंबी-लंबी कतार लग रही हैं। ऐसे में हम आपसे बात करने जा रहे माता के भवन यानि माता वैष्णों देवी की। जीं माता वैष्णों देवी की गुफा जिसे माता का भवन कहा जाता है। वैष्णों देवी मंदिर और गुफा से संबंंधी कुछ ऐसी बातों के बारेंं में हम बताने जा रहें हैं जिनके बारे में शायद आप नहीं जानते होंगे।

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जम्मू-कश्मीर में माणिक पहाड़ियां

मांं वैष्णों देवी का एक अन्य दूसरा नाम त्रिकुटा देवी है। मां वैष्णों देवी का निवास जम्मू-कश्मीर में माणिक पहाड़ियों की त्रिकुटा श्रृंखला की एक गुफा में है। मां वैष्णों देवी यानि देवी त्रिकुटा के नाम पर ही इस पर्वत को त्रिकुटा पर्वत कहा जाने लगा।

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कुछ रोचक बातें

मां वैष्णों देवी की प्राचीन गुफा के समक्ष भैरो बाबा का शरीर मौजूद है पौराणिक कथाओं में ऐसा माना जाता है। माता ने यहीं पर भैरो को अपने त्रिशूल से मारा था और उसका सिर उड़कर भैरो घाटी में चला गया और शरीर यहां रह गया।

अच्छा बताइये क्या आप मां वैष्णों देवी है... जीं तो अगर आप गए है तो आपको याद होगा कि मां का निवास पर्वत की एक गुफा में है। भक्तों की लंबी लाइन की वजह से आपको मां की गुफा के दर्शन के लिए बहुत कम समय मिल पाता है इसलिए इस गुफा के बारें में पूरी जानकारी लोगों को नहीं पता है। आइये चलिए बताते हैं फिर मां की गुफा के बारें में कुछ रोचक बातें।

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मां वैष्णों देवी के दर्शन करने के लिए इस समय जिस रास्ते का उपयोग किया जाता है, दरअसल वो रास्ता मां की गुफा में प्रवेश का प्राकृतिक मार्ग नहीं है। भक्तों की बढ़ रही संख्या को देखते हुए नए रास्ते का निर्माण सन् 1977 में किया गया है। और इस समय मां के भक्त इसी रास्ते के जरिए दर्शन मिल पाते हैं।

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नियम ये है...

लेकिन आज भी ऐसा कहा जाता है कि किस्मत वाले भक्तों को प्राचीन गुफा में दर्शन का सौभाग्य मिल जाता है। असल में नियम यह है कि जब कभी भी 10 हजार से कम भक्त होते हैं तो प्राचीन गुफा का द्वार खोल दिया जाता है। और बता दें कि ऐसा मौका दिसंबर और जनवरी के महीनें में आता है।

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बता दें कि वैष्णों देवी की इस पवित्र गुफा की लंबाई 98 फीट है। इस गुफा में आने और जाने के लिए दो कृत्रिम रास्ते बनाए गए हैं। इस गुफा में एक बड़ा चबूतरा भी बना है। इसी चबूतरें पर माता का आसन है।

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Vidushi Mishra

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