×

कल का दिन है बहुत खास: कर लें ये उपाय, नहीं तो पछतायेंगे आप

पुराणों के अनुसार अमावस्या के दिन स्नान-दान करने की परंपरा है। वैसे तो इस दिन गंगा-स्नान का विशिष्ट महत्व माना गया है, परंतु जो लोग गंगा स्नान करने नहीं जा पाते

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 12 March 2021 3:15 AM GMT
कल का दिन है बहुत खास:  कर लें ये उपाय, नहीं तो पछतायेंगे आप
X
बिना किसी चिंता के पूरी मेहनत और ईमानदारी के साथ अपना काम करते रहें। शनि देव आपकी मेहनत के साथ न्याय ही करेंगे।

जयपुर: 13 मार्च को अमावस्या यानी कि शनिश्चरी अमावस्या पड़ रहा है। शनिवार के दिन पड़ने के कारण इस अमावस्या को शनिश्चरी अमावस्या कहा जाता है। इसे दर्श अमावस्या भी कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि आज रात में चांद पूरी रात गायब रहता है। सुख समृद्धि और परिवार के कल्याण की कामना के लिए इस दिन पूजा की जाती है। इस दिन पूजा करने से घर में सुख समृद्धि आती है और लोगों का उद्धार होता है। इस दिन पूर्वजों की भी पूजा होती है।

अमावस्या शुभ मुहूर्त

हिंदू धर्म में इसका खास महत्व है। जानते हैं दर्श अमावस्या यानी कि शनिश्चरी अमावस्या का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्व... कृष्ण अमावस्या प्रारम्भ – 03:02 पी एम, मार्च 12, समाप्त – 03:50 पी एम, मार्च 13।

यह पढ़ें....12 मार्च:इन 2 राशि वालों को पढ़ाई में मिलेगी सफलता, जानिए अपना आज का राशिफल

व्रत एवं पूजन विधि

पुराणों के अनुसार अमावस्या के दिन स्नान-दान करने की परंपरा है। वैसे तो इस दिन गंगा-स्नान का विशिष्ट महत्व माना गया है, परंतु जो लोग गंगा स्नान करने नहीं जा पाते, वे किसी भी नदी या सरोवर तट आदि में स्नान कर सकते हैं और शिव-पार्वती और तुलसीजी की पूजा कर सकते है।

यह पढ़ें....अखिलेश की प्रेस कॉन्फ्रेंस में बवाल, सपा प्रमुख के कमांडो ने पत्रकारों को दौड़ाकर पीटा

अमावस्या का महत्व

ऐसी मान्यता है कि इस दिन वृत रखने और चंद्रमा की पूजा करने से चंद्र देवता प्रसन्न होते हैं और सौभाग्य और समृद्धि का आर्शीवाद देते हैं। इससे इंसान को मानसिक शांति मिलती है। कहा जाता है कि इस तिथि पर पितर धरती पर आते हैं और अपने परिवार जनों को आशीर्वाद देते हैं।

इसलिए इस तिथि पर पूर्वजों के लिए प्रार्थना की जाती हैं। पितरों की पूजा होने से इस अमावस्या को श्राद्ध अमावस्या भी कहा जाता है। पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए इस दिन पितृ तर्पण, स्नान-दान आदि करना बहुत ही पुण्य फलदायी माना जाता है।

उपाय

शनि अमावस्या के दिन शाम के समय सात दीपक, काले तिल, सरसों का तेल, लोहे की कील रखकर पीपल के पेड़ के नीचे जलाएं। इसके बाद 'ऊं शं शनैश्चराय नम:' मंत्र का जाप करें। दोष के कारण आपके कार्यों में अड़चनें आ रही हैं, तो घर पर शमी, जिसे खेजड़ी भी कहते हैं, का पेड़ लाकर गमले में लगाइए ।

उसके चारों तरफ गमले में काले तिल डाल दीजिये और उसके आगे सरसों के तेलका दीपक जलाकर शनि देव के इस मंत्र का 11 बार जप करें। शनि की साढे-साती या ढैय्या से परेशान हैं, तो आपको शनि स्रोत का पाठ करना चाहिए। साथ ही सिद्ध किया हुआ शनि यंत्र धारण करना चाहिए।

शनि ग्रह की शांति के लिए करें इन नामों का स्मरण

कोणस्य: पिंगलों व्रभ्रु: कृष्णों रौद्रान्तकरे यम:। सौरि: श्नेश्चरों मन्द पिप्पलादेल संस्तुत:।। एताति दशं नाभानि प्रातरूक्थाय य पठोत्। शनैश्चरे कृता पीडा न मदाचिद् भविष्यति।।

यानि कि इन दस नामों का सुबह के समय स्मरण करनें से कभी आपको शनि ग्रह का कष्ट नही सताएगा।

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

Next Story