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पितृ-पक्ष में दान: अनाज या भूमि का दान, किससे मिलेगा पूर्वजों का आशीर्वाद, जानिए?
श्राद्ध के समय पितर लोक से पूर्वज आते हैं। उनका आशीर्वाद बना रहे इसके लिए पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है। इन दिनों में पूर्वजों की आत्मा धरती पर आती हैं और भोग लगाने से उन्हें संतुष्टि होती हैं। इससे प्रसन्न होकर पित्तर अपना आशीर्वाद देते हैं। इ
जयपुर: श्राद्ध के समय पितर लोक से पूर्वज आते हैं। उनका आशीर्वाद बना रहे इसके लिए पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है। इन दिनों में पूर्वजों की आत्मा धरती पर आती हैं और भोग लगाने से उन्हें संतुष्टि होती हैं। इससे प्रसन्न होकर पित्तर अपना आशीर्वाद देते हैं। इन दिनों पूजा-पाठ के साथ दान-पुण्य भी किया जाता हैं जिससे पितरों का आशीर्वाद बना रहें। दान में किन चीजों को दे ताकि पितर प्रसन्न रहे जानते हैं....
आप आर्थिक रूप से संपन्न हैं तो श्राद्ध पक्ष में किसी कमजोर या गरीब व्यक्ति को भूमि का दान संपत्ति और संतान लाभ देता है। किंतु अगर यह संभव न हो तो भूमि के स्थान पर मिट्टी के कुछ ढेले दान करने के लिए थाली में रखकर किसी ब्राह्मण को दान कर सकते हैं।
श्राद्ध के हर कर्म में तिल का महत्व है। इसी तरह श्राद्ध में दान की दृष्टि से काले तिलों का दान संकट, विपदाओं से रक्षा करता है। नमक पितरों की खुशी के लिए नमक का दान भी जरूरी है।
श्राद्ध में गाय का घी एक पात्र (बर्तन) में रखकर दान करना परिवार के लिए शुभ और मंगलकारी है।
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वस्त्र इस दान में धोती और दुपट्टा के साथ दो वस्त्रों के दान करना चाहिए। यह वस्त्र नए और स्वच्छ होना चाहिए।
धार्मिक दृष्टि से गाय का दान सभी दानों में श्रेष्ठ है, लेकिन श्राद्ध पक्ष में किया गया गाय का दान हर सुख और धन-संपत्ति देने वाला माना गया है।
सोने का दान कलह का नाश करता है। किंतु अगर सोने का दान संभव न हो तो सोने के दान के निमित्त यथाशक्ति धन दान भी कर सकते हैं।
पितरों के आशीर्वाद और संतुष्टि के लिए चांदी का दान बहुत प्रभावकारी है।
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गुड़ का दान पूर्वजों के आशीर्वाद से कलह और दरिद्रता का नाश कर धन और सुख देने वाला है।
अन्नदान में गेहूं, चावल का दान करना चाहिए। इनके अभाव में कोई दूसरा अनाज भी दान किया जा सकता है। यह दान संकल्प सहित करने पर मनोवांछित फल देता है।